इनसाइड स्टोरी : 18 हजार करोड़ की स्कीम में इंजीनियर सिर्फ टेंडर और कमीशन वसूल रहे: मुख्य सचिव

सीएस ने जल जीवन मिशन की बैठक में पीएचई अफसरों को लगाई फटकार, कहा- इतनी गड़बड़ियों के बाद भी किसी इंजीनियर या कंसल्टेंट पर कार्रवाई क्यों नहीं की?

  • जल जीवन मिशन में हुए कामों की जांच के बाद ही 3200 करोड़ रुपए की रिवाइज्ड स्कीम को मिलेगी मंजूरी

कुलदीप सिंगोरिया | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्लैगशिप स्कीम जल जीवन मिशन में हुई गड़बड़ियों पर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बुधवार को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के अफसरों को जमकर लताड़ लगाई। सूत्रों के मुताबिक, जैन ने यहां तक कह दिया कि इंजीनियर सिर्फ टेंडर लगाने और बिल पर कमीशन वसूलने में व्यस्त हैं। वे फील्ड पर जाते ही नहीं है, इसलिए गलत डीपीआर पर काम हो रहा है।
मुख्य सचिव अनुराग जैन बुधवार को मंत्रालय में पीएचई विभाग की जल जीवन मिशन स्कीम के प्रस्तावों पर बैठक ले रहे थे। बैठक में पीएचई के सचिव पी नरहरी ने बताया कि मिशन के तहत मध्यप्रदेश के 27150 गांवों में सिंगल विलेज स्कीम के तहत 17911 करोड़ रुपए के काम कराए गए हैं। अब इनमें से 6500 गावों में हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए 3200 करोड़ रुपए और चाहिए। इसके लिए 5546 रिवाईज्ड डीपीआर बन गई है। एक इनसाइडर ने बताया कि मुख्य सचिव ने प्रजेंटेंशन के बीच में कई सवाल किए। उन्होंने कहा कि जब पहली बार डीपीआर बनाई गई थी, तब ही सही क्यों नहीं बनाई? इंजीनियरों ने कहा कि पानी के स्रोत सूख गए हैं, इसलिए नए ट्यूवबेल कराने पड़गे। इस पर सीएस ने भड़कते हुए कहा कि आप इतने सालों से पानी सप्लाई कर रहे हैं? क्या इतना भी नहीं मालूम कि जहां से पानी ले रहे हैं, वह सूख जाएगा। पानी के स्रोत की ठीक तरह से जांच क्यों नहीं की। और अब यह सूख गए हैं तो इसका जिम्मेदार कौन है। गलत डीपीआर बनाने वाले कंसल्टेंट और एई व ईई पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। कितने कंसल्टेंट और ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया गया? उन्होंने यहां तक कह दिया कि आप लोग फर्जी आंकड़े पेश कर रहे हैं।

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एक महीने में जांच के बाद दोबारा पेश होगी रिवाइज्ड डीपीआर
गड़बड़ी पर अफसर सफाई नहीं दे पाए तो सीएस ने कहा कि पीडब्यूडी और जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों से रिवाइज्ड डीपीआर की जांच कराई जाएगी। एक महीने में यह काम हो जाना चाहिए। हालांकि बाद में विभाग के इंजीनियरों से ही जांच पर सहमति दे दी। इसके बाद ही रिवाइज्ड डीपीआर के लिए काम किया गया। जैन ने जल निगम और पीएचई के बीच ओवरलैपिंग पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच समन्वय क्यों नहीं है? ऐसा क्यों है कि जिस गांव के लिए जल निगम काम कर रहा है, उसी में पीएचई भी काम कर रहा है।

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20 साल पहले कलेक्टर था, तब का ढर्रा अब क्यों शुरू किया जाए
गांवों में पानी सप्लाई के स्कीमों के मेंटेनेंस और संचालन के लिए पीएचई अफसरों ने सीएस की फटकार सुनी। अफसर मेंटेनेंस व संचालन के लिए 100-100 गावों पर एक टेंडर कर ठेकेदारों को काम देने का प्रस्ताव लेकर गए थे। इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि 20 साल पहले जब वे कलेक्टर थे, तब इस तरह से काम होता था। इसके बाद अब फिर से वही पुराना ढर्रा क्यों शुरू किया जाए। और जब यह काम ग्राम पंचायत को करना है तो पीएचई क्यों करें? सीएस ने इस काम में स्व सहायता समूह को शामिल करने की सलाह दी।

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वित्त के प्रमुख सचिव ने कहा- मुझे इस स्कीम से हटा दो
मीटिंग में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी भी उखड़ गए। उन्होंने कहा कि गलती पीएचई की होती है लेकिन वित्त विभाग पर अड़ंगा डालने का आरोप लगा देते हैं। मुझे तो इससे बाहर ही कर दें। सीएस ने पीएचई के सचिव पी नरहरी को भी बैठक के बीच में कई बार चुप कराया। जबकि पीएचई के ईएनसी केके सोनगरिया को खूब डांटा।

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शार्क वाला बयान रहा चर्चा में
मुख्य सचिव अनुराग जैन लगातार चर्चाओं में है। वे सख्त और कुशल प्रशासक माने जाते हैं। मुख्य सचिव बनने के बाद से ही वे लगातार बैठकों में अफसरों के काम-काज पर सख्त टिप्पणी कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक बैठक में कहा कि आपके यहां शार्क बैठे हैं। अपन काम कर रहे हैं, पैसा उनकी जेब में जा रहा है।

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