भारत तो भारत है, भारत ही रहेगा- CM शिवराज सिंह चौहान

इंदौर
भारत और इंडिया नाम को लेकर चल रहे विवाद को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत तो भारत है, था और भारत ही रहेगा। इसे लेकर कोई विवाद नहीं करना चाहिए।

शिवराज सिंह चौहान खंडवा में इंदौर संभाग की जन आशीर्वाद यात्रा में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ हिस्सा लेने के लिए जाते हुए इंदौर आए थे। इसी दौरान उन्होंने यह बात संक्षिप्त चर्चा में पत्रकारों से कही।

दूसरी ओर नीमच में जन आशीर्वाद यात्रा पर पथराव पर सीएम श‍िवराज सिंह ने कहा कि जन आशीर्वाद यात्रा को मिल रहे समर्थन को देखकर कांग्रेस बौखला गई है। कांग्रेस कोई भी हथकंडे अपना ले उसे सफलता नहीं मिलेगी। यात्रा पर पथराव किसने किया है, हमने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी भारी बहुमत से जीतेगी।

भारत नाम रखने से गरिमा लौट आएगी, हजार साल की गुलामी में पहचान ही मिट गई
भारत और INDIA को लेकर छिड़ी बहस में दो खेमे बंटते दिख रहे हैं। एक वर्ग देश का नाम भारत ही रखे जाने को गर्व से जोड़कर देख रहा है तो वहीं आलोचकों का कहना है कि इस तरह इतिहास को किनारे नहीं किया जा सकता। इस बीच संविधान सभा में भारत और इंडिया को लेकर हुई बहस को भी लोग याद कर रहे हैं। दरअसल संविधान सभा में इसको लेकर लंबी बहस हुई थी और उसके बाद ही 'INDIA, दैट इज भारत' लिखा गया था। इस बहस में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने भारत को देश की पहचान से जोड़ा था और उनका तो यहां तक कहना था कि इंडिया दैट इज भारत न लिखा जाए। इसके स्थान पर भारत दैट इज इंडिया लिखना ठीक रहेगा।

इस डिबेट में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे कमलापति त्रिपाठी ने कहा था, 'यदि आप लोगों को लगता है कि संविधान में दैट इज लिखना जरूरी ही है तो भारत दैट इज इंडिया लिखना चाहिए।' उन्होंने देश का नाम भारत रखने को गौरव, स्वाभिमान और स्वदेशी प्रतीक से जोड़ा था। त्रिपाठी ने कहा था, 'जब कोई देश दूसरे के दिए नाम और प्रतीकों का इस्तेमाल करता है तो उसकी आत्मा मर जाती है। भारत ने एक हजार साल की गुलामी में सब कुछ खो दिया है। हमने अपनी संस्कृति, इतिहास, सम्मान, मानवता, आत्मसम्मान और यहां तक कि आत्मा तक को खो दिया है।'  

भारत नाम रखने से पुराना गौरव वापस लौटेगा का तर्क देते हुए त्रिपाठी ने कहा था कि हजार साल की गुलामी से निकलकर हम अपनी पहचान हासिल करेंगे। उन्होंने कहा था कि भारत नाम से ही हम दुनिया में अपने गौरव को पा सकेंगे। यह हमारी संस्कृति का परिचय कराता है। सैकड़ों सालों की गुलामी के बाद भी हमारी पहचान भारत के तौर पर ही है तो इसकी वजहें हैं। उन्होंने कहा था कि वैदिक काल से ही साहित्य में देश का नाम भारत ही रहा है। इसके अलावा पुराणों, वेदों और ब्राह्मण ग्रंथों में भी भारत का ही वर्णन हुआ है।

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