HAL जल्द ही तेजस Mk-1A फाइटर जेट भारतीय वायुसेना को सौंपने की तैयारी में, दुश्मनों के लिए खतरे की घंटी !

बेंगलुरु
भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए बहुत ही अच्छी खबर है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) जून के अंत तक नासिक प्लांट से पहला तेजस एमके-1ए (Tejas Mk-1A) विमान देने के लिए तैयार दिख रहा है। IAF ने 83 विमानों के लिए 48,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया था। विमानों की डिलीवरी में देरी हो रही थी, लेकिन अब उम्मीद है कि सब ठीक हो जाएगा। क्योंकि, इंजन की समस्या दूर हुई है। HAL को यह डिलिवरी मार्च, 2024 तक ही देनी थी। नासिक में नया प्लांट लगने से विमानों का प्रोडक्शन तेजी से होगा। हाल ही में वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने इस तरह के सामरिक महत्त्व के प्रोजेक्ट में देरी पर सवाल भी उठाए थे।
इंजन की सप्लाई शुरू होने से डिलिवरी की उम्मीद
तेजस एमके-1ए विमान की डिलीवरी में देरी का मुख्य कारण जीई एयरोस्पेस (GE Aerospace) की ओर से एफ404 (F404) इंजन की सप्लाई में देरी और जरूरी सर्टिफिकेट मिलने में देरी बताई जा रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एचएएल का कहना है कि अब इंजन की सप्लाई ठीक हो गई है और यह सभी Mk-1A स्ट्रक्चर तैयार रखेगा और इंजन मिलते ही Mk-1A विमान बनना शुरू हो जाएंगे। IAF को अपने पुराने मिग-21, मिग-27 और जगुआर विमानों को हटाने के बाद अपनी ताकत बढ़ाने की सख्त जरूरत है। तेजस एमके-1ए की समय पर डिलीवरी बहुत जरूरी है। IAF 97 और Mk-1A विमानों का ऑर्डर देने की योजना बना रहा है, जिसकी कीमत लगभग 67,000 करोड़ रुपये होगी। इससे IAF के पास कुल 180 विमान हो जाएंगे।
तेजस एमके-1ए से एयर फोर्स को मिलेगी नई ताकत
रक्षा उपकरणों की उपलब्धता में देरी को कम करने और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी प्राइवेट कंपनियों को साथ लेकर इस समस्या का समाधान खोजेगी। जानकारी के मुताबिक HAL ने प्राइवेट कंपनियों को विमान के कुछ पार्ट्स बनाने का काम देकर भी अपनी प्रोडक्शन क्षमता बेहतर की है। HAL ने बताया है कि जीई एयरोस्पेस ने उसको 99 F404-IN20 इंजनों में से पहला इंजन दिया है। इससे दो साल से चल रही सप्लाई की समस्या खत्म हो गई। इससे IAF को काफी राहत मिलेगी और नासिक प्लांट से विमानों का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा। इससे भारतीय वायुसेना को नई ताकत मिलेगी।
वहीं रक्षा मंत्रालय को उम्मीद है कि 2025-26 से प्रोडक्शन पहले के प्लान के अनुसार होगा। हर साल 16-24 विमान बनाए जाएंगे। प्रोडक्शन लाइनों को ठीक करना IAF की जरूरतों को बिना किसी देरी के पूरा करने के लिए बहुत जरूरी है। एयर फोर्स चीफ अमर प्रीत सिंह ने हाल ही में कहा था कि डिलीवरी समय पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'टाइमलाइन एक बड़ी समस्या है।' पहला तेजस एमके-1ए विमान उड़ान परीक्षणों के बाद एयर फोर्स को मिलने की उम्मीद है। HAL का नासिक प्लांट भारत के स्वदेशी फाइटर प्रोग्राम में एक महत्वपूर्ण कदम है।
LCA तेजस Mk-1A: खासियतें
LCA तेजस Mk-1A, तेजस Mk-1 का उन्नत संस्करण है, जिसे भारतीय वायुसेना के लिए मल्टीरोल फाइटर जेट के रूप में डिज़ाइन किया गया है. यह मिग-21 जैसे पुराने जेट्स को बदलने के लिए बनाया गया है.
गति: मैक 1.8 (लगभग 2,200 किमी/घंटा).
रेंज: 1,850 किमी (इन-फ्लाइट रिफ्यूलिंग के साथ ज्यादा).
वजन: 13,500 किग्रा (अधिकतम टेक-ऑफ वजन).
इंजन: GE F404-IN20 टर्बोफैन, 85 kN थ्रस्ट.
हथियार: 7 हार्डपॉइंट, 23 मिमी GSh-23 तोप, Astra BVR मिसाइल, ब्रह्मोस-NG और गाइडेड बम.
सेंसर: EL/M-2052 AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुइट और स्वदेशी डेटा लिंक.
कीमत: प्रति जेट लगभग ₹580 करोड़ (कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर).
उत्पादन: HAL की बेंगलुरु और नासिक सुविधाएं मिलकर 24 जेट्स प्रति वर्ष बना सकती हैं.
ताकत…
स्वदेशी तकनीक: 65% से ज्यादा हिस्से भारत में बने, जैसे AESA रडार और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सुइट.
मल्टीरोल: हवा से हवा, हवा से जमीन और नौसैनिक हमलों में सक्षम.
कम लागत: F-35 (₹650-800 करोड़) और Su-57 (₹300-400 करोड़) से सस्ता.
उन्नत सेंसर: इजरायली EL/M-2052 AESA रडार और स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक सुइट इसे आधुनिक बनाते हैं.
कमजोरियां…
इंजन पर निर्भरता: GE F404 इंजन की आपूर्ति में देरी.
सीमित रेंज: F-47 (1850+ नॉटिकल मील) और Su-57 (3500 किमी) से कम.
उत्पादन दर: देरी के कारण IAF की जरूरतें पूरी करने में चुनौती.
नासिक उत्पादन लाइन: तेजस Mk-1A का नया केंद्र
HAL ने तेजस Mk-1A के उत्पादन को तेज करने के लिए नासिक में तीसरी उत्पादन लाइन शुरू की है. बेंगलुरु में पहले से दो लाइनें हैं, जो प्रति वर्ष 16 जेट्स बना सकती हैं. नासिक लाइन की खासियतें…
क्षमता: शुरू में 5 जेट्स प्रति वर्ष, बाद में 8 तक बढ़ाने की योजना. कुल मिलाकर, HAL की तीनों लाइनें 24 जेट्स प्रति वर्ष बना सकती हैं.
स्थान: नासिक का मिग कॉम्प्लेक्स, जो पहले Su-30 MKI जेट्स बनाता था.
निजी भागीदारी: VEM टेक्नोलॉजीज, L&T और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स जैसे निजी कंपनियां फ्यूजलेज, विंग्स, और अन्य हिस्सों की आपूर्ति कर रही हैं.
प्रगति: मई 2025 में VEM टेक्नोलॉजीज ने पहला सेंटर फ्यूजलेज HAL को सौंपा.
पहली डिलीवरी: नासिक लाइन से पहला तेजस Mk-1A जून 2025 के अंत तक IAF को सौंपा जाएगा.
इंजन आपूर्ति में देरी: कारण और प्रभाव
तेजस Mk-1A प्रोग्राम में देरी का मुख्य कारण GE एयरोस्पेस से F404-IN20 इंजनों की आपूर्ति में देरी है। यहां तथ्य हैं…
कॉन्ट्रैक्ट: अगस्त 2021 में HAL और GE ने 99 F404 इंजनों के लिए $716 मिलियन (₹5,375 करोड़) का सौदा किया.
मूल समयसीमा: मार्च/अप्रैल 2023 से इंजन डिलीवरी शुरू होनी थी.
वास्तविक स्थिति: पहला इंजन मार्च 2025 में डिलीवर हुआ, लगभग दो साल की देरी.
कारण: GE ने वैश्विक सप्लाई चेन समस्याओं और कोविड-19 के कारण उत्पादन लाइन बंद होने का हवाला दिया.
प्रभाव: IAF को मार्च 2024 तक पहला तेजस Mk-1A मिलना था, लेकिन अब जून 2025 तक डिलीवरी की उम्मीद है.
वर्तमान स्थिति…
GE ने 2025-26 में 12 इंजन और 2026-27 से 20 इंजन प्रति वर्ष देने का वादा किया है. HAL ने रिजर्व (Category B) इंजनों का उपयोग करके मार्च 2024 में तेजस Mk-1A की पहली उड़ान भरी. तीन तेजस Mk-1A तैयार हैं. दो अन्य मार्च-अप्रैल 2025 तक तैयार होंगे.
IAF की चिंताएं और HAL की प्रतिक्रिया
भारतीय वायुसेना, जो 42 स्क्वाड्रनों की तुलना में केवल 31 स्क्वाड्रन पर है, तेजस Mk-1A पर बहुत निर्भर है.
IAF की शिकायत: वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने Aero India 2025 में HAL पर "विश्वास की कमी" जताई, क्योंकि 2021 में ऑर्डर किए गए 83 जेट्स में से एक भी डिलीवर नहीं हुआ.
HAL की प्रतिक्रिया: HAL के CMD डी.के. सुनील ने कहा कि तकनीकी समस्याएं हल हो चुकी हैं. इंजन आपूर्ति शुरू होने के बाद डिलीवरी तेज होगी.
नया लक्ष्य: HAL 2025 में 11 जेट्स (1 नासिक से, 10 बेंगलुरु से) और 2025-26 में 16-24 जेट्स डिलीवर करेगा.
कॉन्ट्रैक्ट और भविष्य की योजनाएं
मूल कॉन्ट्रैक्ट: फरवरी 2021 में IAF ने 83 तेजस Mk-1A के लिए ₹48,000 करोड़ का सौदा किया.
नया ऑर्डर: IAF 97 और तेजस Mk-1A के लिए ₹67,000 करोड़ का ऑर्डर देने की योजना बना रहा है, जिससे कुल 180 जेट्स होंगे.
समयसीमा: 83 जेट्स 2028 तक और 97 अतिरिक्त जेट्स 2031 तक डिलीवर होंगे.
निर्यात: नाइजीरिया, फिलीपींस, अर्जेंटीना, और मिस्र ने तेजस Mk-1A में रुचि दिखाई है.
भारत के लिए महत्व
IAF की जरूरत: मिग-21, मिग-27, और जगुआर जैसे पुराने जेट्स रिटायर हो रहे हैं. तेजस Mk-1A 31 स्क्वाड्रनों को बढ़ाकर 42 तक ले जाने में मदद करेगा.
आत्मनिर्भर भारत: तेजस में 65% स्वदेशी हिस्से और 6,300+ भारतीय वेंडर्स की भागीदारी इसे आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनाती है.
भविष्य: तेजस Mk-2 और AMCA (5वीं पीढ़ी) भारत की वायुसेना को और मजबूत करेंगे.
HAL की नासिक सुविधा से पहला तेजस Mk-1A जून 2025 के अंत तक IAF को मिलेगा, जो भारत के स्वदेशी रक्षा कार्यक्रम का मील का पत्थर है. GE F404 इंजनों की देरी ने प्रोग्राम को प्रभावित किया, लेकिन HAL ने नासिक और बेंगलुरु में उत्पादन बढ़ाकर और निजी कंपनियों को शामिल करके इसे ठीक करने की योजना बनाई है.
तेजस Mk-1A F-47, Su-57, और J-35A जितना उन्नत नहीं है, लेकिन इसकी कम लागत और स्वदेशी तकनीक इसे भारत के लिए महत्वपूर्ण बनाती है. IAF और HAL को मिलकर समयसीमा और गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी ताकि भारत की वायुसेना मजबूत हो सके.