ऑपरेशन सिन्दूर के बाद आज पहली बार आमने-सामने होंगे भारत और पाकिस्तान के Defence Ministers

नई दिल्ली

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक चीन के किंगदाओ में 25-26 जून को होगी. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार एक मंच पर भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री होंगे. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध और ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच यह सबसे बड़ा राजनयिक संवाद होगा.

गलवान में हिंसा के बाद भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव काफी बढ़ गया था. दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद तनाव को कम करने में मदद मिली. लेकिन अभी तक दोनों देशों के कई मुद्दों पर विवाद बना हुआ है. इस बीच चीन के किंगदाओ में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक 25-26 जून होने वाली है. इस बैठक में एक उच्च-स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री राजनाथ करेंगे. उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी रहेंगे. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध और ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच यह सबसे बड़ा राजनयिक संवाद होगा.

 बैठक में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच सहयोग सहित कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. वर्ष 2001 में गठित एससीओ एक अंतर-सरकारी संगठन है. भारत वर्ष 2017 में इसका पूर्ण सदस्य बना और वर्ष 2023 में इसकी अध्यक्षता की. एससीओ के सदस्यों में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं. चीन ने ‘शंघाई भावना की निरंतरता: गतिमान एससीओ’ थीम के अंतर्गत वर्ष 2025 के लिए एससीओ की अध्यक्षता संभाली है. गौरतलब है कि लगभग 6 साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू हुई है. दोनों देशों के बीच आने वाले समय में कई क्षेत्र में सहयोग बढ़ने की संभावना है. 

पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मुद्दा उठा सकता है भारत

भारत के लिए आतंकवाद बड़ा मुद्दा है. पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है. पाक प्रायोजित आतंकवाद के कारण ही भारत को ऑपरेशन सिंदूर करना पड़ा और इसके कारण भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था. इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 

एससीओ के सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को सामने रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए क्षेत्र में आतंकवाद व उग्रवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान करेंगे. साथ ही एससीओ में शामिल देशों के अंदर और अधिक व्यापार, आर्थिक सहयोग एवं संपर्क की आवश्यकता पर जोर देंगे. 

राजनाथ सिंह चीन और रूस सहित कुछ भागीदार देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे. भारत क्षेत्र में बहुपक्षवाद, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने में एससीओ को विशेष महत्व देता है. एससीओ संप्रभुता, राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, आपसी सम्मान, समझ और सभी सदस्य देशों की समानता के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है. ऐसे में क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आतंकवाद पर सभी को समान रवैया अपनाना होगा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री एक मंच पर मौजूद रहेंगे.

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