इंजीनियर के सुपुत्र ने कैश में खरीदी कार, आईपीएस ने किया प्यार का इजहार, पूर्व मंत्री के दामाद को छापे का डर
द इनसाइडर्स के इस अंक में पैसा, पावर और प्यार की मनोहर कहानियां वाले अनकहे व अनसुने किस्से दिलचस्प अंदाज में पढ़िए
कुलदीप सिंगोरिया | प्रसिद्ध दार्शनिक मार्क ट्वेन ने कहा था कि “राजनीति ही मात्र एक ऐसा पेशा है जहां चोरी कर सकते हैं, झूठ बोल सकते हैं, फिर भी सम्मानित हो सकते हैं..” यदि मार्क ट्वेन मध्यप्रदेश को जानते तो साथ में ब्यूरोक्रेसी या अफसरशाही को भी जोड़ लेते। अब और ज्यादा भूमिका न बनाते हुए मुद्दे पर आते हैं। इसलिए अब पढ़िए ब्यूरोक्रेसी यानी पावर कॉरिडोर के किस्से चटपटे अंदाज में…
इंजीनियर के पुत्र ने कैश में ली 25 लाख की कार
मध्यप्रदेश में पानी से संबंधित विभाग में संविदा पर नियुक्त एक प्रमुख अभियंता को एक संस्था ने उनके अभूतपूर्व कार्यों के लिए सम्मानित किया है। सम्मानित के लिए हमने ट्वेन साहब की पंक्ति ऊपर लिखी ही है, इसलिए चर्चा उनके अभूतपूर्व कार्यों की करते हैं। इंजीनियर साहब के एमबीए वाले सुपुत्र को अपने पिता की उपलब्धियों पर इतना गर्व है कि उसका प्रदर्शन करने के लिए प्रदेश की आर्थिक राजधानी में 25 लाख रुपए की कार खरीद ली, वह भी कैश में। पिता को इनकम टैक्स और ईडी का डर सताया तो उन्होंने जुगत भिड़ाई और तत्काल शोरूम पर फोन कर उसी विभाग में काम करने वाले ठेकेदार की कंपनी के नाम नया बिल बनाने का अनुरोध किया। शोरूम संचालक को पैसे से मतलब था, इसलिए उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया गया। ‘द इनसाइडर्स’ को यह भी पता चला है कि इस कंपनी में भी इंजीनीयर साहब का ही पैसा बेनामी रूप से लगा है। यही नहीं, कंपनी का मालिक उनके ही पूर्व मातहत का बेटा है।
इंजीनियर से संबंधित यह दो किस्से जानने के लिए क्लिक करें – 1. सचिव को प्रभारी प्रमुख सचिव बोलने या लिखने से संविदा ईएनसी नाराज
2. संविदा ईएनसी लिख कर मजे ले रहे हैं इंजीनियर
हूटर वाली मैडम से लोकायुक्त ने मांगा जवाब
आपको हमने ‘द इनसाइडर्स’ के एक अंक ( इस किस्से को पढ़ने के लिए क्लिक करें) एक आइएएस मैडम के लाल बत्ती और हूटर वाले प्रेम के बारे में बताया था। इन मैडम के खिलाफ लोकायुक्त में एक शिकायत हुई है। शिकायत में परिवहन विभाग से रिटायर हो चुके एक अफसर का नाम भी शामिल हैं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मैडम और रिटायर अफसर ने मिलकर बसों की खरीद और परमिट में गड़बड़ी की है। लोकायुक्त ने मैडम से जवाब के लिए नोटिस जारी कर दिया है।
छापा इंजीनियर पर, टेंशन में पूर्व मंत्रीजी के दामाद साहब
राजधानी को स्मार्ट करने वाली कंपनी में कार्यरत इंजीनियर के घर पर लोकायुक्त का छापा डला। छापे की सूचना जैसे ही पूर्व मंत्री के दामाद को लगी, तो उनके चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी। दरअसल, दामाद साहब भी आईएएस अफसर हैं और इंजीनियर से इनकी दोस्ती धार्मिक नगर में पदस्थापना के दौरान से हैं। इसके बाद दामाद साहब भोपाल आए तो यहां भी इंजीनियर को बुला लिया। इंजीनियर ने आते ही ठेकेदारों को साहब के नाम से धमकाकर कमीशन दोगुना कर लिया था। अब साहब को चिंता सताए जा रही है कि लोकायुक्त के हाथ इंजीनियर और उनके बीच हुए ट्रांजेक्शन न मिल जाए। बता दें कि दामाद साहब के ससुर साहब यानी पूर्व मंत्री जी भी लाइसेंस के खेल में खूब आबाद हुए थे।
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पीएस को छुट्टी के लिए नियम बताना भारी पड़ा
हाल ही में हुए तबादला सूची में एक प्रमुख सचिव के तबादले की एक वजह छुटिटयां भी बनी। छुट्टियां वे खुद नहीं ले रहे थे, बल्कि मातहतों की छुट्टी के आवेदन में नियम प्रक्रिया बताकर अड़ंगा डाल रहे थे। एक सीनियर ऑफिसर इलाज के लिए छुट्टी चाह रहे थे, लेकिन प्रमुख सचिव महोदय ने लिख दिया कि छुट्टी का आवेदन 21 दिन की समय-सीमा में नहीं आया। फिर क्या था, सीनियर अफसर ने दिल्ली से लेकर संघ तक फोन घनघना दिए। साहब का तबादला हुआ और फिर नए आए अपर मुख्य सचिव ने तत्काल सीनियर अफसर को इलाज के लिए प्रदेश से बाहर जाने की अनुमति दे दी। वैसे प्रमुख सचिव महोदय इससे पहले बिजली से संबंधित वाले विभाग में थे। यहां इंजीनियरों ने उनकी जमकर खातिरदारी की थी। इसलिए जब वे इस विभाग में आए तो यहां भी कुछ ऐसी ही उम्मीद थी। लेकिन यह विभाग वर्दी वालों को था, इसलिए वर्दी वालों के प्रमुख से लेकर सबने बता दिया कि सत्ता भले आईएएस के पास होती है, लेकिन पावर तो वर्दी में होता है।
शासन तक पहुंची आईपीएस की प्रेम कहानी
प्रेम के बारे में इतना कुछ कहा, लिखा और पढ़ा गया है कि इस पर बात न करते हुए सीधे मुद्दे की बात पर आते हैं। राजधानी में पदस्थ एक आईपीएस अफसर अपनी पत्नी के अलावा भी एक और महिला के प्रेम में पड़ गए हैं। महिला भी वर्दी वाली है। हाल ही में एक थाने में ही यह जोड़ा मिलन के लिए पहुंचा था। इसलिए जंगल की आग की तरह पूरे महकमे में इनकी प्रेम कहानी फैल गई। फिलहाल, शासन तक यह खबर पहुंच गई है और जल्द ही अफसर पर कार्रवाई भी हो सकती है।
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कलेक्टर मैडम को सीएम की सीनियर टीम पर भी विश्वास नहीं
नर्मदा किनारे वाले एक जिले की कलेक्टर मैडम को मुख्यमंत्री की टीम के सीनियर अफसरों पर ही भरोसा नहीं है। सीएम के विश्वस्त अफसर ने मैडम को फोन लगाकर मुख्यमंत्री से संबंधित एक काम बताया। इस पर मैडम ने सीएम सचिवालय में पदस्थ दूसरे अफसर को फोन लगाकर पूछताछ की। दोनों अफसर ने आपस में बात कर मामले को क्लीयर किया और फिर मैडम की क्लास लगा दी। सीएम के विश्वस्त अफसर का कहना था कि वे यहां सीएम के काम के लिए हैं, न कि पर्सनल काम के लिए। ऐसे में कलेक्टर की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वह दूसरे अफसर को फोन लगाए। और काम भी कोई गैरकानूनी नहीं था, जो कि भरोसा न किया जाए। बता दें कि मैडम के पिता का संघ में काफी दखल है। इसलिए संगठन की तरफ से उनकी नियुक्ति का आदेश हुआ था। इसके बाद भी वे स्थानीय नेताओं तक से नहीं मिलती हैं।
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आईएएस ने महिला जिला पंचायत सभापति से कहा- देख लूंगा
अपनी शादी के भोज के लिए पंचायतों से कलेक्शन करने वाले एक आईएएस के तेवर देखते ही बनते हैं। साहब की मनमानी का आलम यह है कि वे जनप्रतिनिधियों को ही आंख दिखाने लगे हैं। हाल ही में उन्होंने बिना सूचना दिए जिला पंचायत की एक मीटिंग बुला ली। मीटिंग की सभापति महिला जनप्रतिनिधि ने उन्हें कहा कि इसकी सूचना समय से दी जानी चाहिए तो अफसर उन पर बिगड़ते हुए बोला- देख लूंगा। महिला भी भाजपा से जुड़ी हैं। उन्होंने तत्काल कलेक्टर को शिकायत की। महिला का कहना है कि सीईओ ने सूचना नहीं दी इसलिए सदस्य नहीं आ पाए। कोरम पूरा ने होने पर भी बैठक कर रहे थे। इसका विरोध करने में उन्हें ऑफिस में काफी देर इंतजार करवाया। यही नहीं ऑफिस में वाशरूम इतने गंदे थे कि वहां बड़ी मुश्किल से बैठा जा पा रहा था और अफसर अपने चैंबर में बैठे गपशप में मगन थे।
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आईएएस का गनमैन शौक
स्मार्ट वाली एजेंसी में पदस्थ एक आईएएस का गनमैन शौक सुर्खियों में है। साहब को गनमैन की पात्रता नहीं है, लेकिन रूतबा झाड़ने के लिए वे 24 घंटे इसके साथ घूमते हैं। यह भी तब जबकि, विभाग के कमिश्नर (सीएम सचिवालय का भी प्रभार है) और पीएस भी गनमैन नहीं रखते हैं। उनके साथ संचालनालय में अन्य आईएएस भी हैं लेकिन किसी को भी यह सुविधा नहीं मिली हुई है। ऐसे में साहब ने गनमैन की जुगाड़ कैसे की है, इसकी खोजबीन चल रही है।
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आईपीएस नारकोटिक्स विंग में करेंगे देश की सेवा
मध्यप्रदेश के एक सीनियर आईपीएस जो कि दिल्ली में प्रदेश की एक एजेंसी में पदस्थ हैं, वे अब डेपुटेशन पर केंद्र सरकार के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में जाएंगे। इसके लिए उन्होंने गृह विभाग को आवेदन कर दिया है। सब कुछ ठीक रहा तो उन्हें जल्द ही डेपुटेशन की अनुमति मिल जाएगी।
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