बिहार के अनुभव के बाद दिल्ली में SIR की दिशा में चुनाव आयोग की पहल

नई दिल्ली 
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का मामला गरमाया हुआ है। आरजेडी और कांग्रेस ​सहित सभी विपक्ष दल चुनाव आयोग और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। SIR का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। चुनाव आयोग SIR को देशभर में लागू करने का विचार कर रहा है। इसी बीच खबर आ रही है कि बिहार के बाद देश की राजधानी दिल्ली में इसको लागू किया जाएगा। आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन जमीनी स्तर पर सभी तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। यह कदम राष्ट्रीय राजधानी के लाखों मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।

तैयारियों का जायजा
चुनाव आयोग ने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) की नियुक्ति पूरी कर ली है। जिला निर्वाचन अधिकारी, निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी, सहायक निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी और BLOs को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। BLOs अब घर-घर जाकर जनगणना प्रपत्र (Enumeration Form) भरवाएंगे, जो दो प्रतियों में वितरित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया 2002 के SIR की तर्ज पर हो रही है, जिसमें 2002 की मतदाता सूची और वर्तमान सूचियों का मिलान किया जाएगा।
 
दस्तावेजों की आवश्यकता
जनता से अपील की गई है कि वे CEO दिल्ली की वेबसाइट पर 2002 की मतदाता सूची और विधानसभा क्षेत्रों का मिलान (Mapping) देखें। लिंक उपलब्ध हैं: https://www.ceodelhi.gov.in/ElectoralRoll_2002.aspx (2002 सूची) और https://ceodelhi.gov.in/SIR2025.aspx (मिलान के लिए)। यदि किसी का नाम 2002 और 2025 दोनों सूचियों में है, तो गणना प्रपत्र के साथ 2002 सूची का अंश जमा करना होगा। अगर नाम 2002 में नहीं है लेकिन माता-पिता का है, तो पहचान पत्र, गणना प्रपत्र और माता-पिता की 2002 सूची का अंश आवश्यक है। दस्तावेजों के बिना प्रपत्र अमान्य माना जाएगा।

फर्जी वोटिंग पर लगेगी लगाम
यह SIR मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधारने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा। BLOs के दौरे से घर-घर पहुंच सुनिश्चित होगी, खासकर बुजुर्गों और दूरस्थ क्षेत्रों के लिए। चुनाव आयोग का मानना है कि इससे मतदान प्रतिशत बढ़ेगा और फर्जी वोटिंग रुकेगी। CEO दिल्ली कार्यालय ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रक्रिया पारदर्शी रहे। जनता से आग्रह है कि नाम, पिता/माता का नाम सत्यापित करें। यह संवैधानिक दायित्व का हिस्सा है, जो दिल्ली के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करेगा।

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