धूल के कणों में भारी वृद्धि, 98% शहरों में बढ़ा प्रदूषण; MP की हवा बनी दम घोंटू

भोपाल
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का संकट बना हुआ है. दिल्ली में एक्यूआई 400 के पास दर्ज हो रहा है लेकिन वायु प्रदूषण के मामले में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई शहर दिल्ली के रास्ते पर चल रहे हैं. प्रदेश के कई शहरों में पॉल्यूशन का स्तर लगातार बढ़ रहा है.मध्य प्रदेश में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम के ताजा आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 98 प्रतिशत शहरों में पीएम 2.5, यानी धूल के बारीक कणों का स्तर बढ़ा हुआ है।
प्रदेश में वायु गुणवत्ता को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले सालों में शहरी क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों में कम हुई पेड़ों की संख्या, मौसम में बदलाव और कई दूसरे कारणों से वायु की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है.
ग्वालियर में भी स्थिति चिंताजनक ग्वालियर में भी स्थिति चिंताजनक है। महाराज वाड़ा में 308, डीडी नगर में 309 और सिटी सेंटर में 243 AQI मिला। इनमें से महाराज वाड़ा और डीडी नगर की हवा बेहद खराब श्रेणी में रही, जबकि सिटी सेंटर कुछ कम प्रदूषित, लेकिन पुअर कैटेगरी में रहा। इंदौर में अलग-अलग स्थानों पर अलग स्थिति देखने को मिली। छोटी ग्वालटोली में 304 AQI वेरी पुअर रहा, जबकि एयरपोर्ट पर 155, रेसीडेंसी एरिया में 103 और खंडवा रोड के आसपास 155 के आसपास AQI मॉडरेट मिला।
कोहरा और सर्दी में इसलिए बढ़ता है प्रदूषण पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि ठंड के सीजन में आम तौर पर एक्यूआई बढ़ता ही है। ठंड में वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैस एक्सपेंड नहीं हो पातीं व वायुमंडल में ठहरी रहती हैं। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, गैस व धूल के कण वायुमंडल में देर तक ठहरते हैं। इससे AQI बढ़ता है। इसी के साथ अधिक कोहरे की वजह से भी कई बार वायुमंडल में मौजूद हानिकारक गैस डिजॉल्व नहीं हो पाती हैं।
कैसी है प्रदेश के शहरों की हवा?
भोपाल
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है. मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक राजधानी भोपाल का एक्यूआई इंडेक्स 300 के पार पहुंच गया है. भोपाल के पर्यावरण परिसर में हवा की गुणवत्ता वैरी पुअर कैटेगिरी की रिकॉर्ड की गई. यहां एक्यूआई का स्तर 304 पहुंच गया.
इसी तरह भोपाल के कलेक्टोरेट एरिया में एक्यूआई 321 रिकॉर्ड किया गया, जबकि इससे भी ज्यादा खराब स्थिति भोपाल के टीटी नगर क्षेत्र की रही, यहां एक्यूआई का स्तर 347 तक पहुंच गया. यहां की स्थिति प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों से भी खराब है.
ग्वालियर
ग्वालियर में भी वायु की गुणवत्ता वैरी पुअर कैटेगिरी की स्थिति में पहुंच गई. ग्वालियर के महाराज बाड़ा में एक्यूआई का स्तर 310 पहुंच गया. वहीं ग्वालियर डीडी नगर में इसका स्तर 310 आंका गया.
इंदौर
प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहीं जाने वाली इंदौर के छोटी ग्वालटोली में भी एक्यूआई का स्तर 300 पार पहुंच गया.
जबलपुर
जबलपुर की आबोहवा अपेक्षाकृत बेहतर है. यहां वायु की गुणवत्ता दूसरे बड़े शहरों के मुकाबले अच्छी है. जबलपुर में एक्यूआई का स्तर 243 रिकॉर्ड किया गया, हालांकि यह पुवर कैटेगिरी है.
सागर
सागर में भी वायु प्रदूषण पुअर कैटेगिरी में पहुंच गया है. सागर के कलेक्टोरेट क्षेत्र में एक्यूआई 311 पहुंच गया है, जबकि सागर के दीनदयाल नगर में एक्यूआई 147 रहा.
सिंगरौली
प्रदेश में वायु प्रदूषण के मामले में सबसे ज्यादा खराब स्थिति सिंगरौली में रिकॉर्ड की गई है. सिंगरौली में एक्यूआई का स्तर 356 पहुंच गया है.
प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के सेक्टर 2 में एक्यूआई का स्तर 338 और मंडीदीप में 321 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया.
प्रदेश के इन क्षेत्रों की हवा अच्छी
प्रदेश में वायु प्रदूषण के मामले में सबसे बेहतर स्थिति दमोह की आंकी गई. यहां एक्यूआई का स्तर 41 रहा और हवा में पीएम 10 का स्तर सिर्फ 40.48 रहा. दमोह में वायु की गुणवत्ता की कैटेगिरी गुड रही. इंदौर के रीजनल पार्क और पोलोग्राउंड में वायु प्रदूषण का स्तर ठीक रहा. खरगोन नगर पालिका में भी पॉल्यूशन का स्तर अच्छा आंका गया.
पर्यावरण विशेषज्ञ सुभाष सी. पांडे के अनुसार
सर्दियों में देर रात और सुबह हवा का दबाव कम होने से प्रदूषक नीचे जम जाते हैं।
इससे सुबह की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित होती है।
यह स्थिति फेफड़ों के रोगियों, हार्ट पेशंट, 5 साल से छोटे बच्चों और 60+ उम्र के लोगों के लिए बेहद खतरनाक है।
उन्होंने सलाह दी कि मॉर्निंग वॉक हलकी धूप निकलने के बाद ही करें, क्योंकि उस समय हवा में प्रदूषक ऊपर उठने लगते हैं।
जहां हवा साफ मिली, उसका कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि दमोह, खरगोन, रीजनल पार्क जैसे इलाकों में एक्यूआई Good या Satisfactory इसलिए मिला, क्योंकि इन स्थानों पर उद्योग और ट्रैफिक कम है। हवा तेज चलने से प्रदूषक जल्दी फैल जाते हैं। तेज हवा प्रदूषकों को जमीन से ऊपर ले जाती है, इसलिए ऐसी जगहों की हवा अपेक्षाकृत जल्दी साफ हो जाती है।



