दिव्यांग युवक बना आबकारी सब इंस्पेक्टर, 67 दिन बाद खुली घोटाले की पोल, नौकरी से हटाने की उठी मांग

सागर.
सागर जिले के एक युवक का 18 जनवरी 2025 को आबकारी सब इंस्पेक्टर के रूप में सिलेक्शन हुआ, लेकिन इसके ठीक 67 दिन बाद 26 मार्च को एक शिकायत की गई, और इसमें युवक का सिलेक्शन निरस्त कर दिव्यांग को लाभ दिए जाने की मांग की गई है. इसमें बड़ा झोल बताया गया है. हालांकि अभी न तो ट्रेनिंग शुरू हुई है और ना ही पोस्टिंग हो सकी है.
दरअसल, एमपीपीएससी 2022 का रिजल्ट 18 जनवरी 2025 को जारी हुआ था. इसमें सागर के गंभीरिया में रहने वाले सत्यम रजक का दिव्यांग कोटे से आबकारी सब इंस्पेक्टर के रूप में चयन हुआ है, लेकिन उज्जैन के प्रिंस यादव ने नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं और इसमें सत्यम रजक के ही सोशल मीडिया अकाउंट पर अपलोड फोटो को आधार बनाया है. इन फोटो में सत्यम कहीं बाइक पर, तो कहीं जीप चलाता हुआ नजर आ रहा.
ऐसे में प्रिंस का सवाल है कि जो व्यक्ति फराटे से मोटरसाइकिल या जीप चला लेता .है वह दृष्टिबाधित नहीं हो सकता, क्योंकि जो शख्स पूरी तरह से देखा नहीं सकता उसका ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन सकता है. ऐसे में या तो ड्राइविंग लाइसेंस गलत है या फिर दृष्टिबाधित सर्टिफिकेट, और यह है सर्टिफिकेट एमपीपीएससी 2022 का एग्जाम फॉर्म भरने से ठीक 4 दिन पहले जारी हुआ है. प्रिंस का सवाल यह भी है कि जो व्यक्ति साल 2017 है और 18 में पुलिस कांस्टेबल और जेल पहरी की फिटनेस की परीक्षा देता है. वह 2023 आते-आते दृष्टिबाधित कैसे हो गया.
क्या है पूरा मामला?
सत्यम रजक के सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद उज्जैन के रहने वाले एक युवक ने सिलेक्शन पर सवाल खड़े किए. उज्जैन जिले के महिदपुर रोड इलाके में रहने वाले प्रिंस यादव ने सत्यम रजक के सिलेक्शन को गलत बताते हुए मामले की जांच की मांग की है और सवाल उठाये है कि अगर सत्यम दृष्टिबाधित है तो उसका ड्राइविंग लइसेंस कैसे बना? और अगर उसकी आंख सही है और वो बाइक चला सकता है तो फिर उसका दृषिबधित का सर्टिफिकेट कैसे बना? अपनी शिकायत के साथ प्रिंस यादव ने सोशल मीडिया पर सत्यम रजक के बाइक चलाते हुए फोटो भी अटैच किये हैं.
SI सत्यम के खिलाफ सिविल सजर्न को पत्र
सागर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन को भेजे पत्र में प्रिंस यादव ने लिखा है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग इन्दौर द्वारा दिनांक 18 जनवरी 2025 को राज्य सेवा परीक्षा 2022 का अंतिम रिजल्ट (चयन) सूची जारी किया गया है. उक्त चयन सूची में पद कोड क्र. 17 के सरल क्र.44 पर आवकारी उपनिरीक्षक के पद पर चयनित हुए अभ्यर्थी अनावेदक सत्यम रजक पिता मिहीलाल रजक जिला सागर (म.प्र.) के निवासी हैं. जिनका रोल नं. 112789 है. उक्त अभ्यर्थी दृष्टिबाधित विकलांग कोटे से चयनित हुए है.
जबकि आवकारी उपनिरीक्षक पद पर चयनित हुए अभ्यर्थी अनावेदक सत्यम रजक को दृष्टि संबंधी कोई समस्या नहीं है. सत्यन रजक दो पहिया तथा चार पहिया वाहन दिन तथा रात में बड़ी ही आसानी से चलाते हैं. वाहन चलाने के प्रमाण के रूप में सत्यम रजक द्वारा अपने सोशल मीडिया फेसबुक एकाउंट पर शेयर की गई नवीनतम विभिन्न तस्वीर संलग्न है. जिनमें सत्यम रजक को दो पहिया तथा चार पहिया वाहन चलाते हुए स्पष्ट देखा जा सकता है. सत्यम रजक द्वारा अपना ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवाया गया है.
सत्यम रजक ने आरोपों को बताया बेबुनियाद
'आजतक' से सागर में बात करते हुए सत्यम रजक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनका ड्राइविंग लाइसेंस 2017 में बना था उस समय वह स्वास्थ्य था और पुलिस कांस्टेबल, जेल पहरी की परीक्षा भी दी थी. लेकिन कोरोना आने के बाद आंखों की बीमारी हो गई, 2021 के बाद लगातार यह बढ़ती गई और 2023 में विकलांगता के लेबल पर पहुंच गई. इसलिए उन्होंने यह सर्टिफिकेट बनवाया था.
वाहन चलाने को लेकर जो आरोप लगाए हैं उस पर सत्यम का कहना है कि आंखों की बीमारी 2021 में हुई है उसके पहले 2017 में ड्राइविंग लाइसेंस बना था उस समय दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाता था. वाहन अभी भी चला सकता हूं लेकिन दूसरों की सुरक्षा के हिसाब से ड्राइविंग करना बंद कर दिया है. जो फोटो वायरल किया जा रहे हैं वह 2021 से पहले के हैं और जो जीप वाला फोटो है वह ग्राउंड में खड़ी जीप में बैठकर खिंचवाया है. सत्यम का कहना है कि किसी के द्वारा निजी स्वार्थ में इस तरह की शिकायत की गई है और कुछ नहीं है.
सब इंस्पेक्टर के रूप में चयनित सत्यम रजत
लोकल 18 से बात करते हुए अपने ऊपर लगे आरोपो पर सफाई दी है…सबसे पहले उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस पर बात करते हुए कहा कि यह साल 2017 में मैंने बनवाया था. उसे समय मुझे कोई परेशानी नहीं थी. मैं अच्छे से दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाता था, लेकिन मुझे आंखों की बीमारी कोरोना आने के बाद 2021 से हुई है और 2023 आते-आते दिव्यांगता में बदल गई, मैंने काफी पहले फोर व्हीलर चलाना छोड़ दिया है.
दृष्टिबाधित सर्टिफिकेट को लेकर सत्यम बताते हैं कि उनकी आंखों में coats eils रिसीज नाम की बीमारी है जो रेटिना में क्लोटिंग करती हैं, कोरोना आने के बाद यह धीरे-धीरे बीमारी बढ़ती गई 2023 में बहुत ज्यादा हो गई. तब मैंने यह सर्टिफिकेट बनवाया था जब तक ठीक था तो उस समय साल 2017 में पुलिस की और 2018 में जेल पहरी की परीक्षा भी दी थी.
सोशल मीडिया पर अपलोड फोटो को 2021 के पहले का बताया है, कहा मुझे इस तरह की फोटो खिंचवाने का शौक है और जो जीप की फोटो है. वह ग्राउंड में खड़ी हुई गाड़ी है. उसमें मैंने फोटो खिंचवाया है, जो टू व्हीलर की फोटो है. वह 2018 की पुरानी फोटो है.
सत्यम ने बताया कि उनके पिता रिटायर्ड आर्मी मैन है, दो बहन है दोनों की शादी हो गई, जिसमें से एक बहन पीडब्ल्यूडी विभाग की एसडीओ हैं, बड़े भाई हैं जो ठेकेदार है, अगर कोई मेरी आंखें ठीक करवा दे, तो में यह नौकरी छोड़ने के लिए तैयार हूं. सत्यम ने बताया कि वह डॉक्टर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय में फॉरेस्ट साइंस से एमएससी की है और गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं.