खराब मौसम के बावजूद इन दिनों चारधाम यात्रा चरम पर, एहतियात बरतने की सलाह

देहरादून
 चारधाम यात्रा आसान नहीं है। खास तौर पर उनके लिए जो पूरी तरह से फिट नहीं है। कारण चढ़ाई वाले रास्ते और उस पर बदले मौसम के साथ हवा में ऑक्सीजन की कमी। ऐसे में दिल कमजोर है तो दिक्कत होनी स्वाभाविक है। खराब मौसम के बावजूद इन दिनों चारधाम यात्रा चरम पर है। ऐसे में कई तीर्थयात्री एहतियात नहीं बरत रहे हैं। जरा सी ढिलाई पर अब तक 162 तीर्थयात्रियों ने जान गवां दी है।

उत्तराखंड की चारधाम यात्रा विश्वभर में प्रसिद्ध है। एक तरफ खाई तो दूसरे तरफ पहाड़, पथरीले, घुमावदार व चढ़ाईनुमा रास्ता होने के बावजूद आस्था की डगर पर देश-दुनिया से आने वाले तीर्थयात्री मन्नतों की मंजिल की ओर बढ़ते दिख रहे हैं। यात्रा मार्ग पर जगह-जगह ब्लड प्रेशर समेत अन्य जरूरी जांच कर यात्रियों को आगाह किया जा रहा है लेकिन डॉक्टरों की सलाह को दरकिनार कर जोश में कम समय में यात्रा पूरी करने निकलने वाले लोग जान को खतरे में डाल रहे हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र देहरादून उप सचिव व ड्यूटी आफिसर शिव स्वरूप त्रिपाठी ने बताया कि चारधाम यात्रा में अब तक 162 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। केदारनाथ धाम में सबसे अधिक 77 तीर्थयात्रियों ने जान गवाई है। बद्रीनाथ धाम में अब तक 39, यमुनोत्री धाम में 29 व गंगोत्री धाम में 13 तो हेमकुंड साहिब में अब तक चार तीर्थयात्रियों की मौत हुई है।

त्रिपाठी ने बताया कि विषम भौगोलिक परिस्थितियां, पहुंच मार्ग पर चढ़ाई और बदलते मौसम से यात्रियों की तबियत खराब हो रही है, जिसमें कुछ को जान गंवानी पड़ रही है। समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ में ऑक्सीजन का दबाव काफी कम है। यहां मौसम के खराब होते ही चारों तरफ कोहरा छाने और बर्फबारी से दिन-दोपहर में ही सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। यहां कई यात्रियों को धड़कन बढ़ने, बेचैनी, चक्कर आने और सीने में दर्द की शिकायत होती है, जो हृदयाघात का कारण बनती है।

पहले जांच कराएं, दवा भी साथ रखें

मैदानी क्षेत्र से पहाड़ में आने के लिए यात्री पहले स्वास्थ्य जांच कराएं और अपने साथ जरूरी दवा जरूर रखें। केदारनाथ क्षेत्र में ऑक्सीजन 55 से 57 फीसदी है, जिसमें कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत होना आम है। ऐसे में जरूरी है कि पहले से एतिहात बरतें। केदारनाथ आने वाले यात्रियों को अपने साथ फर्स्ट-एड बॉक्स में छोटा ऑक्सीजन सिलेंडर शामिल करना चाहिए। साथ ही गर्म कपड़े अति आवश्यक हैं। साथ ही खाली पेट न रहा जाए और पीने के लिए गर्म पानी का उपयोग हो।

बीपी और शुगर जैसी बीमारी है तो बरतें सावधानी

अभी तक धामों में हुई मौतों में बीपी के मरीजों की संख्या अधिक है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अधिकांश तीर्थयात्री मेडिकल अनफिट हैं, जिन्हें बीपी, दमा व शुगर जैसी बीमारियां हैं। चढ़ाई चढ़ने पर अक्सर शुगर लेवल गिरने की संभावना रहती है, जिससे कार्डिएक अरेस्ट होने की संभावना रहती है। साथ ही यात्रा मार्ग पर अधिक चढ़ाई दमा के मरीजों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है।

यात्रा के लिए दें पूरा समय

अधिकांश यात्री ट्रेवलिंग एजेंसियों के चक्कर में आकर जल्द से जल्द चारधाम यात्रा पूर्ण करने का कार्यक्रम बनाते हैं, जो काफी खतरनाक है। चढ़ाई पर एक निश्चित सफर तय करने के बाद शरीर को आराम की आवश्यकता होती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की सलाह है कि तीर्थयात्री चारधाम यात्रा में जल्दबाजी न करें। यात्रा के लिए पर्याप्त समय निर्धारित करें। यदि किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो दवाइयां लेकर साथ चलें। यात्रा मार्गों पर स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान चिकित्सकों द्वारा दी गई सलाह पर गंभीरता से विचार करें।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button