मध्यप्रदेश में संभागों, जिलों और तहसीलों का सीमांकन नए सिरे से किया जाएगा, परिसीमन आयोग के गठन को मंजूरी
भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जल्द ही प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं का पुनर्गठन किया जाएगा। राज्य सरकार (MP Government) ने संभाग, जिला, तहसील और ब्लॉक जैसे प्रशासनिक क्षेत्रों की सीमाओं को भौगोलिक आधार पर फिर से तय करने का निर्णय लिया है। यह काम अक्तूबर के अंत तक शुरू होने की संभावना है। इसके लिए प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग में नियुक्तियों की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।
मध्यप्रदेश में संभागों, जिलों और तहसीलों का सीमांकन नए सिरे से किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने परिसीमन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। आयोग का अध्यक्ष रिटायर्ड एसीएस मनोज श्रीवास्तव को बनाया गया है। सदस्यों की संख्या पर निर्णय बाद में लिया जाना है।
.आम लोग इस आयोग को अपने क्षेत्र की प्रशासनिक संरचना को लेकर सुझाव दे सकेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार सुबह बीना रवाना होने से पहले एक वीडियो जारी कर यह जानकारी दी।
सीएम ने कहा- कई टोले, मजरे और पंचायतों के लोगों को जिला, संभाग, तहसील, विकासखंड जैसे मुख्यालयों तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि ऐसे क्षेत्रों से दूसरे जिले, संभाग, विकासखंड और तहसील मुख्यालय नजदीक हैं। कई संभाग बड़े-छोटे हो गए हैं। ऐसी विसंगतियां दूर करने के लिए नया परिसीमन आयोग बनाया गया है। इसके माध्यम से नजदीकी जिला मुख्यालय से जोड़कर जनता की बेहतरी के लिए जो अच्छा हो सकता है, वह करना है।
सीमाओं का सही परिसीमन नहीं होने के कारण कई क्षेत्रों के लोगों को मुख्यालयों तक पहुंचने में असुविधा होती है। कुछ गांव और पंचायतों को जिला, तहसील और विकासखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 100 से 150 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जबकि अन्य जिलों या तहसीलों के मुख्यालय उनके नजदीक होते हैं। इस असुविधा के समाधान के लिए प्रशासनिक पुनर्गठन इकाई आयोग द्वारा रिपोर्ट तैयार की जाएगी, इसके आधार पर नए सीमांकन का फैसला किया जाएगा।
सरकार ने इस पुनर्गठन के लिए एक विशेष आयोग का गठन किया है, जिसमें राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों क्षेत्रों के अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीमाओं के पुनर्गठन का काम आगे बढ़ाया जाएगा। हालांकि, राजनीतिक क्षेत्र से किन लोगों को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, यह अभी तय नहीं हुआ है। इस कदम से प्रदेश में प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन और सीमाओं का नया निर्धारण होगा, जिससे लोगों की समस्याएं कम होंगी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं सुचारू होंगी।
रिटायर्ड ACS को आयोग की जिम्मेदारी
सीएम ने कहा- अपर मुख्य सचिव स्तर के रिटायर्ड अधिकारी मनोज श्रीवास्तव को आयोग के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। सागर, उज्जैन, इंदौर, धार जैसे कई बड़े जिले हैं, जहां कई कठिनाइयां है। जैसे- बीना में रिफाइनरी बन गई, यह बड़ा स्थान हो गया। आने वाले समय में यहां युक्तिकरण के माध्यम से विचार किया जाएगा।
जैसे हमने पुलिस थानों की सीमाएं बदली थीं और जनता को थानों के नजदीक पहुंचाने का प्रयास किया था, उसी तरह प्रशासनिक दृष्टि से यह निर्णय भी कारगर सिद्ध होगा।
चुनाव के कारण रुकी थीं नियुक्तियां
27 फरवरी 2024 को कैबिनेट मीटिंग में प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग बनाने का फैसला किया गया था लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते नियुक्तियां नहीं हो पाई थीं। अब यह आयोग एक साल के लिए काम करेगा। जिलों का दौरा कर सुझाव लेने के बाद शासन को रिपोर्ट देगा।
हर विधायक कहेगा, मेरी विधानसभा को जिला बनाओ
उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा- जिलों का गठन विधायकों के कहने के अनुसार नहीं होना चाहिए। इसे जनता की मांग के अनुसार होना चाहिए। विधायक अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं। ये गलत है।
कल कोई भी नेता आकर खड़ा हो जाए…कहे कि मेरी विधानसभा या क्षेत्र को जिला बना दें। ये कोई मजाक है क्या? जिले की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था बनती है।