धर्मांतरण बिल राजस्थान में लागू, सदन में कांग्रेस का हंगामा और नए प्रावधानों की पूरी जानकारी

जयपुर 
राजस्थान में अब लालच, धोखे या डर दिखाकर धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाओं पर सख्त कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है. सरकार ऐसा कानून लाने जा रही है, जिसमें पहली बार बुलडोजर एक्शन को कानूनी रूप दिया जाएगा. नए धर्मांतरण विरोधी बिल में प्रावधान है कि गलत तरीके से धर्म परिवर्तन कराने वाले संस्थानों की इमारतों को सील करने और तोड़ने की कार्रवाई होगी. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजन बिल 2025 को दोबारा पेश किया गया है और इस पर बहस के बाद मंजूरी मिल सकती है. विपक्ष के हंगामे के बीच बिल पारित कर दिया गया.इस बिल में प्रावधान है कि नियम तोड़ने या अवैध कब्जे पर बने भवनों में ही बुलडोजर चलेगा. कार्रवाई से पहले प्रशासन और स्थानीय निकाय जांच करेंगे. बिल में यह भी साफ किया गया है कि अगर किसी जगह पर सामूहिक धर्म परिवर्तन होता है, तो उस संपत्ति को प्रशासन जब्त कर उसे तोड़ सकेगा.

बिल में सख्त प्रावधान शामिल
‘राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025’ में कई सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं, नए बिल में सजा और जुर्माने की राशि को कई गुना बढ़ाया गया है. बिल में जबरन, धोखे या लालच के जरिए धर्मांतरण कराने पर 7 से 14 साल की कैद और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. वहीं नाबालिग, दिव्यांग, महिला, अनुसूचित जाति (SC) या जनजाति (ST) के लोगों का धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

सामूहिक धर्मांतरण के मामलों सजा
इसके साथ ही सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और न्यूनतम 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं विदेशी या अवैध संस्थानों से फंड लेकर धर्मांतरण कराने पर 10 से 20 साल की सजा और 20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. बार-बार धर्मांतरण के अपराध में शामिल होने वालों को आजीवन कारावास और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं अगर शादी का मकसद सिर्फ धर्मांतरण है, तो ऐसी शादी को कानूनी रूप से अवैध घोषित किया जाएगा. ऐसी शादी को कोर्ट रद्द कर सकेगा.

जब्त होंगी संपत्तियां
इसके अलावा धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं के भवनों को सीज करने और नियमों के उल्लंघन या अतिक्रमण के मामले में तोड़ने का प्रावधान है. सामूहिक धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल होने वाली संपत्ति को प्रशासन द्वारा जब्त किया जाएगा. बुलडोजर चलाने से पहले नोटिस दिया जाएगा और 72 घंटे में कार्रवाई होगी.

मूल धर्म में लौटना धर्मांतरण की श्रेणी में नहीं आएगा
इसके साथ ही इस बिल में स्पष्ट किया गया है कि ‘घर वापसी’, यानी किसी व्यक्ति का अपने मूल धर्म में लौटना, धर्मांतरण की श्रेणी में नहीं आएगा. यह प्रावधान उन लोगों को राहत देता है जो स्वेच्छा से अपने मूल धर्म में वापस लौटना चाहते हैं. मूल धर्म में लौटने को घर वापसी कहा गया है और इसे धर्म परिवर्तन की परिभाषा से बाहर रखा गया है.

अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलना चाहता है, तो भी प्रशासन की मंजूरी जरूरी होगी. व्यक्ति को कम से कम 90 दिन पहले कलेक्टर या एडीएम को सूचना देनी होगी. धर्मगुरु को भी दो महीने पहले नोटिस देना होगा. सूचना सार्वजनिक की जाएगी और नोटिस बोर्ड पर चिपकाई जाएगी. इसके बाद 2 महीने तक आपत्तियां मंगाई जाएंगी. सुनवाई और आपत्तियों के निपटारे के बाद ही धर्म परिवर्तन मान्य होगा.
कांग्रेस ने किया सदन में हंगामा

इस बीच सदन में बिल के कई प्रावधानों पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने निरोध जताते हुए हंगामा किया. कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने विधेयक को लेकर कहा कि यह गलत तरीके से और गलत मंशा से लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह बिल न तार्किक रूप से सही है और न ही सामाजिक रूप से सही माना जा सकता. धारीवाल ने कहा कि इससे सांप्रदायिकता बढ़ेगी. यह बिल समाज को जोड़ने की बजाय बांटने का काम करेगा. बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस ने बहस में हिस्सा नहीं लिया और नारेबाजी करते हुए सदन में हंगामा किया.

 

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