कांग्रेस के ऐलान से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, विपक्षी एकता पर फिर संकट

मुंबई
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा सही से नहीं हो सका है। करीब आधा दर्जन सीटें तो ऐसी ही हैं, जहां महागठबंधन के ही दल यानी आरजेडी, कांग्रेस, वामदल ही फ्रेंडली फाइट में उतरेंगे। वहीं पूरे देश में INDIA अलायंस नाम वाले इस गठबंधन में महाराष्ट्र में भी खटास पैदा होती दिख रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस का कहना है कि हम निकाय चुनाव में अकेले उतरना पसंद करेंगे। पार्टी का कहना है कि हम उस गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ना चाहेंगे, जिसमें राज ठाकरे होंगे। सीनियर कांग्रेस लीडर और मुंबई के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप ने मंगलवार को यह बात कही।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज ठाकरे के साथ चुनाव में नहीं रहना चाहेगी और ना ही हम ऐसी स्थिति में उद्धव ठाकरे के साथ रहना चाहेंगे। हम अकेले लड़ना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के प्रभारी रमेश चेन्निथला के साथ नई गठित कमेटी ने मीटिंग की थी और तब यह मसला उठा था। फिलहाल इस बारे में कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया है। वहीं शिवसेना नेता आनंद दुबे ने भी भाई जगताप को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई फैसला तो राहुल गांधी या फिर मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे या फिर शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे लेंगे। भाई जगताप किस हैसियत से ऐसा बोल रहे हैं।
शिवसेना लीडर ने कहा कि हमें चुनौती मत दीजिए। हम शिवसेना हैं और पिछले चुनाव में हमने अकेले चुनाव लड़ा था और भाजपा को हराया था। हम अपने गठबंधन सहयोगियों का सम्मान करते हैं, लेकिन अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार हैं। कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी 2019 से सहयोगी हैं। इस गठबंधन की नींव एनसीपी नेता शरद पवार की ओर से 2019 में तब रखी गई थी, जब भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर विवाद हुआ था। तब उद्धव ठाकरे को सीएम बनाते हुए गठबंधन किया गया था। हालांकि 2022 में तब चीजें पलट गईं, जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी में ही फूट कर दी और 40 विधायक लेकर खुद ही भाजपा के सहयोग से सीएम बन गए।
हालांकि अब चीजें फिर से महाराष्ट्र में बदल रही हैं। उद्धव ठाकरे की अपने अपने बिछड़े चचेरे भाई के साथ फिर से नज़दीकी बढ़ती दिख रही है। तभी से सवाल उठ रहा है कि क्या वे गठबंधन का हिस्सा बनेंगे, जिसमें कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल हैं। गौरतलब है कि बीएमसी को एशिया का सबसे अमीर नगर निकाय कहा जाता है। इसी को लेकर राज और उद्धव के बीच समझौते की चर्चाएं हैं। महा विकास अघाड़ी के दूसरे सहयोगी शरद पवार इस पर क्या प्रतिक्रिया देंगे, इसका फिलहाल इंतजार है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के दबाव ने महागठबंधन के सहयोगियों को अलग कर दिया है। हालांकि कांग्रेस या लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल की ओर से ऐसा कोई कड़ा बयान नहीं आया है, लेकिन दोनों ही सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बना पाए हैं।