छत्तीसगढ़-बिलासपुर हाईकोर्ट ने सरकार से माइनिंग-मिनरल फंड इस्तेमाल पर पूंछा सवाल

बिलासपुर.

बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीएमएफ के एक मामले में राज्य शासन से पूछा है, कि डीएमएफ से मिलने वाली राशि का किन-किन जगहों पर इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट ने भिलाई स्टील प्लांट की माइनिंग प्रभावित क्षेत्र पर ज्यादा फोकस करते हुए राज्य शासन से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी है। बीएसपी की माइनिंग से प्रभावित इलाके में विकास कार्य की राशि नहीं देने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डीविजन बेंच में हुई। मामले की अगली सुनवाई सितंबर में होगी।

दरअसल दल्ली-राजहरा में भिलाई स्टील प्लांट द्वारा किये जा रहे माइनिंग और डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ट्रस्ट की पर्याप्त राशि प्रभावित क्षेत्र में नही दी जा रही है। जिसे लेकर कृष्णा सिंह ने अधिवक्ता अतुल केशरवानी के जरिए से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के मुताबिक बालोद जिले के दल्लीराजहरा में भिलाई स्टील प्लांट माइनिंग करा रहा है। जिससे पर्यावरण, गांव की कृषि भूमि और जनजीवन प्रभावित हो रहा है। नियमों के अनुसार जहां माइनिंग होती है वहां उससे होने वाले लाभ का कुछ अंश प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए रखा जाता है। लेकिन खनन प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए डीएमएफ से कुछ ही फंड दिया जा रहा है। बाकी फंड बालोद को दे दिया गया है। मामले में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डीविजन बेंच में सुनवाई हुई, इस दौरान याचिकाकर्ता ने अपनी ओर से रिज्वाइंडर प्रस्तुत किया। कोर्ट ने शासन से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी है, कि डीएमएफ की राशि का उपयोग दल्ली राजहरा इलाके में कहाँ-कहाँ किया गया है।

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