70 घंटे से बोरवेल में फंसी चेतना भूखी-प्यासी, माँ का बुरा हल, अभी तक नहीं निकला जा सका, अब सुरंग बनाई जाएगी, माँ का बुरा हल

जयपुर
राजस्थान के कोटपूतली में चार दिन के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी तीन साल की चेतना को बोरवेल ने निकाला नहीं जा सका है। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। मगर हर बीतते पल के साथ लोगों की उम्मीदें भी कम होती जा रही हैं। इसकी वजह यह है कि बोरवेल में गिरने के बाद बच्ची तक खाना और पानी पहुंचाया नहीं जा सका। पिछले 70 घंटे से बच्ची भूखी-प्यासी है। वहीं हादसे के बाद से मां धोली देवी ने भी कुछ नहीं खाया है।

खेलते हुए बोरवेल में गिरी बच्ची
तीन साल की चेतना पिछले चार दिन से 150 फुट गहरे बोरवेल में फंसी है। गुरुवार को बच्ची को बचाने का अभियान जारी रहा। दरअसल, सोमवार को कोटपूतली-बहरोड़ जिले के सरुंड थाना अंतर्गत बडियाली ढाणी में अपने पिता के कृषि फार्म में खेलते समय चेतना बोरवेल में गिर गई थी। स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें बचाव अभियान में जुटी हैं। बोरवेल के बगल में 170 फुट गहरा खड्ढा खोदा जा चुका है। अब रैट माइनर्स को इस गड्ढे में उतारा जाएगा। इसके बाद होरिजेंटल खुदाई की जाएगी।

सलामती के लिए प्रार्थना भी जारी
उधर, मां धोली देवी समेत सभी लोग चेतना की सलामती की खातिर प्रार्थना करने में जुटे हैं। शुरुआत में रिंग की मदद से बच्ची को बोरवेल से बाहर निकालने की कोशिश की गई। दो दिन तक लगातार कोशिशों के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद बुधवार सुबह एक पाइलिंग मशीन घटनास्थल पर लाई गई। इसके माध्यम से बोरवेल के समानांतर 170 फुट गहरा गड्ढा खोदा गया।

सुरंग से बच्ची तक पहुंचेंगे विशेषज्ञ
सरुंड एसएचओ मोहम्मद इमरान का कहना कि अब एक होरिजेंटल सुरंग बनाई जाएगी। इसके माध्यम से विशेषज्ञ लड़की तक पहुंचेंगे। बच्ची को बाहर निकालने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि बोरवेल संकरा होने की वजह से सफलता नहीं मिली है। मौके पर डॉक्टरों की एक टीम एंबुलेंस के साथ मौजूद है।

कलेक्टर भी घटनास्थल पर पहुंचीं
कोटपूतली-बहरोड़ जिले की कलेक्टर कल्पना अग्रवाल बुधवार देर रात गांव पहुंचीं। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया। अग्रवाल ने बताया कि रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है। काफी तैयारी के बाद खेत तक पाइलिंग मशीन पहुंची है। बता दें कि दो सप्ताह पहले दौसा जिले में एक पांच साल का बच्चा बोरवेल में गिर गया था। यहां रेस्क्यू ऑपरेशन लगभग 55 घंटे तक चला। मगर जब तक बच्चे को बाहर निकाला गया तब तक वह जिंदगी की जंग हार चुका था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button