सोनिया गांधी पर बड़ा सवाल, बीजेपी ने उठाया वोटर लिस्ट में नाम का मामला

नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उनका नाम उनके भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले मतदाता सूची में शामिल था.बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इटली में जन्मीं सोनिया गांधी का नाम 1980 में वोटर लिस्ट में जुड़ गया था, जबकि वह 1983 में भारतीय नागरिक बनी थीं.
वहीं, बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने X पर 1980 की एक वोटर लिस्ट की कॉपी शेयर की, जिसमें नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र के सफदरजंग रोड स्थित पोलिंग स्टेशन नंबर 145 की वोटर लिस्ट में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी, सोनिया गांधी और मेनका गांधी का नाम दर्ज था, अमित मालवीय का आरोप है कि उस समय सोनिया गांधी इटली की नागरिक थीं और यह कानून का उल्लंघन है.
अमित मालवीय ने दावा किया कि जनाक्रोश के बाद 1982 में सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया, लेकिन जनवरी 1983 में फिर से जोड़ा गया. उन्होंने कहा कि यह भी नियमों के खिलाफ था, क्योंकि उस समय भी उन्हें भारतीय नागरिकता 30 अप्रैल 1983 को मिली थी, जबकि वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए तय तारीख 1 जनवरी 1983 थी.
बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी का नाम दो बार बिना नागरिकता के ही वोटर लिस्ट में जोड़ा गया, जो चुनावी गड़बड़ी का साफ उदाहरण है. उन्होंने सवाल उठाया कि राजीव गांधी से शादी के 15 साल बाद ही उन्होंने भारतीय नागरिकता क्यों ली.
अमित मालवीय ने X पोस्ट में कहा कि भारत की मतदाता सूची के साथ सोनिया गांधी का रिश्ता चुनावी कानूनों के घोर उल्लंघनों से भरा पड़ा है, शायद यही कारण है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्षधर हैं और 'SIR' का विरोध करते हैं.
सोनिया गांधी पर बीजेपी का हमला
अमित मालवीय ने कहा कि सोनिया गांधी का जन्म 1946 में इटली में एडविज एंटोनिया अल्बिना माइनो के रूप में हुआ था, उन्होंने 1968 में राजीव गांधी से शादी की और भारत आ गईं. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के अनुसार जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है वह मतदाता सूची में पंजीकरण के लिए पात्र नहीं है. मालवीय ने कहा कि उनका (सोनिया का) नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में जोड़ा गया था, उनके भारतीय नागरिक बनने से 3 साल पहले. उस समय उनके पास इतालवी नागरिकता थी.
वोटर लिस्ट में दो बार जुड़ा नाम
उन्होंने दावा किया और लिखा, "दूसरे शब्दों में कहें तो, सोनिया गांधी का नाम बुनियादी नागरिकता की ज़रूरत पूरी किए बिना दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ। पहली बार 1980 में एक इतालवी नागरिक के रूप में, और फिर 1983 में, कानूनी तौर पर भारत की नागरिक बनने से कुछ महीने पहले। हम यह नहीं पूछ रहे कि राजीव गांधी से शादी करने के 15 साल बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में क्यों देरी हुई? अगर यह जबरदस्त चुनावी कदाचार नहीं है, तो और क्या है?"
SIR पर राहुल का हल्ला बोल जारी
लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने पिछले हफ्ते चुनाव आयोग द्वारा भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा था कि SIR के जरिए "वोट चोरी" की जा रही है। उन्होंने कथित वोट चोरी के खिलाफ एक अभियान भी शुरू किया है। उन्होंने पिछले हफ्ते वोट चोरी के अपने आरोपों को पुष्ट करने के लिए कई उदाहरण दिए कि कैसे वोट चुराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इसके लिए पांच तरीके अपनाए गए हैं- डुप्लिकेट मतदाता बनाए गए हैं, फर्जी और अमान्य पते वाले मतदाता बनाए गए हैं, थोक मतदाता या एक ही पते पर थोक में मतदाता बनाए गए हैं, अमान्य फोटो वाले मतदाता बनाए गए हैं और नए मतदाताओं के फॉर्म 6 का दुरुपयोग किया गया है।
कांग्रेस नेता ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग पर ‘‘एक व्यक्ति, एक वोट’’ के सिद्धांत को लागू करने का अपना कर्तव्य नहीं निभाने का आरोप लगाया और मतदाता सूची में अनियमितताओं के दावों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘अभी पिक्चर बाकी है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि यह संस्थागत चोरी है और एसआईआर के कारण बड़ी संख्या में नागरिक, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों जैसे कमजोर समूह, मताधिकार से वंचित हो जाएंगे, जिन्हें आवश्यक सख्त दस्तावेज प्रस्तुत करने में कठिनाई हो सकती है।
1980 में जोड़ा गया था पहली बार नाम
उस समय सोनिया गांधी और उनका परिवार देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास 1, सफदरजंग रोड पर रहता था। इससे पहले तक, उस पते पर पंजीकृत मतदाता के रूप में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी ही थे। 1980 में, नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर संशोधन किया गया। इस संशोधन के दौरान, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र संख्या 145 की मतदाता सूची में क्रम संख्या 388 पर जोड़ा गया था।"
वोटर लिस्ट में नाम शामिल होना, कानून का उल्लंघन: मालवीय
मालवीय ने आरोप लगाया, "मतदाता सूची में यह एंट्री उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन थी, जिसके तहत मतदाता के रूप में पंजीकरण के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना जरूरी है।" मालवीय ने दावा किया, “1982 में भारी विरोध के बाद, उनका नाम सूची से हटा दिया गया था और 1983 में फिर से वह नाम वोटर लिस्ट में शामिल कर लिया गया। लेकिन लिस्ट में उनके नाम की फिर से वापसी ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए।”
सोनिया को कब मिली थी नागरिकता?
मालवीय ने मामले को और स्पष्ट करते हुए लिखा है, “उस वर्ष मतदाता सूची के नए संशोधन में, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र 140 पर सीलिरयल नंबर 236 पर दर्ज था मोतदाता के रूप में और पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी, जबकि सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता ही 30 अप्रैल, 1983 को मिली थी।”