आकाश चोपड़ा ने समझाया, 3 कप्तानों की रणनीति टीम इंडिया के लिए कैसे बनी मुश्किल

नई दिल्ली
इस समय भारत की टेस्ट, वनडे और टी20 टीम के कप्तान और उपकप्तान अलग-अलग हैं। टेस्ट में शुभमन गिल कप्तान और ऋषभ पंत उपकप्तान हैं, जबकि वनडे में रोहित शर्मा कप्तान और शुभमन गिल उपकप्तान हैं। वहीं, टी20 क्रिकेट के लिए सूर्यकुमार यादव कप्तान और अक्षर पटेल उपकप्तान हैं। स्प्लिट कैप्टेंसी तब से शुरू हुई है, जब से रोहित शर्मा ने टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट और फिर टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट लिया है। ऐसे में पूर्व भारतीय क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने इस बात की वकालत की है कि भारतीय क्रिकेट टीम को अलग-अलग प्रारूपों के लिए अलग-अलग कप्तान नहीं बनाने चाहिए।

हालिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि भारत स्थायी रूप से विभाजित कप्तानी का विकल्प चुन सकता है, लेकिन आकाश चोपड़ा चाहते हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने फुटबॉल का उदाहरण दिया। चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर शेयर किए गए एक वीडियो में कहा, “एक कप्तान की भूमिका बहुत बड़ी होती है। कई टीम खेल ऐसे हैं, जहां कप्तान की भूमिका सीमित होती है। उदाहरण के लिए, फुटबॉल में, भूमिका बहुत सीमित होती है। मैनेजर ही खेल को बाहर से नियंत्रित करता है। क्रिकेट ऐसा नहीं है। क्रिकेट एक बहुत ही सहज खेल है। मैदान पर आप कप्तान को हर चीज समझा-समझाकर नहीं चला सकते। ऐसे में आपको थोड़ी निरंतरता चाहिए।”

आकाश चोपड़ा ने सुझाव दिया, "आम तौर पर, आपके पास एक टेस्ट कप्तान और एक अलग व्हाइट बॉल कैप्टन होता है। मैं दो कप्तानों के कॉन्सेप्ट को अभी भी समझ सकता हूं। हालांकि, तीन प्रारूपों के लिए तीन कप्तान होने से कुछ चीजें जटिल हो जाती हैं, क्योंकि तीनों प्रारूपों में कहीं न कहीं ओवरलैप होगा।" उनका मानना था कि खिलाड़ियों को अलग-अलग विचारधाराओं के अनुकूल ढलना प्रभावी नहीं होगा।

चोपड़ा ने इसी वीडियो में आगे उदाहरण देकर समझाया, "अगर आप देखें, शुभमन गिल और केएल राहुल टेस्ट और वनडे खेल रहे हैं और जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज तीनों प्रारूप खेल रहे हैं, तो अचानक आपको एहसास होता है कि दोनों में बहुत ज्यादा समानताएं हैं। अगर खिलाड़ी एक-दूसरे से मेल खाते हैं और कप्तान हर बार बदलता है और अलग सोच रखता है, तो इससे टीम का प्रदर्शन कमजोर होता है।"

 

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