12 राज्यों में एसआईआर की नई शुरुआत: आम आदमी के लिए क्या मायने रखता है?

नई दिल्ली

चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब 12 और राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का ऐलान किया है. इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्य भी शामिल हैं. एसआईआर की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होगी, जो 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के साथ पूरी होगी.

एसआईआर के लिए प्रिंटिंग और प्रशिक्षण का कार्य 28 अक्टूबर से शुरू हो गया है. यह कार्य 3 नवंबर तक चलेगा. बिहार में एसआईआर पर उठे सवाल, इसे लेकर हुए विवाद के बाद इसमें क्या बदलाव हुए हैं और आम मतदाता को इस दौरान क्या करना होगा?

दरअसल, देश के तीन केंद्र शासित प्रदेशों समेत 12 राज्यों में होने जा रहा एसआईआर बिहार से काफी अलग होगा. सबसे बड़ा बदलाव आधार कार्ड को लेकर है. बिहार में एसआईआर के दौरान पहचान के दस्तावेजों की लिस्ट में आधार को शामिल नहीं किया गया था, जिसे लेकर जमकर सियासी विवाद हुआ था. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट के निर्देश पर चुनाव आयोग को बाद में इसे दस्तावेज के तौर पर स्वीकार करना पड़ा था.

बिहार से कितना अलग होगा इस बार का एसआईआर

इस बार के एसआईआर के दौरान स्वीकृत किए जाने वाले दस्तावेजों की लिस्ट में एसआईआर पहले से ही शामिल है. दूसरा बड़ा बदलाव समय सीमा में देखने को मिल रहा है.

बिहार में एसआईआर का पहला चरण 27 जून को शुरू हुआ था और 1 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन हुआ था. बिहार में एसआईआर की पूरी प्रक्रिया करीब सवा दो महीने में पूरी हो गई थी. वहीं, इस बार एसआईआर का पहला चरण 4 नवंबर से शुरू हो रहा और मतदाता सूची का प्रकाशन 7 फरवरी को होना है. यानी इस बार एसआईआर की प्रक्रिया तीन महीने से भी अधिक समय तक चलनी है.

बिहार एसआईआर में उन सभी मतदाताओं से दस्तावेज मांगे गए थे, जिनके नाम 2003 के बाद वोटर लिस्ट में शामिल हुए थे. इस बार ऐसे कॉलम बनाए गए हैं, जिससे अंतिम एसआईआर में अगर पिता का नाम शामिल था तो बिना दस्तावेज ही उस व्यक्ति का नाम मान्य कर लिया जाएगा.

एक बदलाव यह भी हुआ है कि पिछली एसआईआर के समय किसी और राज्य में रहे व्यक्ति के रिश्तेदार या पुत्र को भी किसी दूसरे राज्य में भी दस्तावेज नहीं देना होगा. बिहार एसआईआर में ऐसा नहीं था.

एन्युमरेशन फॉर्म के साथ ही इस बार के एसआईआर में वोटर लिस्ट में नाम शामिल करवाने के लिए फॉर्म 6 भी भरा जा सकेगा. बिहार में ऐसा नहीं था. वहां एसआईआर के दूसरे चरण में फॉर्म 6 स्वीकार किए गए थे.

दूसरे चरण में भी बदलाव

एसआईआर का दूसरा चरण भी बिहार से अलग होगा. 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में एसआईआर का दूसरा चरण दावे और आपत्तियों का होगा. इस बार उन सभी को नोटिस भेजा जाएगा, जिनके नाम वोटर लिस्ट में नहीं जोड़े जा सके हैं. उन सभी की सुनवाई भी की जाएगी. बिहार में ऐसा नहीं था. बिहार नोटिस केवल उनको ही भेजा गया था, जो डॉक्यूमेंट्स नहीं दे पाए थे.

इन राज्यों में होना है एसआईआर

बिहार के बाद जिन 12 राज्यों में एसआईआर होनी है, उनमें तीन केंद्र शासित प्रदेश- पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप भी शामिल हैं. एसआईर के इस फेज में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं. इसके लिए 5 लाख 33 हजार बूथ लेवल ऑफिसर्स की ड्यूटी लगाई गई है और 7 लाख 64 हजार के करीब राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे.

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