पर्यावरण दिवस से जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए प्रदेशभर में अभियान चलाया जाएगा

भोपाल
 पांच जून पर्यावरण दिवस से जल स्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए प्रदेशभर में अभियान चलाया जाएगा। दस दिनों के इस अभियान में हर जिले में नदी, कुआं, तालाब, बावड़ी आदि को स्वच्छ रखने और आवश्यकता होने पर उनका गहरीकरण किया जाएगा।

यह कार्य समाज की भागीदारी से होगा, जिससे जल स्रोतों के प्रति समाज में चेतना जागृत करने और जनसामान्य का जल स्रोतों से जीवंत संबंध विकसित करने में मदद मिलेगी। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इस अभियान का नेतृत्व जनप्रतिनिधि करेंगे और जिला कलेक्टर समन्वय करेंगे। यह जानकारी मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने जारी संदेश में दी।

उन्होंने कहा कि जन सहभागिता से जल संरचनाओं का चयन किया जाए और जल स्रोतों के संरक्षण के लिए जनजागृति के कार्यक्रम चलाए जाएं। इससे भविष्य के लिए जल संरक्षण के संबंध में कार्य योजना बनाने में मदद मिलेगी।

पांच से 15 जून के बीच होने वाले धार्मिक कार्यक्रम जैसे उज्जैन की क्षिप्रा परिक्रमा, चुनरी उत्सव, नर्मदा जी के किनारे होने वाले धार्मिक कार्यक्रम भी पूरी श्रद्धा के साथ आयोजित किए जाएं। प्रदेश में 212 से अधिक नदियां हैं। पेयजल आपूर्ति में नदियां, बावड़ियां, कुएं व तालाब महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जल संरचनाओं को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा

अभियान के दौरान नदियों और तालाबों से निकलने वाली मिट्टी किसानों को खेतों में उपयोग के लिए उपलब्ध कराई जाएगी। जल संरचनाओं को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा। ऐसे स्थानों को समाज के लिए संरक्षित किया जाएगा। प्रारंभिक रूप से अभियान पांच से 15 जून तक चलाया जाएगा। इसके बाद आवश्यकता अनुसार अवधि बढ़ाई जा सकती है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा नगरीय विकास एवं आवास होंगे

नोडल विभागनमामि गंगे परियोजना के नाम से आरंभ हो रहे जलस्रोतों के संरक्षण और पुनर्जीवन के विशेष अभियान के लिए ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा नगरीय क्षेत्र में नगरीय विकास एवं आवास, नोडल विभाग होंगे। जल संरचनाओं के चयन और उन्नयन कार्य में जीआइएस तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इन स्थलों की मोबाइल एप के माध्यम से जियो टैगिंग की जाएगी। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से जल संरचनाओं के आसपास स्वच्छता बनाए रखने, जल संरचनाओं के किनारों पर अतिक्रमण रोकने के लिए फेंसिंग के रूप में पौधारोपण करने जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

जल संरचनाओं के किनारों पर बफर जोन तैयार कर उन्हें हरित क्षेत्र या उद्यान के रूप में विकसित किया जाएगा। जल संरचनाओं में मिलने वाले गंदे पानी के नाले-नालियों को स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत डायवर्जन उपरांत शोधित कर जल संरचनाओं में छोड़ा जाएगा।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए चलेगा जागरूकता अभियान

अमृत 2.0 योजना के अंतर्गत जल संरचनाओं के उन्नयन का कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता से कराया जाएगा। इसके अंतर्गत नदी, झील, तालाब, कुओं, बावड़ी आदि के पुनर्जीवीकरण, संरक्षण व संरचनाओं के उन्नयन का कार्य स्थानीय सामाजिक, प्रशासकीय संस्थाओं के साथ मिलकर जनभागीदारी से कराए जाएंगे। प्रयास होगा कि जल संरचनाओं का उपयोग जल प्रदाय अथवा पर्यटन, भू-जल संरक्षण, मत्स्य पालन अथवा सिंघाड़े के उत्पादन के लिए भी किया जा सके। रिहायशी इलाकों में बंद पड़े रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की साफ-सफाई कर उनके पुन: उपयोग के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।

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