Ajit pawar को कॉपरेटिव बैंक घोटाले में मिली क्लीन चिट
मुंबई
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को बड़ी राहत मिली है। आर्थिक अपराध शाखा यानी EOW की तरफ से उन्हें 25 हजार करोड़ के महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में क्लीन चिट मिल गई है। इसके अलावा भतीजे रोहित पवार से जुड़ी कंपनियों को भी क्लीन चिट दी गई है। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय या ED की तरफ से दाखिल चार्जशीट में बताया गया था कि गुरु कमोडिटी और जरांदेश्वर शुगर मिल्स ने लीज को वास्तविक दिखाने के लिए कागजों पर लेनदेन किया था।
EOW की तरफ से दाखिल क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि जरांदेश्वर को-ऑप शुगर मिल को गुरु कमोडिटी से जारांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को रेंट पर लेने में कोई भी अवैध गतिविधि शामिल नहीं है। EOW की तरफ से रोहित पवार से जुड़ी कंपनियों को भी क्लीन चिट मिली है, जहां कहा गया था कि जब बारामती एग्रो ने कन्नड़ शुगर मिल खरीदी, तब उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी थी। साथ ही यहां फंड का कोई डायवर्जन नहीं हुआ है। इस दौरान पूर्व मंत्रि प्राजक्त तानपुरे को भी क्लीन चिट मिली है।
MSCB के पास 31 कॉ-ऑपरेटिव बैंक हैं, जिनमें अधिकांश के नाम जिलों पर रखे गए हैं और इनके प्रमुख राजनेता हैं। साल 2002 से 2017 के बीच MSCB ने को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रियों को लोन दिए थे और बाद में उनकी जमीनों के साथ इनकी सस्ते दामों में नीलामी कर दी गई थी। ये नीलामियां डिफॉल्ट लोन की वसूली के तौर पर दिखाने के लिए अधिकांश बैंक के प्रमुखों के रिश्तेदारों की गई थीं।
खास बात है कि इस मामले की जांच कर रही EOW ने साल 2020 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन बाद में अजित पवार और भतीजे रोहित पवार की जांच के लिए कोर्ट पहुंची और फाइल दोबारा खोलने की मांग की। जनवरी में EOW ने दूसरी रिपोर्ट दाखिल की थी और केस को बंद करने की मांग की। विंग का कहना था कि अजित समेत किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।
रिपोर्ट में क्या
क्लोजर रिपोर्ट में कहा गया है कि जरांदेश्वर को-ऑप शुगर मिल की साल 2010 में नीलामी के लिए 13 टेंडर मिले थे। इसे अंधेरी की गुरु कमोडिटीज सर्विसेज को 65.8 करोड़ रुपये में बेच दिया गया था, जिसके मालिक ओमकार बिल्डर थे। गुरु कमोडिटीज ने इसके बाद मिल को लंबे समय के लिए नई कंपनी जरांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया था।
जरांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अजित पवार के रिश्तेदार राजेंद्र घाडगे थे। कंपनी के बनने के दो सप्ताह बाद ही 19 नवंबर 2010 को जय एग्रोटेक से इसे 20.3 करोड़ रुपये मिले। EOW की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुनेत्रा पवार जय एग्रोटेक की डायरेक्टर थीं, लेकिन 2008 में पद से इस्तीफा दे दिया था। विंग का कहना है कि लेनदेन में कोई गलत गतिविधियां नहीं हुई हैं और MSCB को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
पहली और दूसरी रिपोर्ट
कोर्ट में पहली रिपोर्ट के विरोध में याचिकाएं दाखिल होने के बाद EOW ने पहली क्लोजर रिपोर्ट खोली थी। तब ईडी ने दूसरी क्लोजर रिपोर्ट का भी विरोध किया था। जांच एजेंसी का कहना था कि उसकी तरफ से चार्जशीटों में अजित और तानपुरे से जुड़ी मिलों के मामलों में शामिल किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के केस में असर पड़ेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि अब त 1 हजार 343 करोड़ रुपये की रिकवरी हो चुकी है।
दूसरी रिपोर्ट में EOW मुख्य रूप से रिटायर हो चुके मुख्य जिला न्यायाधीश पंडितराव बापूराव जाधव की तरफ से जुटाई गई जानकारियों पर निर्भर थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि MSCB बैंक को कोई नुकसान नहीं हुआ है और को-ऑप शुगर मिलों को दिए गए लोन और उनकी नीलमी में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था। विंग ईडी की चार्जशीट में आरोपियों के तौर पर शामिल किए गए लोगों के बयानों पर भी निर्भर रही।