आरएनटीयू के कृषि संकाय द्वारा किसानों को उन्नत खेती और नवाचारों से जोड़ा गया

भोपाल
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड' (IFFCO) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय कृषक प्रशिक्षण एवं भ्रमण कार्यक्रम का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर संजीव सिंह, फील्ड मैनेजर इफ्फको, डॉ. डी. के. सोलंकी, भोपाल के राज्य विपणन प्रबंधक इफ्फको, डॉ. राजेश वर्मा, कृषि महाविद्यालय सीहोर के पूर्व अधिष्ठाता, संतोष रघुवंशी, भोपाल इफ्फको के उप प्रबंधक, कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर आरएनटीयू ने की। वहीं कार्यक्रम के तीसरे दिन समापन अवसर पर विजय द्विवेदी, क्षेत्रीय प्रबंधक इफ्फको, संजीव कुमार, इफ्फको भोपाल के क्षेत्र प्रबंधक सहित शुभारंभ समापन अवसर पर आरएनटीयू कृषि संकाय के डीन डॉ. एच. डी. वर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार वर्मा विशेष रूप से उपस्थित थे।

इस अवसर पर डॉ. अदिति चातुर्वेदी वत्स ने कृषि समुदाय में कृषि की भूमिका पर प्रकाश डाला तथा कृषि संकाय में उपलब्ध सुविधाओं, जैसे कृषि अनुसंधान केंद्र, पॉलीहाउस, जैविक उत्पादन प्रणाली, तथा जैविक प्रमाणित 8 एकड़ खेत के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कृषि संकाय, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय को आईसीएआर, नई दिल्ली से मान्यता प्राप्त है एवं विश्वविद्यालय में नवाचार हेतु अटल इनक्यूबेशन सेंटर संचालित किया जा रहा है।

संजीव सिंह, फील्ड मैनेजर इफ्फको ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की महत्ता को रेखांकित करते हुए ईटखेड़ी, भोपाल स्थित अनुसंधान केंद्र तथा अन्य नर्सरियों के भ्रमण की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण में विभिन्न जिलों जैसे सीहोर, नर्मदापुरम, रायसेन, बैतूल आदि से कृषकों ने भाग लिया।

डॉ. डी. के. सोलंकी, भोपाल के राज्य विपणन प्रबंधक इफ्फको ने फसलों में पोषक तत्वों की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि फसलों को 17 आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, किंतु किसान प्रायः केवल एनपीके उर्वरकों का ही प्रयोग करते हैं। उन्होंने संतुलित उर्वरक प्रयोग एवं नैनो उर्वरकों, जैसे नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी, के उपयोग की सलाह दी।

डॉ. राजेश वर्मा, कृषि महाविद्यालय सीहोर के पूर्व अधिष्ठाता ने फसलों में एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM) पर व्याख्यान दिया। उन्होंने चना, अरहर, गेहूं, धान, मक्का आदि फसलों में लगने वाले विभिन्न कीट और रोगों की पहचान एवं उनके नियंत्रण के उपायों के बारे में बताया।  

संतोष रघुवंशी, भोपाल इफ्फको के उप प्रबंधक ने इफको के विभिन्न उत्पादों पर जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से नैनो यूरिया और नैनो डीएपी उर्वरकों पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने उर्वरकों के प्रयोग की विधियों, बीज उपचार तकनीकों तथा इफको द्वारा शुरू किए गए संकट हरण बिमा योजना और ड्रोन तकनीक के उपयोग के बारे में बताया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन किसानों ने फलों के अनुसंधान केंद्र और आधुनिक फल एवं सब्जी नर्सरी का भ्रमण किया। इस दौरान किसानों ने आम, अमरूद सहित विदेशी फलों जैसे ड्रैगन फ्रूट, कीवी आदि की विभिन्न प्रवर्धन तकनीकों के बारे में सीखा।

वहीं कार्यक्रम के तीसरे दिन समापन अवसर पर विजय द्विवेदी, क्षेत्रीय प्रबंधक इफ्फको ने किसानों को इफको परियोजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने ‘किसान सुरक्षा बीमा योजना’ और ‘इफको किसान बीमा योजना’ के अंतर्गत 1 लाख रुपये तक की बीमा सुविधा के बारे में बताया। साथ ही, उन्होंने उर्वरकों और कीटनाशकों के कुशल उपयोग पर भी मार्गदर्शन दिया। इसके बाद, प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें किसानों की समस्याओं का समाधान किया गया।

संजीव कुमार, इफ्फको भोपाल के क्षेत्र प्रबंधक ने किसान संकट निवारण योजना’ और आवश्यक पोषक तत्वों के महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम में आरएनटीयू के प्रवेश प्रकोष्ठ की सुमाही मीना ने विश्वविद्यालय में विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश की जानकारी दी।

कृषि संकाय के डीन डॉ. एच. डी. वर्मा ने ‘रबी और खरीफ फसलों में फसल एवं मृदा प्रबंधन’ विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने ‘मुख्यमंत्री किसान कल्याण जीवन योजना’ के अंतर्गत 4 लाख रुपये तक की बीमा सुविधा और इसके आवेदन की प्रक्रिया की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को जैव उर्वरक, वर्मीकंपोस्ट, नाडेप खाद, कम्पोस्ट, राइजोबियम तथा सिंचाई प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋषिकेश मंडलोई, सहायक प्राध्यापक, कृषि संकाय द्वारा किया गया। अंत में कृषि संकाय के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने अतिथियों सहित विषय विशेषज्ञों, शिक्षकों, छात्रों एवं सहयोगी कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और नवीन कृषि तकनीकों की जानकारी प्राप्त की। यह कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ।

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