14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया सौरभ शर्मा, चेतन और शरद, कोर्ट रूम में ईडी और आयकर अधिकारी मौजूद रहे
भोपाल
भोपाल की लोकायुक्त अदालत ने आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा, उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। 7 दिन की रिमांड के बाद भी लोकायुक्त के हाथ कोई ठोस जानकारी नहीं लगी।
मंगलवार (4 फरवरी) को सौरभ शर्मा, चेतन गौर और शरद जायसवाल को लोकायुक्त ने कोर्ट में पेश किया। लोकायुक्त ने अदालत में तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की। इससे पहले लोकायुक्त टीम तीनों आरोपियों को पीछे के रास्ते से ही अदालत पहुंची थी। इससे पहले इनका हमीदिया हॉस्पिटल में मेडिकल चेकअप कराया गया। फिर दो गाड़ियों से कोर्ट पहुंचाया गया।
लोकायुक्त ने नहीं मांगी सौरभ शर्मा की रिमांड
बता दें कि लोकायुक्त ने तीनों को न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग कोर्ट से की थी. लोकायुक्त ने कोर्ट में कहा कि पूछताछ पूरी हो गई. जरूरत पड़ने पर तीनों से जेल में जाकर पूछताछ करेंगे. बता दें कि ED और आईटी के अधिकारी भी कोर्ट परिसर में मौजूद हैं.
इससे पहले मंगलवार सुबह लोकायुक्त की टीम सौरभ, चेतन और शरद को लेकर मेडिकल चेकअप के लिए हमीदिया अस्पताल पहुंची। यहां से तीनों को दो गाड़ियों में कोर्ट ले जाया गया। पीछे के रास्ते से कोर्ट में दाखिल कराया। पेशी के बाद लोकायुक्त के अधिकारी इसी रास्ते से कोर्ट से बाहर निकले।
सौरभ के कर्मचारी, रिश्तेदारों को आरोपी बनाया जा सकता है सौरभ और चेतन को 28 जनवरी को लोकायुक्त ने कोर्ट में पेश कर छह दिन की रिमांड पर लिया था जबकि 29 जनवरी को शरद की 5 दिन की रिमांड दी गई थी। आगे लोकायुक्त मेमोरेंडम में सौरभ के अन्य कर्मचारी, रिश्तेदार और करीबी परिचितों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।
सौरभ-शरद के भरोसेमंद कर्मचारी लोकायुक्त की रडार में
‘धनकुबेर’ सौरभ शर्मा ने अब तक 55 किलो सोना और 10 करोड़ कैश कांड का राज नहीं खोला है। उसके दोनों राजदार साथी चेतन गौर और शरद जायसवाल से भी लगातार पूछताछ की जा रही है। इस बीच लोकायुक्त पुलिस को कुछ इनपुट मिले हैं। जिसके बाद इनकी कंपनी के कर्मचारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है।
भरोसेमंद कर्मचारी लोकायुक्त की रडार में!
दरअसल, लोकायुक्त को जानकारी मिली है कि सौरभ शर्मा और शरद जायसवाल ने अपनी कंपनी के भरोसेमंद कर्मचारियों के नाम से भी प्रॉपर्टी खरीदी है। अविरल इंटरप्राइजेज, अविरल कंस्ट्रक्शन, फिशरीज के साथ कई कंपनियां बनाई गई हैं। जिसकी प्रॉपर्टी उनके कर्मचारियों के नाम पर है। जिसके बाद लोकायुक्त पुलिस इसके दस्तावेज तलाशने में जुट गई। आशंका है कि इन कर्मचारियों को पूछताछ के लिए जांच एजेंसी कभी भी कार्यालय बुला सकती है।
पंजीयकों को पत्र भेजकर बेनामी संपत्ति की जानकारी मांगी
बता दें कि हाल ही में लोकायुक्त ने भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के पंजीयकों को पत्र भेजकर बेनामी संपत्ति की जानकारी मांगी थी। सौरभ के घर से 50 प्रॉपर्टी के दस्तावेज और कई पावर ऑफ अटॉर्नी भी मिली थी, जो अन्य लोगों के नाम पर हैं। इस मामले में हवाला के एंगल पर भी तेजी से जांच की जा रही है, जिसमें दुबई और अन्य देशों में हवाला की गतिविधियों की आशंका व्यक्त की गई है।
18 दिसंबर को लोकायुक्त की रेड, IT ने बरामद किया था सोना और कैश
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को लोकायुक्त ने राजधानी भोपाल में सौरभ शर्मा के घर छापामार कार्रवाई की थी। वहीं ,19 दिसंबर को मेंडोरी गांव के कुछ लोगों ने पुलिस को खाली प्लॉट पर खड़ी एक लावारिस क्रिस्टा गाड़ी के होने की सूचना दी थी, जिसमें 6 से 7 बैग रखे हुए थे।
52 किलो सोना और 10 करोड़ कैश मिलने के बाद शुरू हुई जांच
कैश का अंदेशा होने की वजह से आयकर विभाग को सूचित किया गया था, जिसके बाद IT की टीम ने कांच तोड़कर अंदर से बैग बाहर निकला। जिसमें 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये कैश बरामद किया गया था। जिसके बाद से लोकायुक्त के बाद ED और IT भी सक्रिय हो गई।
27 दिसंबर को ED ने कई ठिकानों पर मारा छापा
27 दिसंबर को जांच एजेंसियों ने सौरभ शर्मा के रिश्तेदारों और सहयोगियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर स्थित आवास में जांच एजेंसियों ने छापामार कार्रवाई की। इस दौरान अलग-अलग ठिकानों पर सर्चिंग के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए।
6 करोड़ से ज्यादा की FD बरामद
सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर के नाम पर 6 करोड़ रुपये से अधिक की FD मिली थी। परिवार के सदस्यों और कंपनियों के नाम पर 4 करोड़ रुपये से अधिक का बैंक बैलेंस भी मिला। 23 करोड़ रुपये से अधिक की अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेज पाए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया।