द इनसाइडर्स: अप्राकृतिक कृत्य करने वाले आईएएस ने फिर की जंगली हरकतें, बड़े कप्तान ने एसपी की ली क्लास, मंत्री के एक्शन से इंजीनियर हलाल

द इनसाइडर्स में इस बार पढ़िए ब्यूरोक्रेट्स के चरित्र के पांच प्रकार और उनसे जुड़े रोचक किस्से

कुलदीप सिंगोरिया@9926510865
भोपाल | गतांक से आगे .. भारतीय प्रशासनिक सेवा का ध्यये वाक्य योग:कर्मसु कौशलम जिसका गलत अंग्रेजी अनुवाद Excellence In Action… 1948 में दिया गया था। गीता से लिये गए संस्कृत के श्लोकांश का अर्थ “कार्य में कुशलता ही योग है” के बनिस्पत अंग्रेजी का अर्थ “कार्य में कुशलता” की तरफ बढ़ने लगा। तो Excellence in Action अब Excellence in Earning (बिना हस्ताक्षर फंसाए..), Excellence in making nexus (गिरोह बना कर वारदात करना), Excellence in money laundering(काले को सफेद करना), Excellence in WWW games (वेल्थ,वाइन एंड वुमन) बन चुका है। और इसी कार्य में कुशलता आये दिन प्रदर्शित होती रहती है। (इन सभी हुनरों में से प्रत्येक “modus operandi” को हम डिकोड करेंगे, कुछ आगे के अंको में.. )
सच तो ये है की महान रोमन सम्राट और दार्शनिक मार्कस ओरेलियस का कथन ..”COMFORT IS THE WORST ADDICTION”.. में ही इनकी जिंदगी गुजर रही होती है। वर्तमान में उपलब्ध उच्च कोटि की सुविधाओं की निरंतरता भविष्य में (सेवनिवृति के बाद ) भी बनी रहे.. इस भाव को लेकर पनपी असुरक्षा की भावना ही इनके नैतिक पतन का कारक बनती है।
हमारे इनसाइडर्स के विचार में योग: कर्मसु कौशलम में हाथ की पाँच अंगुलियों की तरह 5 श्रेणी के अफसर होते हैं। पहली दो प्रजातियां ईमानदार हैं। फिर आप कहेंगे इनमें भिन्नता क्या हैं। श्रेष्ठतम ईमानदारी वो हैं जो नैसर्गिक रूप से ईमानदार हैं। ये लोग साधु प्रवृत्ति के होते हैं और इनको प्रचलित सिस्टम अर्थात (दूसरों के भ्रष्टाचार) से कोई फर्क नहीं पड़ता। ये अपनी मस्ती में रहते हैं और अभिनव पहल और नवाचार करते हैं। ये सरल, सहज और संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी होते हैं… पारिवारिक जीवन में सफल व सभी की मदद भी करते हैं। सही मायनों में ये REAL ROYALS होते हैं ..जो चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग.. को चरितार्थ करते हैं।ये प्रजाति हाथ का अंगूठा है ..मजबूती प्रदान करता है । इस प्रजाति के अफसरों को टीम इनसाइडर का साधुवाद। वहीं दूसरी प्रजाति भी ईमानदार है.. पर ये दूसरों की बेईमानी का भरपूर हिसाब रखते हैं..इससे इनके पेट में बराबर दर्द बना रहता है। कर कुछ नहीं पाते हैं पर बराबर कोसते रहते हैं। मान लीजिए किसी कार्यक्रम में अधिकारी समूह को दिल्ली जाना हो तो ये लोग मध्यप्रदेश भवन में ही रुकते हैं, पर कौन कौन साथी अधिकारी 7 स्टार में रुका है? किसके साथ रुका है? किस उद्धोगपति ने रुकवाया है? ये सारी खबर रखते हैं…। इनकी ईमानदारी इन्होंने खुद पर थोप रखी हो ऐसा लगता है। इनका व्यवहार कुछ ऐसा होता है कि ईमानदार होकर इन्होंने सिस्टम पर एहसान किया है। दूसरों की चोरियों के चर्चे (परनिंदा पुराण) के महर्षि व्यास होते हैं। हां भ्रष्ट लोगों पर इनकी वक्र दृष्टि सदा बनी रहती है। ये वो सन्यासी होते हैं.. जो दिन भर राम-राम जपते हुए भी पड़ोस में रहने वाली खूबसरत वैश्या से निगाह नहीं हटा पाते..। विभागीय जांच बिठाने के मास्टर होते हैं। और अपनी ईमानदारी बताते हुए हर काम में खुर-पेंच फंसा देते हैं। इसी फेर में फाइलों में सिर गढ़ाकर उन्हें कई महीनों या तबादला होने तक पेंडिंग कर देते हैं। सामान्य तौर पर यह असंवेदनशील, अव्यवहारिक और कठोर व्यक्तित्व के होते हैं। ये प्रजाति हाथ की तर्जनी है आरोप लगाने के काम आती है। शेष तीन प्रजातियों पर चर्चा…अगले अंक में। और इसी के साथ शुरू करते हैं इस हफ्ते के टॉप टेन किस्से, वही मजेदार और चटखारे वाले अंदाज में ‘द इनसाइडर्स’ के इस अंक में पढ़िए…

PENNY WISE POUND FOOLISH..

कभी कभी बड़े बजट की फिल्में बड़े जोर शोर से लगतीं हैं पर बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पातीं। कारण..डायरेक्टर पुरानी कहानी से इतर कुछ नया नहीं कर पाता। या फिर मूल कथानक को छोड़ FILLER कहानियों में उलझ जाता है। दिल्ली से आई बड़े बजट की फ़िल्म “नए बड़े साहब” का प्रदर्शन भी कुछ इसी तरह का लग रहा है…। शुरू में लगा था ..कुछ अभिनव पहल होगी..नवाचार होगा …नीतिगत निर्णय होंगे जो प्रदेश का भविष्य बदलेंगे। पर एक तो साहब दिल्ली के हैंग ओवर से निकल नहीं पा रहे हैं…दूसरा A और A+ की ट्रांसफर की नोटशीटों में अपना पूरा बुद्धिबल लगा रहे हैं.. बस उन्हें कुछ डिले ही कर पा रहे है। इसलिए सरकार को आकस्मिक तबादला नीति लानी पड़ी। खैर, सर जी…कुटीर उद्योग की जगह…भारी उद्द्योग की गलतियां पकड़ें। बड़े बड़े नीतिगत निर्णय लें। कलेक्टर्स की सतत मॉनिटरिंग करेंगे तो आपका नाम और रोशन होगा। वरना..आपके देर रात तक काम करने के बावजूद भी…लोगों ने तो कहना शुरू कर ही दिया है कि penny wise pound foolish..

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उनसठ, उनहत्तर, नवासी नहीं समझ रहे आईपीएस

नए बड़े कप्तान साहब PHQ के सबसे कठिन आदमी माने जा रहे हैं। दरअसल, पुलिस महकमें में जो धन-भाषा प्रचलन में है वो साहब की समझ में नहीं आती…और साहब की जो सरल भाषा है उसकी महकमे को आदत नहीं। साहब बोलते हैं तो महकमे के हाव भाव कुछ ऐसे होते हैं जैसे हमारे अंग्रेजी माध्यम के बच्चे उनसठ, उनहत्तर, नवासी समझने के लिए करते हैं। पिछले दिनों कप्तान साहब ने SP साहब लोगों की मॉनिटरिंग की ..पाया कि आधा दर्जन से अधिक जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने एक भी गम्भीर अपराधों के प्रकरण पर पर्यवेक्षण नहीं किया है। फिर क्या था… “कैलाश”पति का तीसरा नेत्र खुल गया और उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही माना और गम्भीर चेतावनी जारी कर दी…। सही भी है.. जिला हुकुमों की सतत मोनिटरिंग करना जरूरी है वरना इनको मदांध होते समय नहीं लगता। उम्मीद करते हैं कि 26 जनवरी की नई जमावट के बाद वल्लभ भवन के ..”चौथे फ्लोर की ईमानदारी”.. भी कुछ इसी तरह जिला हुकुमों के नट बोल्ट टाइट करेंगे।

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C SAT के बाद की एक और कलाकृति

पिछले अंक में हमने C SAT के बाद के अफसरों की पौध का विश्लेषण क्या किया ..कनिष्ठ हो वरिष्ठ हो..किस्सों की बाढ़ सी आ गई। ऐसे ही एक कलाकृति का वर्णन हम करने जा रहे हैं। योग: कर्मसु कौशलम की इस कृति की धर्मपत्नी ने इन पर अप्राकृतिक कृत्य का दोषारोपण किया था। अब साहब इतने गमगीन हैं या खुद पर इतने ‘मोहित’ कि सामान्य व्यवहार भी भूल गए हैं। आम आदमी तो छोड़िए पत्रकार हो या जनप्रतिनिधि सभी को अपनी औकात याद दिला देते हैं। इसलिए, हाल ही में सेवानिवृत्त हुए एक शालीन ACS ने इनके बारे में कहा था कभी कि “जाने कैसे ये शख्स IAS बन गया ?” …जाहिर है सब C SAT का साइड इफ़ेक्ट है। नियति का खेल देखिये जंगलियत का आरोप झेल रहा यह आईएएस अपनी जंगलियत के साथ जंगल विभाग में ही पहुंच गया।

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हनुमान ने छोड़ा राम का साथ

आर्थिक राजधानी से आने वाले सत्ता पक्ष के एक सीनियर विधायक ने अपने राजनीतिक आका से पलटी मार ली है। विधायक और उनके राजनीतिक आका दोनों ही अपने-अपने शागिर्दों को पार्टी का जिला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। राजनीतिक आका बल्लेबाजी का जौहर दिखा चुके अपने बेटे व पूर्व विधायक की पसंद के आगे बेबस हैं जबकि सीनियर विधायक दूसरे कार्यकर्ता को जिलाध्यक्ष बनाने की लॉबिंग कर रहे हैं। इस चक्कर में भाजपा यहां अब तक जिलाध्यक्ष का नाम घोषित नहीं कर पाई है। बता दें कि राजनीतिक आका सरकार में सीनियर मंत्री हैं और सीएम बनने की रेस में शामिल थे। वहीं, सीनियर विधायक मंत्री जी के इतने करीबी थे कि उन्हें राम व खुद को हनुमान बताते थे। अब लोग चटखारे लेकर कह रहे हैं कि हनुमान की भक्ति कैसे बदल गई?

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बैल गाड़ी का एक और श्वान चालक..

ये सच है कि ऑल इंडिया सर्विसेज में engineers पचास प्रतिशत से ज्यादा हैं लेकिन वो कर्म से इंजीनियर नहीं हैं। वहीं, शासन में जो कर्म से जो इंजीनियर हैं उनका हाज़मा बहुत कमज़ोर होता है…उनकी प्रजाति को घी हज़म नहीं होता। ऐसा ही एक वाक्या जनता से जुड़े निर्माण कार्यों वाले विभाग में हुआ। यहां पर एक वरिष्ठ इंजीनियर साहब बेहद जहीन किस्म के मंत्री जी के करीबी थे। उनके करीबी होने की वजह से इंजीनियर साहब के भाव ही बदल गए ..उनमें बैलगाड़ी के नीचे चलने वाले श्वान का भाव जागृत हो गया और उन्हें लगने लगा विभाग वो स्वयं चला रहे हैं। बाहर भी मंत्री जी का रौब दिखाने लगे लेकिन भूल गए कि मंत्री जी बहुत जमीनी नेता है और उन्हें सब कुछ पता चल जाता है। लिहाजा, जैसे ही मंत्री जी को खबर लगी …उन्होंने तत्काल पर कतर दिए। और अपने गृह क्षेत्र से इंजीनियर को दूर कर दिया। अब मंत्री जी के बारे में कहावत कही जा रही है …ऐसा कोई सगा बचा नहीं..जो उड़ा तो उसका ‘सिंह’ ने पर कतरा नहीं…

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एसपी साहब ने छह महीने में ही 50 करोड़ की मलाई हजम की

मालवांचल के मादक पदार्थों से भरपूर वाले एक जिले के कप्तान साहब की बैटिंग के चर्चे चहुंओर गूंज रहे हैं। चर्चा है कि उन्होंने छोटे से कार्यकाल में ही करीब 50 करोड़ रुपए पर हाथ साफ कर लिए हैं। इसके लिए उन्होंने थानों के टारगेट दुगने कर दिए गए हैं और तस्करों से खुद भी सीधे वसूली कर रहे हैं। हाल ही में कप्तान साहब की ज्यादा वसूली की फरमाइश पूरी करने के लिए पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों को एक झूठे मामले में परेशान किया। इससे नाराज होकर ग्रामीणों ने जमकर प्रदर्शन किया और पुलिसकर्मियों को घेर कर उनकी वर्दी तक फाड़ दी। खैर, हमारा तो यही कहना है कि कप्तान साहब घी उतना ही खाईए जितना कि पच जाए। नहीं तो पाचन गड़बड़ाएगा और फिर बदहजमी दूर करने के लिए हो सकता है कि सरकार आपको लाइन अटैच कर दे। जिले की पहचान के लिए बता दें कि इसकी पूरी सीमा राजस्थान और गुजरात से लगती है। और साहब के ससुर भी प्रमोटी आईपीएस रह चुके हैं।

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पटवारी जी संभल जाइए

कांग्रेस 26 जनवरी को महु में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान यात्रा’ निकाल रही है। पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी पूरे दमखम और जोश से कार्यक्रम की तैयारियों में लगे हुए हैं। लेकिन इससे पहले ही प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी संभालने वाले मीडिया विभाग में गड़बड़ हो गई है। मीडिया विभाग के प्रमुख से नाराज होकर मीडिया समन्वय की जिम्मेदारी संभालने वाले समन्वयक ने इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि समन्वयक ने तो पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम किया और मीडिया में कांग्रेस को फुटेज भी मिलने लगा था। लेकिन अब एकदम से इस्तीफे की वजह से मीडिया पैनलिस्ट का काम गड़बड़ा गया है।

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गुणी की कलाकारी कमिश्नर भी नहीं रोक पा रहे बैटिंग

प्रदेश के दूसरे नंबर नगर निगम में एक गुणी पर किसी का कोई वश नहीं चलता है। धन से संबंधित शाखा में प्रमुख की हैसियत से कार्यरत गुणी साहब मेयर को हवा में उड़ा देते हैं तो नगर निगम कमिश्नर के निर्देशों को हंसते-मुस्कुराते हुए टाल देते हैं। हालांकि जब तक निगम में एक तेज तर्रार महिला आईएएस थी, तब यह उनसे बेहद डरता था। इसलिए मैडम के खिलाफ निंदा प्रस्ताव में भी गुणी ने महती भूमिका निभाई थी। लेकिन अब उनके जाने के बाद गुणी को खुलेआम बैटिंग की छूट मिल गई है। इनकी मॉडस ऑपरेंडी यह है कि यह सामने वाले को इतना परेशान कर देते हैं कि उन्हें मजबूरी में अच्छी खासी मलाई देनी पड़े। इसलिए निगम में कहा जाने लगा है कि गुणी के गुण के आगे सब निस्तेज हो जाते हैं।

26 के बाद फिर सूची की चकचक

पिछले काफी समय से मंत्रालय में सूची की चकचक चल रही है। हर कोई इस बार से हैरान है कि यह कहां अटकी है? खैर हमारे इनसाइडर्स हमें बता रहे हैं कि 26 जनवरी के बाद यह जारी हो जाएगी। सुनने में यह भी आया है कि चुनाव वाले आयोग में पदस्थ सीनियर आईएएस को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी। वे बड़े साहब की पसंद हैं।

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पिक्चर अभी बाकी है

दो शर्माओं पर पड़े छापे की पिक्चर अभी बाकी है इसलिए रह-रहकर राख में से चिंगारी भड़क उठती है। सहारा की जमीन खरीद के मामले में एक विधायक जी पर ईओडब्ल्यू की नजर तिरछी हो गई है। वह भी सत्ता पक्ष के और सबसे अमीर विधायक पर! यह बात किसी को भी हजम नहीं हुई तो हमारे इनसाइडर ने बताया कि खुद सरकार ने कार्रवाई की अनुमति दी थी। वैसे, यह भी बताया जा रहा है कि विधायक जी के पूर्व पार्टनर का भी इसमें हाथ है। उन्होंने ही सारे राज उगलकर शिकायत करवाई है। वैसे यह पार्टनर भी कम कलाकार नहीं है। रायपुर निवासी पार्टनर का नाम भी आयकर छापे वाले शर्मा जी के साथ आया है। अब छापों में विधायक जी और उनके पूर्व पार्टनर में से किसका ज्यादा नुकसान होगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
अब आपसे लेते हैं विदा और वादा करते हैं कि फिर मिलेंगे अगले शनिवार दोपहर 12 बजे हमारे अड्‌डे www.khashkhabar.com पर ‘द इनसाइडर्स’ के नए चुटीले किस्सों के साथ। इस हफ्ते के हमारे इनसाइडर्स को आभार के साथ अलविदा सुधि पाठक गण!

 

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