द इनसाइडर्स स्पेशल: 25 प्रतिशत और बड़ा घर व एक फ्लोर ज्यादा बनाने की छूट देगी मध्यप्रदेश सरकार
मध्यप्रदेश सरकार भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन करेगी। ज्यादा निर्माण के लिए टीडीआर पोर्टल से अतिरिक्त निर्माण की अनुमति खरीदनी होगी

कुलदीप सिंगोरिया | घर और दुकान समेत किसी भी तरह की बिल्डिंग बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार तय निर्माण से अधिकतम 25 प्रतिशत ज्यादा की अनुमति देने जा रही है। उद्योगों के लिए यह छूट बिलकुल मुफ्त होगी। जबकि अन्य निर्माणों के लिए यह छूट टीडीआर सर्टिफिकेट (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) के जरिए खरीदनी होगी।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के एक इनसाइडर ने बताया है कि घर आदि के निर्माण से संबंधित भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार किया है। संभवत: इसी हफ्ते इसे नोटिफाइ कर दिया जाएगा। हालांकि, नोटिफिकेशन के बाद एक महीने का वक्त दावा-आपत्ति के लिए होगा। इसके बाद फिर से विचार कर इसका अंतिम प्रकाशन होगा। भूमि विकास नियम में कुल 6 संशोधन प्रस्तावित हैं। यह संशोधन केंद्र सरकार के अर्बन प्लानिंग रिफार्म की वजह से हो रहे हैं। 30 नवंबर तक रिफार्म पूरे कर केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। इसके आधार पर मध्यप्रदेश सरकार को विकास के लिए करीब 1500 करोड़ रुपए की इंसेटिव राशि मिलेगी।
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यह होंगे संशोधन
- अब जमीन के साथ ही निर्माण की अनुमति या लेआउट अपूवल का भी ट्रांसफर हो सकेगा। इससे दोबारा से निर्माण या लेआउट की अनुमति नहीं लेनी होगी। हालांकि लेआउट में बदलाव किया गया तो फिर से अप्रूवल लेना होगा।
- टीडीआर के जरिए 0.25 का अतिरिक्त एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) यानी निर्माण करने योग्य कुल क्षेत्र (बिल्डअप एरिया)मिलेगा। साथ ही, इस एफएआर के उपयोग के लिए एक अतिरिक्त फ्लोर निर्माण की छूट दी जाएगी।
- रेलवे लाइन से 30 मीटर का क्षेत्र छोड़कर ही विकास किया जा सकेगा।
- औद्योगिक निर्माण के लिए 1.5 के एफएआर को बढ़ाकर 2 किया जाएगा।
- छोटे शहरों में पेट्रोल पंप जैसे ईंधन भराव केंद्र आदि अब 15 मीटर चौड़ी सड़क पर भी खुल सकेंगे। अभी सड़क की 18 मीटर की चौड़ाई होना जरूरी है।
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मान लीजिए आपके पास एक हजार वर्गफीट का प्लॉट है। यदि उस क्षेत्र में एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो या बिल्डअप क्षेत्र) 1 ही है तो आप कुल अभी निर्माण क्षेत्र 1000 वर्गफीट ही रख सकते हैं। लेकिन नए नियमों के बाद आप 250 वर्गफीट ज्यादा यानी 1250 वर्गफीट का निर्माण कर सकते हैं। हालांकि 250 वर्गफीट का अतिरिक्त निर्माण के लिए आपको सरकार के टीडीआर पोर्टल पर जाकर इसकी खरीदी करनी होगी। यह खरीदी वैसे ही होगी जैसे कि आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं। आपको एक सर्टिफिकेट मिलेगा जिसे स्थानीय निकाय में जमा कर आप अपने घर के लिए अतिरिक्त निर्माण की अनुमति पा सकेंगे।
जमीन मालिक को क्या फायदा?
अभी शहरों में सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहीत की जाती थी। जिसमें कई पेंच उत्पन्न हो जाते थे। अब सरकार से उन्हें एक टीडीआर सर्टिफिकेट मिल जाएगा। यह उसकी जमीन का मालिकाना हक यानी रजिस्ट्री या बही जैसा ही होगा। अब इसे टीडीआर पोर्टल पर जब चाहे तब जरूरतमंद व्यक्ति, संस्था या बिल्डर को बेच सकता है। यदि डिमांड ज्यादा रही तो ज्यादा दाम भी मिल सकते हैं।
बिल्डरों को क्या फायदा?
बिल्डर अपने प्रोजेक्ट या मल्टीस्टोरीज बिल्डिंग में इसका उपयोग कर अतिरिक्त फ्लैट बना सकेंगे। यानी उन्हें यह अतिरिक्त कमाई होगी।
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शहर के विकास पर असर क्या होगा?
शहर का विकास अब और ज्यादा वर्टिकल या हाइराइज होगा। वर्टिकल मतलब कि शहर का बाहरी क्षेत्रों में फैलाव की बजाय विदेशों की तरह ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों वाला। शहर का बाहरी क्षेत्रों में विस्तार कम होने से कृषि भूमि की डिमांड भी कम होगी। हालांकि, ट्रैफिक मैनेजमेंट जैसी चीजों का सरकार ने ध्यान नहीं रखा तो ट्रैफिक जाम जैसी समस्या भी बढ़ेगी।
सरकार को क्या फायदा?
सरकार को किसी भी प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण नहीं करना पड़ेगा। मतलब कि उसे इसके लिए रकम या बजट का इंतजाम नहीं करना पड़ेगा। कानूनी पचड़े भी नहीं होंगे, जिससे प्रोजेक्ट तय समय पर पूरे होंगे। यही नहीं, डिमांड ज्यादा होने पर प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त लागत भी टीडीआर बेचने से मिले मुनाफे से पूरी हो सकेगी। खासकर मेट्रो ट्रेन आदि के लिए।
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कैसे ले सकेंगे अतिरिक्त निर्माण की अनुमति?
मध्यप्रदेश सरकार ने तीन महीने पहले टीडीआर पोर्टल https://dtcp.mp.gov.in/TDR/Web/ शुरू किया है। इसमें फिलहाल, इंदौर शहर के प्रोजेक्ट ही अपलोड हुए हैं। अब जैसे ही यह संशोधन अंतिम रूप ले लेंगे तब इसी पोर्टल पर आपको टीडीआर बेचने या खरीदने के लिए सर्टिफिकेट के रूप में यूनिट्स मिलेंगे। इन यूनिट्स को खरीदकर आप अतिरिक्त निर्माण कर सकेंगे।
अब तक क्या हुआ?
विदेशों के अलावा देश में महाराष्ट्र जैसे राज्यों में टीडीआर बहुत ज्यादा सफल है। मध्यप्रदेश ने भी 15 साल पहले 2010 में इसके नियम बनाए थे लेकिन खामियां इतनी ज्यादा थी कि इन्हें अमल में नहीं लाया जा सका। आखिरकार 2018 में टीडीआर के नए रूल्स लाए गए। इसके बाद भी टीडीआर बेचने व खरीदने के लिए पोर्टल बनाने में अफसरों ने 6 साल लगा दिए हैं। अभी भी संशोधनों के बाद इसमें नए प्रोजेक्ट्स अपलोड करना और खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करने के लिए काफी प्रयास किया जाना बाकी है। इसे इस बात से समझा जा सकता है कि राजधानी भोपाल समेत मुख्यमंत्री मोहन यादव के उज्जैन जैसे शहर तक एक भी प्रोजेक्ट अपलोड नहीं कर पाए हैं।
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