द इनसाइडर्स : कप्तान साहब का मस्का लगाने का राज हुआ बेपर्दा; मर्सीडीज और महंगे होटलों की शौकीन है मध्यप्रदेश की पूजा खेड़कर

द इनसाइडर्स में इस बार चार्वाक दर्शन में डूबे ब्यूरोक्रेट्स और पॉलीटिशियन के किस्से पढ़िए...

कुलदीप सिंगोरिया | ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर: … आदि शंकराचार्य द्वारा रचित इस श्लोक का अर्थ आप सभी सुधि पाठक जानते ही हैं। इसके उलट, ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में प्रचलित हुए चार्वाक दर्शन का सार इस श्लोक में निहित है- यावज्जीवेत सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः॥ संक्षेप में इसक अर्थ है कि कैसे भी भोग-विलास में लिप्त रहो। इसलिए, हमारे अफसरान और नेताओं ने शंकराचार्य जी को छोड़ चार्वाक दर्शन को अपना लिया। नैतिक-अनैतिक से परे, पाप-पुण्य के हिसाब से परे और विलासिता की नई परिभाषाएं गढ़ कर जीवन जीने लगे हैं। कुछ की ऊपर की कमाई इतनी ज्यादा होती है कि “खम्बा” (तनख्वाह) छोटा और टेका (ब्लैकमनी) “बड़ा” हो जाता है। तब ये चार्वाक के सरकारी शिष्य भी निकल पड़ते हैं काले को सफेद करने। चाचा, भाई, मामा, साले, दोस्त व नौकर आदि चेक से बुक्स में उधार लेते हैं या फिर उनके नाम से ही बेनामी निवेश करते हैं। फिर सेवानिवृत्ति के उपरांत कितना लौटता है कितना नहीं। ये तो वही जानें…लेकिन इनकी डकैतियों की वजह से जरूर कुछ भले लोगों का जीवन नरक हो जाता है। खैर, अब भोग-विलास की सरकारी तंत्र की कथाओं के साथ चटखारे वाले अंदाज में आज का ‘द इनसाइडर्स’ पढ़िए…

A . कप्तान साहब को मख्खन लगाने से मिलेगा एक्सटेंशन
कप्तान साहब जो करे सो कम है। काम के प्रति वे कितने जुनूनी और लगनशील है, इसका एक उदाहरण हाल ही में उन्होंने अपनी पीआर स्किल का उपयोग कर बता दिया। नए मुख्य सचिव महोदय पहली बार कलेक्टर-कमिश्नर से वीसी में रुबरू हो रहे थे। उस वक्त कप्तान साहब नक्सल इलाके के दौरे पर चले गए। फिर, वहीं से वे भी मीटिंग शामिल होकर इसका प्रचार करने लगे। लेकिन मीटिंग में उन्होंने जिस तरह नए साहब और अपने कसीदे पढ़े, उससे सबको पूरा माजरा समझ आ गया। बार-बार मस्का लगा रहे कप्तान साहब की इस हरकत पर कुछ वरिष्ठ अफसरों की टिप्पणी आई – कप्तान को एक्सटेंशन चाहिए। हालांकि जिस तरह से मस्कागिरी की गई, उससे कई अफसर शर्मिंदा भी हुए।

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B. एसीएस ने रिटायरमेंट से पहले भ्रष्ट अधिकारी की ली क्लास
गांवों के विकास से संबंधित विभाग के एसीएस का बीते दिनों जिले के अफसरों की एक वीसी में अलग ही रूप देखने को मिला। वे एक महिला अधिकारी पर जमकर बरसे। यह वही अधिकारी है जिसके कारनामे के बारे में ‘द इनसाइडर्स’ ने पिछले अंकों में जबरदस्त खुलासा किया था। एसीएस के इस रूप को देखकर अन्य सीईओ में भी दहशत फैल गई। मीटिंग शिकायतों के निराकरण के विषय पर थी। इसमें जल जीवन मिशन की एक शिकायत का दो साल से निराकरण नहीं हुआ था। तो एसीएस साहब ने महिला अधिकारी से कहा – काम नहीं हो रहा तो बता दो, हम दूसरी व्यवस्था कर लेंगे। लेकिन तुम्हें नौकरी के काबिल नहीं रहने देंगे। बता दें साहब का रिटायरमेंट अगले महीने है। इसलिए वे शिकायतों का निराकरण कर सीएम के सामने दमदार प्रजेंटेशन करना चाहते हैं।
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C. घर के लिए मिन्नतें करते रहे आईपीएस साहब
वसूली के लिए मशहूर एक आईपीएस साहब को हाल ही में एक जिले में हुए तनाव के बाद हटा दिया गया। पहले तबादला रुकवाने की खूब कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए तो फिर वहीं से भोपाल में सरकारी बंगले के लिए मिन्नतें करने लगे। दर दर पर ढोक देने के बाद आखिरकार उन्हें घर मिल गया। अब साहब के वसूली के किस्से भी बता दें। महाकौशल के एक जिले में जब यह साहब एसपी थे तो इन्होंने शराब ठेकेदार से एक लाख रुपए की मासिक बंदी को सीधे 11 लाख रुपए कर दिया। ठेकेदार ने भोपाल के संबंध खंगाले तो इन्होंने रेट 8 लाख रुपए कर दिए। परेशान होकर ठेकेदार ने तत्कालीन सीएम से शिकायत की तो फिर साहब भोपाल बैठा दिए गए। जैसे-तैसे मालवा के एक जिले की कप्तानी मिली तो साहब ने लोकसभा चुनाव के दौरान हत्या के एक मामले में पार्टी के कार्यकर्ताओं का नाम लिख दिया। उन्हें समझाइश दी गई कि चुनाव बाद कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई कर देना लेकिन वसूली के चक्कर में वे नहीं माने। तब तो किसी ने कुछ नहीं किया लेकिन बाद में ऐसी चाल चली गई कि साहब को औकात दिखा दी गई।

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D. शिक्षा के केंद्र में सिंह साहब दी ग्रेट
दहेज प्रताड़ना के आरोपी रह चुके एक आईएएस को पूर्व बड़ी मैडम ने शिक्षा के केंद्र में पदस्थ किया। जब तक मैडम थीं तब तक साहब ने एक तरफा चौके-छक्के लगाकर रन्स (पैसों) की बरसात की। हर टेंडर में मैडम के चेहते ठेकेदारों को शामिल कर खूब कमीशनबाजी की। लेकिन अब साहब टेंशन में आ गए हैं। नए साहब का मिजाज सबको पता है। लिहाजा, उन्हें डर सता रहा है कि कहीं उनकी पोल खुल गई तो वे नप न जाएं।

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E. दुश्मनी ऐसी भी…
तकनीकी शिक्षा विभाग के एक बाबू को लोकायुक्त पुलिस ने धर लिया। करोड़ों की संपत्ति का खुलासा हुआ। लेकिन यह बाबू पुलिस की जद में आया कैसे? तो पर्द के पीछे की कहानी यह है कि इस बाबू ने बीते साल ईओडब्ल्यू में कुछ रसूखदारों की शिकायत की थी। उसकी शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी। शिकायत में राजधानी के प्रमुख ट्रस्ट और उससे जुड़े लोगों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। प्रभावशालियों का कुछ नहीं हुआ, उलटे उन्होंने दुश्मनी ऐसी निकाली की बाबू चारों खाने चित हो गया।

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F. गोयल की गोयल को गोली
प्रदेश में आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर के नगरीय निकाय में इन दिनों एक गोयल साहब छाए हुए हैं। यहां वे ऐसे पद पर हैं जिस पर प्लानिंग वाले नगर निवेशक होते थे। इंजीनियरिंग फील्ड से आने वाले गोयल साहब के लिए प्लानिंग काला अक्षर भैंस बराबर है। लेकिन मंत्री और शहर सरकार के मुखिया की वजह से जूनियर इंजीनियर होने के बाद भी उन्हें प्रभार दिया गया। उन्हें यह पद क्यों दिया गया, इसका माजरा हाल ही में देखने को मिला। इंजीनियर गोयल ने शहर के प्रतिष्ठित बिल्डर गोयल को दिन में ही तारे दिखा दिए। बिल्डर अब इंजीनियर के आगे साष्टांग दण्डवत है। यही नहीं, इंजीनियर गोयल ने इस फार्मूले की सफलता देख अन्य बिल्डरों पर भी इसे आजमाना शुरू कर दिया है। इसमें एक एमआईसी मेंबर भी सहयोग कर रहे हैं। वे बिल्डर की कुंडली निकालते हैं और गोयल साहब नियमों का हंटर चलाते हैं।

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G. दो महिला अफसरों की रोचक लड़ाई
केंद्र सरकार में पदस्थ एक महिला आईएएस अफसर ने आयुष्मान कार्ड बनवा लिया। महिला अफसर प्रमोटी हैं और केंद्र में इसी से संबंधित मंत्रालय में पदस्थ हैं। नियम के तहत वे सही थीं लेकिन आयुष्मान का काम देखने वाली संस्था की तत्कालीन सीईओ ने आवेदन रद्द कर दिया। तत्कालीन सीईओ और अब कलेक्टर मैडम को उनसे सिर्फ यह खुन्नस थी कि वे केंद्र में बैठकर प्रदेश की सुध लेती थीं या टांग अड़ाती थी।

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H. मध्यप्रदेश की एक और पूजा खेड़कर
देश में आईएएस पूजा खेड़कर अपनी उच्च कोटि की भोगवादी लाइफ स्टाइल के कारण काफी विवादों में रही हैं। प्रदेश की ऐसी ही एक भोगवादी मोहतरमा जुलाई 2017 में शासकीय इंजीनियरिंग सेवा में आईं। 2018 में लेटेस्ट आई फोन खरीदा। महज दो साल में VIP नम्बर वाली मर्सिडीज कार खरीदी। फिर, 2 करोड़ का बंगला खरीदने के साथ और लग्जरी ज्वैलरी समेत कई भारी-भरकम बेनामी निवेश। 2023 तक तीन विदेश यात्राएं। गोवा की आइटीसी ग्रांट और उदयपुर की ताज फतेह प्रकाश पैलेस में भव्य पार्टियां। रेडिशन इंदौर और ताज भोपाल आदि में रेगुलर पार्टियां। सातवें आसमान में पहुंची मोहतरमा ने अनाप-शनाप कमाई के भरोसे पति की नौकरी छुड़वा दी। लेकिन लेकिन लेकिन…
इस साल काले बादल छाए और लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए धर दबोचा। अब आप समझ ही गए होंगे कि वह नव यौवना कोई और नहीं बल्कि पानी से संबंधित विभाग के बड़के इंजीनियर संविदा कृष्ण की चहेती गोपिका “सौंदर्य निधि” हैं। इस स्निग्ध सुंदरी का वर्णन हम पिछले अंक में कर चुके हैं। इसके बाद नए नए इनसाइडर एक्टिव हो गए और कई ने तो सोशल मीडिया की पोस्ट के स्क्रीन शॉट तक भेजे। दिलचस्प बात ये है कि सौंदर्य निधि ने जब नई मर्सिडीज को फेसबुक पर अपना कवर फ़ोटो बनाया तो उनके प्रिय शक्तिशाली ग्रह राहु ने “आलोकित” करते हुए आंख मारने वाली इमोजी के साथ लिखा कि “आप विभाग की पहली अधिकारी हैं जिन्होंने मर्सिडीज खरीदी।” अन्य बड़े अधिकारी भी दिल वाली इमोजी के साथ तारीफ करते रहते थे (जब सार्वजनिक वाल पर इतना कुछ है तो एन्क्रिप्टेड पर्सनल चैट पर क्या होता होगा)।
महज 7 वर्ष के सेवाकाल में इतना सब कैसे? तो पता चला कि इस स्निग्ध सुंदरी ने अंग्रेजों के समय से प्रचलित तकनीक से अर्जन किया है और वो तकनीक है “नजराना..शुकराना..और जबराना।” “नजराना” मतलब ठेकेदार से प्राप्त “सहयोग निधि”। “शुकराना”.. मतलब संविदाधारी और नवग्रह से प्राप्त “सामीप्य सहयोग निधि”। “जबराना”.. मतलब ठेकेदार और नवग्रह से जबरन वसूली गई “ब्लैकमेलिंग निधि”। “जबराना” के फलस्वरूप हुई लोकायुक्त की कार्रवाई के उपरांत संविदा कृष्ण ने अपने साप्ताहिक विश्राम के दिनों में गोपिका का सामीप्य लाभ लेने के लिए उसे आर्थिक राजधानी में पदस्थ करवा जिम्मेदारी का कार्य भी दिलवा दिया है।

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I. मैडम कभी गलत नहीं होती हैं…
नर्मदा किनारे वाले के एक जिले की कलेक्टर मैडम कभी गलत नहीं होती है। या तो ऊपर वाले की गलती होती है या फिर नीचे वाले की। इस बार तो उन्होंने हद कर दी। खाद वितरण में किसानों के प्रदर्शन पर हुए लाठीचार्ज में उन्होंने भोपाल (मध्यप्रदेश सरकार) की गलती बता दी। पूर्व में वे अपनी रिपोर्ट में आईजी और एसपी को दोषी ठहरा चुकी थीं।

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J. मीलार्ड से बचाओ, एक-एक पेपर का भी लेते हैं हिसाब
मीलार्ड यानी न्याय के देवता। लेकिन राज्य सरकार के ट्रिब्यूनलों आदि में पदस्थ होने वाले मीलार्डों का रवैया इसके उलट होता है। कुछ में तो अधीनस्थों का भी जबदस्त शोषण हो रहा है। ऐसे ही एक साहब ने अपने स्टाफ को इतना परेशान कर दिया कि उन्होंने मंत्रालय में शरण मांगी। संख्या में दूसरे नंबर की आबादी वाली कम्यूनिटी से संबंधित इस ट्रिब्यूनल में पदस्थ स्टाफ का कहना था कि साहब उन्हें निजी नौकर जैसा ट्रीट करते हैं। और प्रिटिंग के एक-एक पेपर का गिनते हैं। स्टाफ ने साफ कह दिया है कि सरकारी नौकरी छोड़नी पड़े तो वे इसके लिए भी तैयार हैं लेकिन मीलार्ड के पास नहीं जाएंगे। मीलार्ड तो नहीं पिघले लेकिन वरिष्ठ अफसरों ने जरूर स्टाफ को उचित न्याय दिलाने का भरोसा दिया है।

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