भाजपा में फिर बवाल, अब पूर्व मंत्री पटेल के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा, प्रदेश अध्यक्ष से की शिकायत

भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष ने वीडी शर्मा से कहा- खराब व्यवहार की वजह से अब पटेल को कोई नमस्कार नहीं करता

भोपाल | सांसद प्रतिनिधि बनकर चर्चा में आए भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री कमल पटेल नए विवाद में फंस गए हैं। हरदा जिले के भाजपा कार्यकर्ताओं ने बुधवार को पटेल के खिलाफ बगावत कर दी। कार्यकर्ताओं ने भोपाल में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात कर पटेल की मनमानियों की जमकर शिकायत की।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि यह बगावत पूर्व जिला अध्यक्ष अमर सिंह मीणा के नेतृत्व में हुई। अमर सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष को हरदा जिले की संगठन की स्थिति से अवगत कराया। अमर सिंह ने सोमवार को हरदा के कमल कुंज जिला कार्यालय सदस्यता को लेकर हुई एक बैठक का जिक्र किया। जिसमें सांसद प्रतिनिधि कमल पटेल द्वारा पूर्व जिला अध्यक्ष संतोष पाटिल एवं अमर सिंह मीणा को लेकर तर्कहीन टिप्पणी की गई थी। सूत्रों ने बताया कि अमर सिंह ने शर्मा को यह भी कहा कि कमल पटेल के व्यवहार की वजह से अब उनको कोई भी नमस्कार नहीं करता है । अमर सिंह मीणा ने यह भी कहा कि सांसद प्रतिनिधि कमल पटेल को इस बात पर विचार करना चाहिए कि अभी तक जितने भी जिला अध्यक्ष हुए हैं, उनमें से किसी से भी कमल पटेल की पटरी नहीं बैठी? हालांकि खास खबर द इनसाइडर्स से बात करते हुए अमर सिंह ने कहां कि वीडी शर्मा से संगठन के बारे में बात करने के लिए मुलाकात की थी। जो भी बात है, वह अंदरूनी है। कमल पटेल की बात पर कहा कि उनसे मेरा कोई लेना देना नहीं है। कमल पटेल से इस बारे में बात करने के लिए संपर्क किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

केंद्रीय मंत्री के खिलाफ भी खोला था मोर्चा
केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक से लेकर कई विधायकों के खिलाफ पार्टी में नाराजगी चल रही है। विरोध की वजह से खटीक को सांसद प्रतिनिधियों की नियुक्ति रद्द करनी पड़ी थी। कई विधायक सरकार के खिलाफ भी टिप्पणी कर चुके हैं। इसे देखते हुए दो दिन पहले ही भाजपा ने प्रदेश कार्यालय में विधायकों को तलब किया था।

पार्षद से भी नीचे का प्रोटोकाल वाले सांसद प्रतिनिधि बने थे पटेल
गौरतलब है कि करीब एक महीने पहले ही पूर्व कैबिनेट मंत्री और 5 बार के विधायक रहे कमल पटेल केंद्रीय मंत्री दुर्गादास ऊइके के सांसद प्रतिनिधि बने थे। प्रोटोकॉल में यह पद पार्षद से भी नीचे आता है। तब राजनीतिक गलियारों में उनकी पद लालुपता पर काफी चटखारे लिए गए थे।

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