सुजलॉन एनर्जी कंपनी ने हेडक्वार्टर बेचने का किया ऐलान, शेयर बने रॉकेट
नई दिल्ली
ग्रीन एनर्जी सॉल्यूशन प्रोवाइडर सुजलॉन एनर्जी का पुणे हेडक्वार्टर बिक गया है। कंपनी ने अपने हेडक्वार्टर वन अर्थ के लिए प्रॉपर्टी सेल और लीजबैक ट्रांजैक्शन किया है। सुजलॉन ने इसे 440 करोड़ रुपये में ओई बिजनेस पार्क प्राइवेट लिमिटेड (OEBPPL) को बेचा है। यह एक स्पेशल पर्पज वीकल है। इस कंपनी के शेयर 360 वन ऑल्टरनेट्स एसेट मैनेजमेंट द्वारा मैनजे फंडस के पास हैं। सुजलॉन अपने नॉन-कोर एसेट्स को बेच रही है और हेडक्वार्टर की बिक्री भी उसी योजना का हिस्सा है। देश में यह पहला मौका है जब किसी कंपनी ने अपना हेडक्वार्टर बेचा है। इससे कंपनी के शेयरों में शुरुआती कारोबार में काफी तेजी आई और यह 2.7 फीसदी उछलकर 76.49 रुपये पर पहुंच गया।
बिक्री के बाद कंपनी ने सब-लीजिंग और लाइसेंसिंग अधिकारों के साथ पांच साल तक की अवधि के लिए अपने मुख्यालय को वापस लीज पर ले लिया है। यह डाइवेस्टमेंट डील कंपनी की व्यापक विकास रणनीति का हिस्सा है। सुजलॉन ग्रुप के सीएफओ हिमांशु मोदी ने कहा कि इस बिक्री और लीजबैक व्यवस्था से सुजलॉन के परिचालन पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है। कंपनी के पास संपत्ति के हिस्से को सब-लीज या लाइसेंस देने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि नॉन-कोर एसेट्स को बेचने का का यह कदम पिछले कुछ साल से सुजलॉन की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा रहा है।
क्यों बेचा हेडक्वार्टर
मोदी ने कहा कि हमारे पास लगभग 4 गीगावॉट का सबसे बड़ा ऑर्डरबुक है और नॉन-कोर एसेट्स से पूंजी अनलॉक करके हम अपने कोर बिजनस पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। कंपनी अब कर्जमुक्त हो गई है। हम ऐसे रणनीतिक निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो हमारे विकास के लिए अनुकूल हों और हमारे स्टेकहोल्डर्स के लिए स्थाई मूल्य बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को पूरा करें। समझौते की शर्तों के तहत, सुजलॉन लीजहोल्डर के रूप में एसेट पर कब्जा करना जारी रखेगा। सुजलॉन ने OEBPPL के शेयर और सिक्योरिटीज को खरीदने के लिए भी एक समझौता किया है।
सेल और लीजबैक डील एक रणनीतिक वित्तीय लेनदेन हैं। इसमें कंपनी अपनी एसेट्स को खरीदार को बेचती है और साथ ही नए मालिक से इसे वापस पट्टे पर लेती है। आमतौर पर खरीदने वाली कंपनी रियल एस्टेट इनवेस्टर होता है। इस व्यवस्था से कंपनी को अपने संचालन को बाधित किए बिना रियल एस्टेट एसेट्स में बंधी पूंजी को अनलॉक करने की सुविधा मिलती है। पट्टे की शर्तों के तहत संपत्ति पर कंपनी का कब्जा रहता है और वह उसका उपयोग करना जारी रखती है।