बिजली गुल ने कराया कलेक्टर के शीशमहल का पर्दाफाश, पूर्व बड़े साहब नहीं लौटा रहे 50 लाख रुपए
'द इनसाइडर्स' में इस बार है दौलत और उसमें डूबे सत्ताधीशों की चटपटी खबरें...
कुलदीप सिंगोरिया | सत्ता से जुड़ी कुछ आकर्षक व मोहक बातों का जिक्र ‘द इनसाइडर्स’ के पिछले अंक में किया गया था। इस बार सत्ता और भ्रष्टाचार के चोली-दामन के रिश्तों की पेशकश पढ़िए। दौलत के नशे में चूर एक कलेक्टर के शीशमहल रूपी बंगले का किस्सा खासतौर पर पढ़िए। साथ ही, भूतपूर्व बड़े साहब का पैसों से प्रेम और एक एसीएस का जमीन से लगाव को भी जानिए। तो पढ़िए इन किस्सों को और लीजिए चटखारे…
कलेक्टर साहब नहा रहे थे, तभी बिजली गुल हुई, फिर खुल गया राज
आबादी में दूसरे नंबर के जिले के कलेक्टर साहब के शीशमहल के चर्चे मंत्रालय में गूंजने लगे हैं। शीशमहल के किस्से भी खुद साहब की वजह से उजागर हुए। कुछ दिन पहले भीषण गर्मी में साहब नहा रहे थे। तभी बिजली गुल हो गई और बाथरूम में लगा एसी बंद हो गया। साहब इतने तमतमाए कि जिले के सारे अफसरों की क्लास ले डाली। मौके पर बिजली कंपनी और अन्य एजेंसियों के अफसर पहुंचे। बिजली तो आ गई लेकिन साहब के ठाठ-बाठ देख सब हैरान हो गए। साहब के घर में 23 एसी लगे पाए गए। आम आदमी इतने एसी लगा ले तो उसका बिजली बिल चुकाने और लोड ज्यादा होने की वजह से पेनाल्टी भरने में दिवाला निकल जाए। लेकिन कलेक्टर साहब के लिए यह सब मुफ्त की सुविधा है।
सत्ता बदली तो साहब ने पैसे लौटाने से किया इनकार
भूतपूर्व बड़े साहब ने कमाल का खेला करा है। जब यह बड़े साहब थे, तब एक कंपनी से सिंगरौली में खदान के लिए डील कर ली। डील की पहली किस्त के रूप में 50 लाख रुपए भी दे दिए गए। लेकिन फाइनल अमाउंट पर सहमति बनने में काफी वक्त लग गया। इस बीच नई सरकार आ गई। साहब झोला समेट बड़े तालाब के कैचमेंट में बने शानदार घर में लोगों को अध्यात्म का ज्ञान देने लेगे। अब कंपनी के दलालों ने संपर्क किया तो बड़े साहब ने पैसे लौटाने से इनकार कर दिया। कंपनी ने भी दलाली की रकम को बट्टे खाते में डाल इस एपिसोड को खत्म कर दिया है। हालांकि कंपनी अब ऐसे दलाल को ढूढ़ रही है जो शर्तिया काम करा दे।
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एसीएस ने की राजधानी की महंगी जमीन की डील
एक एसीएस ने बाबड़िया कला की महंगी जमीन की डील की है। यह जमीन उन्होंने टीएंडसीपी के एक अफसर से खरीदी है। ‘द इनसाइडर्स’ को पता चला है कि इस खरीदी में जमकर ब्लैक का व्हाइट किया गया है। जमीन पर बड़ा कमर्शियल कॉम्पलेक्स बन रहा है। नहर किनारे की इस जमीन पर निर्माण के लिए बने नियमों को जमकर तोड़ा जा रहा है। इससे आसपास के रहवासियों में नाराजगी है। अब इन एसीएस साहब के नाम के बारे में थोड़ा सा हिंट भी ले लीजिए। प्रदेश में 2019 में जब सत्ता बदल हुई तो यह साहब पूर्व सरकार की तरह नई सरकार के भी खास सिपहसलार थे। और दो दिन पहले हुए तबादलों में इनका नाम भी शामिल है।
डील होने पर एक झटके में 799 फाइलें दोषमुक्त
प्रदेश में स्वास्थ्य इंतजामों से आप बखूबी परिचित होंगे। इसकी कहानी फिर कभी। लेकिन अभी इससे जुड़ी कमीशन खोरी का किस्सा सुनिए। अपने आपको सबसे ईमानदार बताते वाले एक सीनियर अफसर ने बिल रोकने के लिए कई आपत्तियां लगाई। ऐसे बिल वाली 799 फाइलें थीं। अस्पताल संचालकों पर आपत्तियों का निराकरण के लिए खूब दबाव भी बनाया गया। आखिर में साहब के दलाल ने सेटलमेंट करवा दिया। साहब को अपनी ईमानदारी का गिफ्ट मिला तो उन्होंने एक झटके में 799 फाइलें क्लीयर कर बिलों का पेमेंट करवा दिया। पूर्व में साहब के दलाल ने एक मेडिकल स्टोर्स पर कब्जा करने के लिए संचालकों को धमकाया था।
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बड़ी मैडम के सपनों को चूर कर रहे नए साहब
बड़ी मैडम जहां रहती हैं, वहां पर एक बड़े प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। कुछ वक्त पहले जब इस प्रोजेक्ट के पास की मुख्य सड़क का रिपेयरिंग का काम चल रहा था तो ट्रैफिक जाम लग रहा था। ऐसे में मैडम प्रोजेक्ट में बन रही सड़क का उपयोग किया करती थीं। उनके दिशा निर्देश पर यहां बड़ा पार्क भी बनाया जा रहा है। लेकिन अब किसानों ने प्रोजेक्ट और सड़क का काम रुकवा दिया। मैडम नाराज हुई तो कहा गया कि जल्द ही प्रोजेक्ट शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन जिस एजेंसी को काम सौंपा गया है, उसके साहब का रवैया साहबी और अपने आपको खुदा मानने वाला है। इसके चलते किसान भी झुकने को तैयार नहीं है। दूसरी बात यह है कि साहब किसानों को बिल्डर मान रहे हैं। लिहाजा उनकी समस्याएं सुनने की बजाय उन्हें दुनिया भर की स्कीमों का ज्ञान दे रहे हैं। अब साहब को कौन समझाए कि यदि वे बिल्डर होते तो पहले ही तमाम जगह से परमिशन लेकर आलीशान इमारतें खड़ी कर चुके होते। साहब का यही रवैया अपने अधीनस्थों के प्रति भी है। सभी को कहते हैं कि तुमको काम नहीं आता। अब काम किसको आता है और किसको नहीं, यह तो आप समझ ही चुके होंगे?
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