बिना कमांडरों के गुरुजनों की आधी अधूरी फौज नौनिहालों के भविष्य गढ़ रहे, शिक्षा मंत्री को ज्ञापन

रायपुर

ग्राम टेकारी ( कुंडा ) के प्राथमिक , पूर्व , उच्च व उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में  कई वर्षों से हेड सहित गुरूजनो व कार्यालयीन स्टाफ की कमी है। यह अलग बात है कि अपने नौनिहालों के भविष्य के प्रति चिंतित ग्रामीण आपसी आर्थिक जुगाड़ कर ग्रामीण व्यवस्था के तहत शिक्षकीय व्यवस्था करने के साथ – साथ  पदस्थ शिक्षकों का मनुहार कर विषय शिक्षकों की कमी न होने देने में लगे रहते हैं और इसी का परिणाम है कि इस वर्ष दसवीं का परीक्षा फल 93.75 प्रतिशत व बारहवीं का परीक्षा फल 89.47 प्रतिशत रहा।

शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के नाम उसके निज सहायक मनोज शुक्ला को किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा के साथ गये एक  सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मंडल ने ज्ञापन सौंप इस कमी की ओर ध्यानाकृष्ट कराते हुये आसन्न शिक्षा सत्र में आर्थिक संसाधन जुटा पाने में ग्रामीणों की असमर्थता के चलते नौनिहालों के हित में  गुरुजनों व कार्यालयीन स्टाफ की कमी को दूर कराने का आग्रह किया है। ज्ञापन में जानकारी दी गयी है कि लगभग 10 वर्षों तक आर्थिक संसाधन जुटा ग्रामीणों ने जनभागीदारी  से  उच्च माध्यमिक शाला का संचालन किया व शासकीयकरण / उन्नयन श्री अग्रवाल के ही पूर्ववर्ती शिक्षा मंत्री काल  में ही हुआ। शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला में बीते  2 शैक्षणिक सत्र से प्राचार्य का पद रिक्त होने सहित रसायन विज्ञान , भौतिकी व हिंदी के व्याख्याता पद रिक्त होने की जानकारी दी है। ज्ञापन में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया गया है कि रायपुर के एक विद्यालय में पदस्थ भौतिकी के एक अतिशेष व्याख्याता का व आरंग क्षेत्र के ही एक विद्यालय में पदस्थ हिंदी के एक व्याख्याता का वेतन आहरण टेकारी स्कूल से हो रहा है जबकि दोनों पद यहां रिक्त है।

इसके अतिरिक्त इस विद्यालय में सहायक शिक्षक विज्ञान , ग्रंथपाल व सहायक ग्रेड -3 का एक एक पद व नियमित भृत्य के 3 पद रिक्त होने की जानकारी दी गयी है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बीते शैक्षणिक सत्र से प्रधानपाठक के पद रिक्त होने के साथ साथ अंग्रेजी व सामाजिक विज्ञान के शिक्षक पद रिक्त होने व प्राथमिक विद्यालय में भी बीते शैक्षणिक सत्र से प्रधानपाठक का पद रिक्त होने व शासन की नीति के अनुसार विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के मान से ही बीते शैक्षणिक सत्र में 5 शिक्षकों की जरूरत होने पर महज 3 ही शिक्षक पदस्थ रहने व इनमें से भी एक को संकुल प्रभारी बनाये जाने से उसके द्वारा अध्यापन कार्य कराने में असमर्थता की जानकारी दी गयी है। जनभागीदारी से विद्यालय की शुरूआत करने से लेकर शासकीयकरण / उन्नयन के बाद भी गुरूजनो की कमी को ग्रामीण व्यवस्था के तहत दूर करने के प्रयास में लाखों रुपये खर्च हो जाने की जानकारी देते हुये बतलाया गया है कि हेड व गुरूजनो की कमी के बावजूद पदस्थ शिक्षकों ने ग्रामीणों के सहयोग से एक बेहतर परीक्षा परिणाम दिया है और दसवीं में 64 विद्यार्थियों में से 21 ने प्रथम श्रेणी में व 29 ने द्वितीय श्रेणी में परीक्षा पास की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button