कृषि उपकरणों पर 90% तक बंपर सब्सिडी, सरकार की मेगा स्कीम से किसानों को बड़ा फायदा

बांदा
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-कुसुम) योजना किसानों के लिए एक बड़ी सौगात लेकर आई है। इस योजना के तहत सोलर पंप लगाने पर किसानों को 68 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक का भारी अनुदान दिया जा रहा है। उदाहरण के लिए, 2 एचपी के सरफेस पंप का निर्धारित मूल्य ₹1,64,322 है, जिस पर किसानों को ₹1 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा। यह योजना 2 एचपी से लेकर 10 एचपी तक के सबमर्सिबल सोलर पंप पर लागू है, जिसमें अधिकतम ₹2,54,983 तक का अनुदान मिल सकता है। इसका मुख्य लक्ष्य निजी नलकूप कनेक्शन धारक किसानों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना, सिंचाई को अबाधित बनाना और फसलों की उत्पादकता बढ़ाना है।
योजना के लाभ और लक्ष्य
सोलर पंप लगाने से किसानों की डीजल और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी और बिजली की खपत में भी कमी आएगी, जिससे उनका खर्च घटेगा। इसके अतिरिक्त, किसान अपने इस्तेमाल के बाद बची हुई अधिशेष सौर ऊर्जा को ग्रिड में बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं। बांदा मंडल के चारों जिलों में करीब दो हजार सोलर पैनल स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, और पंजीकरण "पहले आओ, पहले पाओ" की तर्ज पर किया जा रहा है।
आवेदन और चयन प्रक्रिया
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को विभाग की आधिकारिक वेबसाइट upagriculture.up.gov.in पर पंजीकरण कराना अनिवार्य है। सोलर पंप की ऑनलाइन बुकिंग भी इसी वेबसाइट से की जाएगी। किसानों का चयन ई-लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। ऑनलाइन बुकिंग के साथ ही किसानों को ₹5,000 रुपये की टोकन मनी ऑनलाइन जमा करनी होगी। बुकिंग कंफर्म होने पर, शेष धनराशि चालान के माध्यम से इंडियन बैंक की किसी भी शाखा या ऑनलाइन जमा करनी होगी, अन्यथा आवेदन स्वतः निरस्त हो जाएगा और टोकन मनी जब्त कर ली जाएगी।
बोरिंग की अनिवार्यता और नियम
सोलर पंप पर अनुदान पाने के लिए बोरिंग की गहराई और व्यास (Diameter) की अनिवार्यता रखी गई है। उदाहरण के लिए, 2 एचपी के लिए 4 इंच और 3 व 5 एचपी के लिए 6 इंच की बोरिंग होना अनिवार्य है। सत्यापन के समय यदि उपयुक्त बोरिंग नहीं पाई जाती है, तो भी आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा और टोकन मनी जब्त हो जाएगी। सोलर पंप स्थापित होने के बाद, स्थल परिवर्तन की अनुमति नहीं होगी, अन्यथा संपूर्ण अनुदान राशि किसान से वसूल ली जाएगी।



