हेल्थ सेक्टर में बढ़ती मांग, हॉस्पिटल मैनेजमेंट बन रहा है करियर की नई पहचान

वर्तमान समय में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की संकल्पना में अत्यधिक परिवर्तन आया है और साथ ही साथ लोगों अच्छी तथा गुणवत्तापरक सुविधाओं की आशा और मांग करने लगे हैं। जिसके चलते हॉस्पिटल मैनेजमेंट का महत्व बढ़ गया है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट, प्रबंधन का एक ऐसा क्षेत्र हैं, जो कैरियर के कई रास्ते खोलता है। अगर आप भी प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे कैरियर विकल्पों की तलाथ कर रहे हैं, जिसमें आपके लिए अवसरों की कमी नहीं हो, तो हॉस्पिटल मैनेजमेंट का कैरियर आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।

हॉस्पिटल मैनेजमेंट:- हॉस्पिटल मैनेजर का कार्य पूरे संगठन और प्रंबधकीय कार्यों को सुचारू रूप से चलाना होता है। प्रबंधक हॉस्पिटल के भौतिक व आर्थिक संस्थानों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करता है तथा साथ ही कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने व उनके विकास को सुनिश्चित करने का काम भी हॉस्पिटल प्रबंधक का ही होता है। अमेरिका में हुए सर्वे के अनुसार हॉस्पिटल मैनेजमेंट दस शीर्ष देशों में शामिल है जोकि स्वास्थ्य सेवाओं के आपूर्तिकर्ता व मांगने वालों के बीच सीधे संबंध स्थापित करते हैं। हॉस्पिटल प्रंबधक अस्पताल के प्रबंधन में सुधार, बाहरी रोगियों, रोगियों की चिकित्सा आदि का प्रबंधन करते हैं।

हॉस्पिटल प्रबंधक अपने सहायकों की टीम के द्वारा प्रशासकीय कार्यों जैसे कि योजना, समन्वयन व हॉस्पिटल के भीतर स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करते हैं। पहले वरिष्ठ डॉक्टर ही हॉस्पिटल मैनेजर की भूमिका निभाते हैं, लेकिन परिवर्तन के दौर में हॉस्पिटल को सुचारू ढंग से चलाने के लिए पेशेवर व दक्ष मैनेजरों की मांग बढ़ गई है। पेशेवर मैनेजरों की मांग हॉस्पिटल को उत्पादकीय, लाभकारी और रोगियों की सुचारू रूप से देखभाल के लिए बढ़ गई है। इस क्षेत्र में तरक्की करने के लिए हॉस्पिटल मैनेजर के पास वित्तीय व सूचना विषयक उच्च जानकारी, डाटा को व्याख्या करने और विभिन्न विभागों व रोगियों के बीच सूचनाओं की तालमेल करने का गुण हो चाहिए।

उद्देश्य:- हॉस्पिटल के भौतिक व आर्थिक संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल तथा प्रबंधन करना। रोगियों के बेहतर चिकित्सा तथा स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन करना। टाइम मैनेजमेंट, प्लानिंग और व्यवस्थित तरीके से कार्य करने की क्षमता विकसित करना। किसी भी परेथानी की स्थिति में हल सुझा सकने की काबिलियत और बेहतर ढंग से सुविधाएं मुहैया कराने का हुनर। उपलब्ध स्त्रोतों का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करना।

करियर विकल्प:- हेल्थ केयर और हॉस्पिटल इंडस्ट्री में तेजी से हो रहे विकास के कारण इस क्षेत्र में करियर की संभावनाएं सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है। बाहर के देशों में भी अगर आप चाहे तो जॉब कर सकते हैं। हॉस्पिटल मैनेजमेंट के क्षेत्र में अधिकतर जॉब हॉस्पिटल में ही उपलब्ध हैं, लेकिन अगर कोई चाहे तो हेल्थ एंजेसी, प्रयोगशाला तथा अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में भी करियर विकल्प तलाश सकता है। सरकारी अस्पताल तथा प्राइवेट अस्पताल दोनों हास्पिटल प्रबंधक तथा मैनेजरों की नियुक्ति करते हैं। एक फ्रेशर अगर चाहे तो किसी भी स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं या किसी अस्पताल में बतौर असिसटेंट हॉस्पिटल प्रबंधक करियर थुरू कर सकता है। इसके अलावा उसके पास कई क्षेत्रों में मैनेजर बनने के रूप में कई विकल्प मौजूद हैं। अनुभवी व सीनियर हॉस्पिटल प्रंबधक सीईओ के पद पर भी पहुंच सकते हैं। जिन्होंने हॉस्पिटल मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री की हो तथा जिनके पास 4-5 साल का अनुभव हो, वे लेक्चरर बन सकते हैं। कई वर्षों के अनुभव के बाद अपना नर्सिंग होम तथा हॉस्पिटल भी खोल सकते हैं।

योग्यता:- हॉस्पिटल मैनेंजमेंट में स्नातक डिग्री पाने के लिए 12वीं में बॉयोलोजी में कम से कम 50 प्रतिशत आने अनिवार्य हैं। अगर कोई चाहे तो स्नातक डिग्री पाने के बाद हॉस्पिटल मैनेजमेंट में एमबीए या स्नातकोत्तर तथा डिप्लोमा कोर्स भी कर सकता है। स्नातकोत्तर कोर्सेस करने के लिए योग्यता संस्थान के अनुसार भिन्न हो सकती है। इस क्षेत्र में मुख्यतरू प्रोफेशनल कोर्स बेचलर ऑफ हॉस्पिटल मैनेजमेंट, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन हॉस्पिटल मैनेजमेंट, मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, एमबीए इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशनऔर एमडी या एम फिल इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन उपलब्ध है। इन सबके अलावा करीबन 70 मान्यता प्राप्त प्रोग्राम इन क्षेत्र में उपलब्ध हैं। कुछ इंस्टीट्यूट हास्पिटल मैनेजमेंट में शार्ट टर्म कोर्सेस, सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा कोरेस्पोंडेंस दूरस्थ शिक्षा द्वारा भी मुहैया कराते हैं।

चयन:- हॉस्पिटल प्रबंधन में हॉस्पिटल प्रबंधन स्नातक (बीएचएद्ध में प्रवेश मुख्यत) 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर ही होता है। इसके अलावा गु्रप डिस्कशन तथा इंटरव्यू के आधार पर भी चयन किया जाता है। चयन करते समय अंग्रेजी भाषा पर पकड़, बातचीत करने की कला, कंप्यूटर ज्ञान तथा प्रबंधकीय योग्यताओं को मुख्य रूप से देखा जाता है।

समयावधि:- इस क्षेत्र में कई तरह के कोर्स करने के बाद करियर की शुरुआत की जा सकती है। इन सभी डिग्रियों की समयावधि भी अलग-अलग होती है। बीबीएम तथा बीएचए का कोर्स जहां 3 साल का होता है, वहीं एमबीए तथा हॉस्पिटल प्रबंधन में मास्टर्स (एमएचए) करने के लिए दो साल की अवधि निर्धारित है, जो चार छमाही में बटा होता है। हॉस्पिटल प्रंबधन में स्नातकोत्तर प्रोफेशनल प्रोगाम 11 माह का होता है तथा ईएमबीए, पीजीडीएचएम तथा एडीएचएम जैसे कोर्सेस करने के लिए की एक साल की अवधि सुनिश्चित है।

सैलरी:- किसी भी हॉस्पिटल प्रबंधक तथा मैनेजर का पारिश्रमिक उस संगठन की संरचना पर निर्भर करता है। भारत में एक जूनियर हॉस्पिटल मैनेजर 8000 से लेकर 120000 रूपए प्रतिमाह कमा सकता है। वहीं एक अनुभवी तथा प्रशिक्षित हॉस्पिटल मैनेजर 40, 000 रूपए से अधिक प्रतिमाह अर्जित कर सकता है। हॉस्पिटल प्रबंधक के लेक्चरर का पारिश्रमिक प्रतिमाह कम से कम 15000 रूपए होता है। विदेशों में हॉस्पिटल प्रबंधकों की बहुत अधिक मांग हैं, जिसके चलते वहां पर आपको भारत की अपेक्षा कई गुना अधिक मेहनताना पा सकते हैं।

संस्थान….

-भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली
-अपोलो इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, हैदराबाद
-डेक्कन स्कूल ऑफ पेरामेसी, हैदराबाद
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, जयपुर
-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल वेलफेयर और मैनेजमेंट, कोलकाता
-इंदिरा गांधी नेशनल ऑपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
-इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च, बैंगलोर
-मनीपाल कॉलेज ऑफ फार्मास्युटिकल साइंस, मनीपाल
-राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, नई दिल्ली
-निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस, हैदराबाद
-सांचेती इंस्टीट्यूट फॉर ओर्थोपेडिक्स एंड रिहेबिलिटेशन, पुणे
-सिम्बोसिस सेंटर ऑफ हेल्थ केयर, पुणे
-टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुम्बई

 

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