मध्यप्रदेश पुलिस की संवेदनशील पहल: रिश्तों में लौटी मिठास, बढ़ा जन-विश्वास

मध्यप्रदेश पुलिस की संवेदनशील पहल — रिश्तों में लौटी मिठास और बढ़ा भरोसा

विदिशा की “पुलिस पंचायत” और टीकमगढ़ का “नवपहल अभियान” बने सामाजिक समरसता व महिला सुरक्षा के प्रतीक

भोपाल 

मध्यप्रदेश पुलिस आज जनसेवा के उस स्वरूप का परिचायक बन चुकी है, जहाँ कानून-व्यवस्था के साथ संवेदनशीलता, संवाद और सहयोग सर्वोपरि हैं। पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाणा के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा नागरिक–पुलिस संवाद, पारिवारिक समरसता और महिला सुरक्षा को लेकर निरंतर किए जा रहे प्रयास अब उल्लेखनीय परिणाम देने लगे हैं। प्रदेश के विदिशा की “पुलिस पंचायत” और टीकमगढ़ की “नवपहल” पहल ने मध्यप्रदेश पुलिस को संवेदनशीलता, संवाद और महिला सुरक्षा की नई पहचान दी है। इन पहलों से पारिवारिक रिश्तों में विश्वास लौटा है और महिला अपराधों में उल्लेखनीय कमी दर्ज हुई है।

विदिशा की “पुलिस पंचायत” — रिश्तों में लौटी मिठास

विदिशा में प्रारंभ हुई “पुलिस पंचायत” पहल अब पारिवारिक विवादों के समाधान की मिसाल बन चुकी है। अब तक आयोजित 34 बैठकों में कुल 98 प्रकरणों की सुनवाई की गई, जिनमें से 72 प्रकरणों का निराकरण किया गया है। प्रत्येक बुधवार को आयोजित होने वाली इन पंचायतों में पारिवारिक विवाद, संपत्ति संबंधी मतभेद एवं वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े मामलों का संवाद, सहानुभूति और सामाजिक सहमति से निराकरण किया जाता है।

पुलिस अधीक्षक श्री रोहित काशवानी के निर्देशन एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. प्रशांत चौबे के नेतृत्व में गठित पंचायत कोर कमेटी — डॉ. सचिन गर्ग, श्री आर. कुलश्रेष्ठ, श्री प्रमोद व्यास, श्री दिनेश वाजपेयी, श्री अजय टंडन, श्री अतुल शाह, श्री विनोद शाह एवं श्री पार्थ पित्तलिया सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

यह पहल न केवल विवादों के निपटारे तक सीमित रही, बल्कि इसने संवाद और सहानुभूति के माध्यम से टूटते रिश्तों को फिर जोड़ने का कार्य किया है। वर्षों से बिछड़े परिवार एक-दूसरे से मिले, वृद्ध जनों को उनका हक मिला और समाज में यह संदेश गया कि पुलिस जनता की हमदर्द और सहभागी है। “पुलिस पंचायत” ने यह साबित किया है कि संवाद से बढ़कर कोई न्याय नहीं — यह पहल कानूनी समाधान के साथ सामाजिक समरसता का पुल बन चुकी है।

टीकमगढ़ की “नवपहल” – महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में प्रभावी कदम

टीकमगढ़ में पुलिस अधीक्षक श्री मनोहर सिंह मंडलोई के मार्गदर्शन में प्रारंभ “नवपहल” अभियान ने महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। इस पहल से जिले में महिला अपराधों में लगभग 37% तक की कमी दर्ज की गई है।

विशेष सुधार:

    शीलभंग: 21.3% कमी

    दहेज हत्या: 16.6% कमी

    दहेज प्रताड़ना: 50.5% कमी

    भ्रूण हत्या/गुप्त व्ययन: 42.8% कमी

महिला सुरक्षा के लिए प्रमुख अभियान

1. नीड अभियान: कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम, 42.8% कमी

2. परी अभियान: 55,309 बच्चियों को “गुड टच–बैड टच” की जानकारी

3. भरोसा अभियान: 6,328 किशोरियों को आत्मरक्षा व विधिक प्रशिक्षण

4. सहारा अभियान: 192 महिलाओं को आर्थिक व पारिवारिक सहायता

5. आसरा अभियान: 64 वृद्ध महिलाओं को सहयोग

6. परिवार जोड़ो अभियान: 72 परिवार टूटने से बचे, दहेज प्रताड़ना में 47.5% कमी

इसके अलावा “मजनू अभियान” के अंतर्गत स्कूल–कॉलेजों के आस-पास असामाजिक तत्वों पर निगरानी से छेड़छाड़ के अपराधों में 22.3% की कमी दर्ज हुई है।

इन अभियानों के माध्यम से महिला सुरक्षा, वन स्टॉप सहायता, आत्मरक्षा प्रशिक्षण और जागरूकता से पुलिस और समाज के बीच नए भरोसे का रिश्ता बना है। महिला हेल्प डेस्क, संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय पेट्रोलिंग, सोशल मीडिया निगरानी और स्कूल–कॉलेज परिसरों में नियंत्रण गतिविधियाँ ने टीकमगढ़ पुलिस की छवि को समाज के प्रति समर्पित प्रहरी के रूप में स्थापित किया है।

विदिशा की “पुलिस पंचायत” और टीकमगढ़ की “नवपहल” जैसी पहलें इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि मध्यप्रदेश पुलिस अब केवल कानून-व्यवस्था की प्रहरी नहीं, बल्कि “जनभरोसे की पुलिस” के रूप में नागरिकों के बीच संवाद, समझ और सेवा का सेतु बन रही है।

 

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