सिंचाई व्यवस्था के बदले गुपचुप पम्प स्टोरेज परियोजना को बढ़ावा

क्षेत्रीय किसानों के साथ वादाखिलाफी बर्दाश्त नहीं होगा

दुलीचंद मार्को फतवा समाचार पत्र

मंडला/जबलपुर

जिले के आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण अंचल क्षेत्र अंतर्गत विकासखण्ड बीजाडांडी और नारायणगंज के किसानों द्वारा विगत पांच वर्षों से बरगी बांध से सिंचाई के लिए पानी की मांग की जा रही है। विगत विधानसभा सभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की उपस्थिति में मीडिया के समक्ष चार लिफ्ट सिंचाई योजना मंजूर करने की घोषणा किया था। इसी क्रम वहीं क्षेत्रीय किसानों ने बड़ी धूमधाम से स्वागत अभिनन्दन वंदन भी किया था। परंतु क्षेत्र के किसान 2023 से आज भी लिफ्ट सिंचाई परियोजना शुरू होने की बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
 
दरअसल इधर पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वेबसाइट से जानकारी मिला है कि नदी घाटी परियोजना के लिए गठित विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति के समक्ष एजेंडा नंबर तीन पर  बरगी ओपन पम्प स्टोरेज हाइड्रो पावर (1000 मेगावाट) को परियोजना प्रवर्तक  सिरेन्टिका रिन्यूएबल्स इंडिया 21 प्रा. लि. द्वारा संदर्भ बिन्दु (टर्म ऑफ रेफ्रेंस ) प्राप्त करने के लिए भेजा गया है। यह गांव पिंडरई माल (सहजपुरी) नारायणगंज  और सलैया माल (बरंगाडा), जमठार, खापा, निवारी और पोंडी बीजाडांडी जिला मंडला में बनना प्रस्तावित है।

और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ मुल्यांकन समिति की बैठक आगामी 13 अक्टूबर को प्रस्तावित किया गया है। परन्तु क्षेत्रीय  ग्राम सभाओं को इसकी कोई जानकारी नहीं दिया गया है और ना ही उन्हें विश्वास में लिया गया है। इस परियोजना की जानकारी मिलने से लोग अचंभित हैं। लोग पूछ रहे हैं कि हमारे लिफ्ट सिंचाई से खेतों में पानी पहुंचाने का क्या हुआ?

पम्प स्टोरेज परियोजना क्या है…
पम्प स्टोरेज पावर प्लांट एक जलविद्युत प्रणाली होती है, जिसमें दो जलाशय  बनाए जाते हैं। एक ऊपरी जलाशय दूसरा निचला जलाशय(जैसे बरगी जलाशय) है। दोनों को एक सुरंग या पाइप से जोड़ा जाता है। जब बिजली की मांग कम होती है तब पानी को निचले जलाशय से ऊपरी जलाशय तक पम्प किया जाता है। ऊपरी जलाशय से जब पानी छोड़ा जाता है तो बिजली की मांग अत्यधिक होता है। पानी पाइपों से नीचे बहते हुए टर्बाइन  को घुमाता है और टर्बाइन जनरेटर  से जुड़ी होती है, जो बिजली उत्पन्न करती है। पम्प स्टोरेज प्लांट में रिवर्सिबल टर्बाइन-पम्प लगे होते हैं। यानी वही मशीन पम्प के रूप में ऊपर पानी चढ़ा सकती है और टर्बाइन के रूप में नीचे गिरते पानी से बिजली बना सकती है। यह चक्र बार-बार दोहराया जा सकता है।

क्षेत्रीय किसानों को जब-तक सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल जाता है तब तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के किसी भी परियोजना को क्षेत्र में नहीं लगने दिया जाएगा।
युवा झामसिंह तेकाम,  ग्राम पिंडरई नारायणगंज

लिफ्ट सिंचाई परियोजना के लिए मंडला से भोपाल तक के प्रशासनिक स्तर के जिम्मेदारों को जानकारी दे रहे हैं। परन्तु आम लोगों का जरूरी काम पूंजीपतियों के सामने कोई महत्व नहीं रखता है। क्षेत्रीय लोगों द्वारा पम्प  स्टोरेज परियोजना का जमकर विरोध किया जाएगा।
राजेन्द्र पुट्ठा , जनपद सदस्य बीजाडांडी

बरगी बांध से तो जल विद्युत उत्पादन किया  जा रहा है। परन्तु बरगी जलाशय के ईर्द-गिर्द बिजली उत्पादन का जाल खङा करने का सिलसिला कंपनीयों ने जारी रखा है। जिसमें चुटका एवं पिंडरई परमाणु परियोजना, झाबुआ पावर प्लांट, जलाशय में फ्लोटिंग सोलर पैनल और अब पम्प स्टोरेज बिजली परियोजना शामिल है।
राजकुमार सिन्हा, बरगी बांध विस्थापित एवं प्रभावित संघ

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button