600 साल पुरानी परंपरा जीवित: बस्तर दशहरे में देवी-देवताओं को समर्पित निशा जात्रा

जगदलपुर
बस्तर में तांत्रिक पूजा के जरिए देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए राजा कमलचंद भंजदेव ने देर रात निशा जात्रा की रस्म पूरी की. इस दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए भोग लगाने के साथ बकरों की बलि दी गई.
बस्तर दशहरा की इस अनूठी रस्म के जरिए बस्तर को बुरी प्रेत आत्माओं से बचाने की प्रार्थना की जाती है, अष्टमी और नवमी तिथि के बीच देर रात को यह रस्म निभाने की परंपरा 600 साल पुरानी है.
इस रस्म के तहत देर रात को राजा कमलचंद भंजदेव के साथ बस्तर राज परिवार के प्रमुख सदस्य मां दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी एवं अन्य लोग पैदल चलकर अनुपमा चौक स्थित गुड़ी (मंदिर ) पहुंचे.
मंदिर में तांत्रिक पूजा-अर्चना कर बस्तर के लोगों की खुशहाली और बस्तर को नकारात्मक शक्तियों से बचाने की प्रार्थना की गई. इस दौरान माता को प्रसन्न करने के लिए भोग लगाने के साथ बकरों की बलि दी गई.