शराब घोटाले की गुत्थी सुलझी? ED ने चैतन्य बघेल को मास्टरमाइंड बताया, चार्जशीट में दर्ज कई बड़े दावे

रायपुर, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने बड़ा आरोप लगाते हुए राज्य में हुए ‘शराब घोटाले’ के सिडिकेट का मास्टरमाइंड (मुखिया) बताया है और कहा है कि उन्होंने ही घोटाले से अर्जित लगभग 1000 करोड़ रुपए की आय को इधर-उधर किया था। ईडी ने इस बात का दावा सोमवार को जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (VI) डमरुधर चौहान की अदालत में दायर अपनी चौथी पूरक अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) मे किया। इसमें उसने दावा किया कि चैतन्य ने जानबूझकर अपराध की आय को छिपाने, कब्जा करने, अधिग्रहण करने और इसका उपयोग करने में सहायता की और गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर साजिश रची।

ईडी द्वारा दाखिल इस आरोप पत्र में बताया गया है कि, ‘इस सिंडिकेट (गिरोह) में शीर्ष स्तर पर चैतन्य का नियंत्रण था, और उसकी भूमिका केवल प्रतीकात्मक ही नहीं, बल्कि प्रभावशाली और निर्णायक भी थी। वह सिंडिकेट द्वारा एकत्रित सभी अवैध धन का हिसाब रखने के लिए जिम्मेदार था। धन के संग्रह और वितरण से संबंधित सभी बड़े फैसले उसके (चैतन्य के) निर्देशों के तहत लिए जाते थे। मुख्यमंत्री के बेटे के रूप में उनकी स्थिति ने उन्हें सिंडिकेट का नियंत्रक बना दिया।'

इसमें कहा गया है, ‘जांच से यह भी पता चला है कि चैतन्य बघेल अपराध की आय के प्राप्तकर्ता हैं, जिसे उन्होंने अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में लगाया और वे इस प्रकार विकसित की गई इन संपत्तियों को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश कर रहे हैं और उन पर दावा कर रहे हैं।'

अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि जांच से पहले ही पता चला है कि अपराध की आय का एक बड़ा हिस्सा लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू नामक व्यक्ति द्वारा एकत्र किया जा रहा था, जिसने ईडी के सामने अपने बयान में खुलासा किया है कि उसने चैतन्य के साथ मिलकर शराब घोटाले से अर्जित एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की आय को संभाला था। इसमें कहा गया है कि उन्होंने (बंसल ने) स्पष्ट रूप से कहा है कि चैतन्य के निर्देश पर, 2019 से 2022 के बीच की अवधि में कांग्रेस के राज्य इकाई के तत्कालीन कोषाध्यक्ष राम गोपाल अग्रवाल और अन्य को बड़ी मात्रा में नकदी पहुंचाई गई थी।

अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि बंसल कथित तौर पर दीपेन चावड़ा के माध्यम से अनवर ढेबर से अपराध की यह आय एकत्र करते थे और उसके बाद चैतन्य के समन्वय से ये धनराशि राम गोपाल अग्रवाल तक पहुंचाई जाती थी। आरोप पत्र में ईडी ने बताया कि 'बंसल ने अपने बयान में खुलासा करते हुए बताया कि वह भूपेश बघेल को पिछले 25 सालों से जानते हैं और दोनों के पारिवारिक संबंध हैं। वह चैतन्य के साथ नियमित रूप से रायपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास जाया करते थे। उस समय रायपुर स्थित मुख्यमंत्री आवास की ऐसी ही एक यात्रा के दौरान, भूपेश बघेल ने उन्हें (बंसल को) स्पष्ट रूप से बताया था कि अनवर ढेबर उन्हें कुछ सामान भेजेंगे, और उसे आगे उन्हें रामगोपाल अग्रवाल तक पहुंचाना होगा। इसके बाद, चैतन्य बघेल ने नकदी की कथित डिलीवरी से एक दिन पहले उन्हें सूचित किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सामान शब्द नकदी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक कोड वर्ड है।’ अग्रवाल फिलहाल फरार हैं।

ईडी ने ने आरोपी लगाते हुए कहा कि चैतन्य शराब गिरोह का केंद्रीय व्यक्ति और नियंत्रक था, जो इससे जुड़ी कमाई पर सीधा नियंत्रण रखता था, अवैध धन के प्रवाह की निगरानी करता था, और अपराध की आय का उपयोग व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपक्रमों के लिए करता था।

आरोप पत्र में कहा गया है कि चैतन्य बघेल ने अपनी रियल एस्टेट परियोजना, विट्ठल ग्रीन में 18.90 करोड़ रुपए और अपनी रियल एस्टेट फर्म मेसर्स बघेल डेवलपर्स एंड एसोसिएट्स में 3.10 करोड़ रुपए की आपराधिक आय का उपयोग किया था। अभियोजन शिकायत में कहा गया है कि जांच में आरोपियों के मोबाइल फोन से वॉट्सएप चैट के रूप में महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत भी बरामद किए गए हैं।

ईडी के आरोपों के अनुसार लगभग 2,500 करोड़ रुपए से अधिक का यह शराब घोटाला प्रदेश में साल 2019 से 2022 के बीच हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में चैतन्य के पिता भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का शासन था। इसी घोटाले के आरोप में चैतन्य को केंद्रीय एजेंसी ने 18 जुलाई को दुर्ग जिले के भिलाई शहर में स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था।

ईडी ने अब तक इस मामले में एक अभियोजन शिकायत और चार पूरक अभियोजन शिकायतें दर्ज की हैं और दावा किया है कि कथित घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और एक शराब गिरोह के लाभार्थियों की जेबें भरी गईं। सोमवार को दायर अभियोजन शिकायत में ईडी ने कहा कि 2019 में छत्तीसगढ़ में नई (कांग्रेस) सरकार के गठन के बाद, एक संगठित शराब गिरोह बनाया गया था। इस गिरोह के दिन-प्रतिदिन के संचालन को संभालने के लिए, तत्कालीन IAS अधिकारी अनिल टुटेजा और कारोबारी अनवर ढेबर (दोनों को मामले में ईडी द्वारा दायर पिछली अभियोजन शिकायतों में आरोपी के रूप में नामित किया गया है) का चयन किया गया था।

 

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