गुमनाम नायकों की कहानी: जलियांवाला बाग से मणिपुर तक पांच साहसिक घटनाएँ

नई दिल्ली 
भारत इस वर्ष अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2925) मना रहा है। इस दिन हम उन सभी नायकों को याद करते हैं जिन्होंने आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। इतिहास में कुछ नाम अमर हैं, लेकिन कई ऐसे गुमनाम वीर (Secret Indian Freedom Struggle Facts) भी हैं जिनकी कहानियां बहुत कम सुनाई जाती हैं। इन नायकों के साहस, बलिदान और देशप्रेम ने आजादी की नींव को मजबूत किया। आइए जानते हैं स्वतंत्रता संग्राम की ऐसी पांच अनसुनी कहानियां (Hidden Patriots of India) जो हमारे दिलों में गर्व और प्रेरणा जगाती हैं।
 
इन गुमनाम नायकों की बलिदानों से मिली आजादी
भारत की आजादी सिर्फ गांधी, नेहरू और भगत सिंह जैसे महान नेताओं की वजह से नहीं, बल्कि हजारों गुमनाम नायकों के बलिदानों से मिली। यहां पांच ऐसी कहानियां हैं जो शायद आपने कम सुनी हों

1. उधम सिंह और जलियांवाला बाग का बदला
13 अप्रैल 1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार में हजारों निर्दोष मारे गए। सरदार उधम सिंह ने जिम्मेदार माइकल ओ’डायर से बदला लेने का संकल्प लिया। 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटोन हॉल में उन्होंने ओ’डायर को गोली मार दी। 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दे दी गई।
 
2. राम अवतार दीक्षित का साहस
1923 में लाहौर जेल में जन्मे राम अवतार दीक्षित ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में धामपुर में अंग्रेजों का थाना और झंडा जला दिया।

3. बेगम हजरत महल की वीरता
1857 में बेगम हजरत महल ने अवध का नेतृत्व किया। उन्होंने महिला सैनिक दस्ता बनाकर चिनहट, फैजाबाद और सुल्तानपुर में अंग्रेजों के झंडे उतार फेंके।

4. भीमा नायक का आदिवासी विद्रोह
मध्य प्रदेश के निमाड़ में भीमा नायक ने 1857 में 3000 आदिवासियों की सेना बनाई और अंग्रेजों को जंगलों में खदेड़ा। तात्या टोपे ने उन्हें "निमाड़ का रॉबिनहुड" कहा।

5. मेजर पाओना ब्रजबासी का बलिदान
1891 में मणिपुर में मेजर पाओना ब्रजबासी ने 400 गोरखाओं के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ी और 25 अप्रैल को शहीद हो गए।

इन नायकों की कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि आजादी लाखों बलिदानों की अमानत है। भारत की आजादी में कई गुमनाम नायकों ने अपने साहस और बलिदान से इतिहास रचा।

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