UK में बढ़ेगी Made in India प्रोडक्ट्स की मांग, जानें किन चीजों की होगी सबसे ज्यादा बिक्री

नई दिल्ली

भारत-यूके के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (India-UK Free Trade Agreement) हो चुका है, जिसके तहत भारत, ब्रिटेन में अपने प्रोडक्‍ट्स '0' या कम टैक्‍स बेचेगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत की करीब 99 फीसदी चीजें ब्रिटेन में कम टैक्‍स पर बिकेंगी. वहीं UK की 90 फीसदी चीजें भारत में कम टैरिफ पर बिकेंगी. FTA दस्‍तावेज पर साइन दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में गुरुवार को हुई थी. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस डील को लेकर कहा था कि इससे ग्‍लोबल स्‍तर पर भारत को और मजबूती मिलेगी. साथ ही दोनों देशों के बीच सालाना व्‍यापार 34 अरब डॉलर बढ़ेगा. इस डील के तहत 2030 तक व्‍यापार को  120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है. इससे आम लोगों को भी फायदा होगा, जिसमें ब्रिटेन से आने वाले कुछ चीजों के रेट घट जाएंगे. 

क्‍या चीजें हो जाएंगी सस्‍ती? 
अगर आप वाइन के शौकीन हैं तो स्‍कॉच व्हिस्‍की के रेट में करीब 20 से 50 फीसदी की गिरावट आ सकती है. वहीं इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, कपड़े, चमड़े के प्रोडक्‍ट्स और दवाइंया,  मेटल और ज्‍वेलरी सस्‍ती हो सकती हैं. जबकि एग्रीकल्‍चर प्रोडक्‍ट्स, कार और बाइक जैसे ऑटो और स्‍टील की चीजें महंगी हो सकती हैं. 

ब्रिटेन में खूब बिकेंगे ये प्रोडक्‍ट्स
FTA से यूनाइटेड किंगडम (UK) में इम्‍पोर्ट होन वाली चीजें भी सस्‍ती हो जाएंगी, जिससे इसका प्रोडक्‍शन तेजी से बढ़ेगा. लोग भारतीय प्रोडक्‍ट को ज्‍यादा खरीदेंगे. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इमेज शेयर किया है, जिसमें बताया गया है कि भारत किस राज्‍य से कौन-कौन से प्रोडक्‍ट्स ब्रिटेन में इम्‍पोर्ट होंगे, जो मेड इन इंडिया की छाप छोड़ेंगी. 

दोनों देशों के बीच व्यापार टारगेट

बता दें, दोनों देशों के बीच साल 2023-24 में व्यापार 4.74 लाख करोड़ रुपये (लगभग 60 अरब डॉलर) का था, और इस समझौते से भारत का निर्यात 60% तक बढ़ सकता है. अनुमान है कि अगले 5 साल में भारतीय गारमेंट्स, चमड़ा, रत्न-आभूषण, समुद्री उत्पाद और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन को निर्यात में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. 

ब्रिटेन में खूब बिकेंगे ये प्रोडक्ट्स

इस समझौते से 95% से अधिक कृषि और इससे जुड़े खाद्य प्रोडक्ट्स पर शून्य शुल्क लगेगा, जिससे कृषि निर्यात बढ़ेगा, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी. अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात में 20% से अधिक की बढ़ोतरी का अनुमान है, जो 2030 तक भारत के 100 अरब डालर के कृषि-निर्यात के लक्ष्य को पूरा करने में योगदान देगा. ब्रिटेन के 90% उत्पादों पर भारत में शुल्क हटाया जाएगा या कम किया जाएगा. ब्रिटेन में भारतीय मसाले, फल-सब्जियां, और हस्तशिल्प सस्ते और अधिक उपलब्ध होंगे. स्कॉच व्हिस्की (150% से 75%, फिर 10 वर्षों में 40%), कारें (100% से 10%), कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, बिस्किट, सैल्मन मछली, और मेडिकल डिवाइसेज जैसे उत्पाद भारत में सस्ते होंगे.  

किसान के लिए बड़े मौके

इससे भारतीय किसानों के लिए प्रीमियम ब्रिटिश बाजार के दरवाजे खुलेंगे, जो जर्मनी, नीदरलैंड और अन्य यूरोपीय संघ के देशों को मिलने वाले फायदे के बराबर या उससे भी अधिक होगा. हल्दी, काली मिर्च, इलायची, अचार और दालों को भी शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी. जबकि ब्रिटेन का भारत को निर्यात (व्हिस्की, कारें, मेडिकल उपकरण) भी 60% तक बढ़ सकता है. लक्ष्य ये भी है कि दोनों देशों के बीच व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और डिजिटल बनाए, जिससे व्यापार लागत कम होगी.

इस डील एक हिस्सा ये भी है कि भारत में कपड़ा, चमड़ा, और रत्न-आभूषण जैसे उद्योगों नौकरिकों के अवसर बढ़ेंगे. MSME सेक्टर विशेष रूप से क्षेत्रीय हस्तशिल्प जैसे कोल्हापुरी चप्पल और बनारसी साड़ी, को ब्रिटेन के बाजार में बढ़त मिलेगी. ब्रिटेन में भी हजारों नौकरियां पैदा होंगी, खासकर व्हिस्की, ऑटोमोबाइल, और चिकित्सा उपकरण सेक्टर में. 

भारत के 99% निर्यात पर ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी, जिसपर फिलहाल 4-16% शुल्क लिए जाते हैं. इससे वस्त्र, चमड़ा, जूते, रत्न-आभूषण, समुद्री उत्पाद, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों को बड़ा फायदा होगा. विशेष रूप से कृषि और समुद्री उत्पादों (जैसे झींगा, टूना, मसाले, हल्दी, कटहल, बाजरा) पर 95% से अधिक शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी, जिससे अगले 5 वर्षों में कृषि निर्यात में 20% की वृद्धि की उम्मीद है. 

मेक इन इंडिया की ताकत

उम्मीद की जा रही है कि 5 साल के बाद यह समझौता भारत में 'मेक इन इंडिया' और महिला उद्यमिता को मजबूती देगा, क्योंकि समझौते में लैंगिक समानता और श्रम अधिकारों पर जोर दिया गया है. डील के तहत भारतीय प्रोफेशनल (जैसे आईटी, हेल्थ, योग प्रशिक्षक) को ब्रिटेन में अस्थायी वीजा और सामाजिक सुरक्षा अंशदान में तीन साल की छूट से लाभ होगा. जबकि 5 साल के बाद करीब 100 अतिरिक्त वार्षिक वीजा और बढ़ी हुई श्रम गतिशीलता से भारतीय युवाओं को ब्रिटेन में अधिक अवसर मिलेंगे. 60,000 से अधिक आईटी पेशेवरों को ब्रिटेन में अस्थायी वीजा के माध्यम से काम करने में आसानी होगी.

आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
यह समझौता केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा. साल 2030 तक यानी 5 साल के बाद भारत और ब्रिटेन 'UK-India Vision 2035' के तहत रक्षा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, जलवायु, और नवाचार जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे. हालांकि फिलहाल ये यह कहना कि किसे ज्यादा फायदा होगा, ये जटिल है, क्योंकि दोनों देशों को अलग-अलग क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे. 

जम्‍मू-कश्‍मीर: पश्‍मीना शॉल, बासमती चावल, कश्‍मीरी केसर और कश्‍मीरी विलो बैट्स 

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड: बासमती चावल 
पंजाब- जलंधर स्‍पोर्ट्स गूड्स, बासमती राइस 
दिल्‍ली- बासमती राइस 
राजस्‍थान- जयपुर जेमस्‍टोन और ज्‍वेलरी 
गुजरात– सूरत टेक्‍सटाइल, मोरबी में बने मिट्टी के वर्तन और सूरत के डायमंड 
महाराष्‍ट्र– कोल्‍हापुरी फूटवीयर, आईटी सर्विसेज 
कर्नाटक– चन्‍नापाटन के खिलौने
केरल– रबर और हल्‍दी
उत्तर प्रदेश– खुर्जा में बने मिट्टी के बर्तन, मेरठ के स्‍पोर्ट्स प्रोडक्‍ट, बासमती चावल और आगरा-कानपुर के लेदर 
तेलंगाना– आईटी सर्विस
आंध्र प्रदेश– कॉफी और हल्‍दी 
तमिलनाडु– कांचीपूरम साड़ी, हल्‍दी, गुड़‍िया, स्‍लीपर और आईटी सर्विस 
बिहार- सिक्‍की ग्रॉस टॉय, भागलपुर सिल्‍क, मखाना और लिच्ची
त्रिपुरा– नेचुरल और प्रोड्यूस्‍ड रबर 
वेस्‍ट बंगाल- साड़ी, दाजर्लिंग टी, गुड़‍िया और शांतिनिकेतन लेदर 

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