प्रदेश के 19 छोटे-बड़े शहरों में अभी भी एसटीपी का निर्माण नहीं किया जा सका, जानिए क्या है कारण
रायपुर
देश में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है। इन नदियों के पानी से आचमन करके लोग आपको धन्य महसूस करते हैं। नदियों की धारा हमारी संस्कृति, जीवन और अध्यात्म का हिस्सा है। मौजूदा दौर में नदियों के संरक्षण और संवर्धन की स्थिति पर गौर करें तो अभी भी छत्तीसगढ़ की नदियों को प्रदूषण से बचाया नहीं जा सका है। साफ पानी अभी भी जनहित का मुद्दा है। सिंचाई की बड़ी निर्भरता भी इन नदियों से बनी हुई है।
नगरीय प्रशासन विभाग की सरकारी रिपोर्ट पर गौर करें तो प्रदेश के 19 छोटे-बड़े शहरों में अभी भी एसटीपी का निर्माण नहीं किया जा सका है। साफ पानी के लिए यह ब़डी चुनौती है। प्रदेश की स्थिति पर गौर करें तो यहां 50 लाख से ज्यादा की आबादी पेयजल के लिए नदियों पर निर्भर रहती है। नदियों के माध्यम से पीने का पानी पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों तक पहुंचता है। नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए प्रदेशभर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का प्रोजेक्ट बनाया गया, लेकिन अभी भी प्रदेश के कई शहरों में एसटीपी नहीं बन पाया है। यानि नदियों में नालों का गंदा अभी भी मिल रहा है।
खारून के 28 एकड़, केलो के 10 एकड़ में पुराना कचरा
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक खारून के 28 एकड़ में लीगेसी वेस्ट (पुराने कचरे) का निष्पादन नहीं हो पाया है, जो कि खारुन की स्वच्छता के लिए भी परेशानी का सबब है। विभाग के मुताबिक लीगेसी वेस्ट के निपटारे के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसी तरह कोरबा में हसदेव नदी पर भी 10.20 एकड़ में लीगेसी वेस्ट का निपटारा नहीं हो सका है।
नदियों को प्रदूषित करने के 16,225 मामले
प्रदेभर में नदियों को प्रदूषित करने के 16,225 मामले सामने आए हैं, जिसमें प्रशासन ने अलग-अलग जिलों में व्यक्ति, कंपनी, संस्था पर पेनाल्टी वसूल की है। पेनाल्टी की यह राशि 41 लाख रुपये हैं। सबसे ज्यादा 15 लाख रुपये की पेनाल्टी रायपुर व 13 लाख रुपये की पेनाल्टी रायगढ़ से वसूल की गई है।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों के नाम
महानदी, शिवनाथ,अरपा, इंद्रावती, लीलागर, मनियारी, खारून, हसदो, मांड, पैरी,सोंढूर, केलो, दूध नदी, शबरी, कोटरी, डंकिनी,शंकिनी, बाघ नदी, नारंगी नदी।
क्या होता है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
सीवरेज में आमतौर पर बड़ी मात्रा में जैविक अपशिष्ट होते हैं और इसमें अकार्बनिक अपशिष्ट भी शामिल हो सकते हैं। किसी भी जल निकाय, नदियों में प्रवेश से पहले सीवरेज का उपचार करना आवश्यक है। तीन अलग-अलग चरणों में एसटीपी के माध्यम से दूषित जल को उपचारित करके इसे अन्य उपयोग लायक बनाया जाता है। रायपुर पर्यावरणविद नितिन सिंघवी ने कहा, प्रदूषण की वजह से नदियों की जैव विविधता खत्म हो रही है। एनजीटी ने भी इस पर चिंता जताई है कि नदियों को प्रदूषण से बचाना होगा। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से लेकर सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एनजीटी ने सरकार को फटकार भी लगाई है। बारिश के पहले प्रशासन को निर्माणाधीन एसटीपी को पूरा करना चाहिए।