भारत बन पाएगा चीनी मार्केट का विकल्प, 1900000000000 रुपए बोरियों में भर-भरकर भारत ला रहा ऐपल….

नई दिल्ली
 आईफोन निर्माता कंपनी ऐपल आपदा में अवसर का फायदा उठाने की तैयारी में है। अमेरिका से चीन के ट्रेड वॉर को देखते हुए ऐपल भारत में आईफोन का प्रोडॅक्शन तेजी से बढ़ा रही है। अनुमान है कि मार्च 2025 में बीते 12 महीनों में भारत में करीब 22 बिलियन डॉलर यानी तकरीबन 1.90 लाख रुपए के आईफोन बनाए जा चुके हैं। यह पिछले साल की तुलना में 60% ज्यादा है। यह तब है जब ऐपल चीन से अपनी सप्लाई चेन को दूर ले जा रहा है और प्रोडॅक्शन में यह बढ़ोतरी उसी का नतीजा बताया जा रहा है। इसे लेकर चीन भी टेंशन में है, क्योंकि ऐसे में उसकी इस मामले में बादशाहत खत्म हो सकती है। जानते हैं पूरी कहानी।

दुनिया में हर पांचवां आईफोन भारत में बना

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब दुनिया में बनने वाले हर पांच आईफोन में से एक भारत में बन रहा है। यह $22 बिलियन का आंकड़ा आईफोन की फैक्ट्री से निकलने वाली कीमत है। यह उसकी रिटेल बिक्री कीमत। इस उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा फॉक्सकॉन की दक्षिण भारत स्थित विशाल फैक्ट्री से आता है। टाटा ग्रुप जिसने विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन के ऑपरेशन्स को अपने नियंत्रण में ले लिया है वह ऐपल की भारत बेस्ड सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन सबमें बड़ी भूमिका सेमीकंडक्टरों की है, जिसे लेकर अमेरिका और चीन के बीच बड़ी जंग छिड़ी हुई है।

सेमीकंडक्टर क्या हैं, इसे समझते चलिए

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरूरी कंपानेंट्स में से एक अर्धचालक यानी सेमीकंडक्टर है, जिसे एकीकृत सर्किट (IC) भी कहा जाता है। सेमीकंडक्टर माइक्रोचिप्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, यातायात, स्वास्थ्य सेवा, सैन्य प्रणाली, संचार को सक्षम बनाते हैं। माइक्रोचिप्स इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आवश्यक हैं: रेडियो, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन, वाहन और मेडिकल डायग्नोस्टिक उपकरण। माइक्रोचिप्स इतने महत्वपूर्ण हैं कि कुछ लोग उन्हें 21वीं सदी का 'नया तेल' भी कहते हैं। ऐपल आईफोन के लिए ये जरूरी चीज है। बीते साल Apple ने भारत में भी सेमीकंडक्टर चिप्स के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए चर्चा की है, जिससे भारत में भी चिप्स का निर्माण शुरू हो सके।

ऐपल आईफोन के लिए 2026 मील का पत्थर

ऐपल आईफोन के लिए सेमीकंडक्टर बनाने वाली प्रमुख कंपनी ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट के अनुसार, ऐपल को 2026 तक सेमीकंडक्टर चिप्स की बड़ी मात्रा में जरूरत होगी। तब तक आईफोन निर्माता अपनी वैश्विक विनिर्माण क्षमता का 26 प्रतिशत भारत में ट्रांसफर कर चुके होंगे। ऐपल की वर्तमान सेमीकंडक्टर खपत लगभग 72 बिलियन डॉलर है, क्योंकि इसके सभी हाई क्वालिटी प्रोडॅक्ट जैसे आईफोन, आईपैड, मैक, ऐपल वॉचेज और एयरपॉड्स सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में भारत की संभावना इस मामले में काफी बड़ी है।

ट्रंप के टैरिफ को देखते हुए ऐपल ने बढ़ाया एक्सपोर्ट

ऐपल ने पिछले वित्तीय वर्ष में भारत से 1.5 ट्रिलियन रुपए (लगभग $17.4 बिलियन) के आईफोन निर्यात किए। अमेरिका को होने वाले शिपमेंट में तब तेजी आई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी में 'रेसिप्रोकल' टैरिफ की घोषणा की। इसके बाद ऐपल ने भारत से निर्यात को तेजी से बढ़ाया। हालांकि, हाल ही में हुई घोषणा में स्मार्टफोन सहित इलेक्ट्रॉनिक्स को उन टैरिफ से छूट दी गई थी, लेकिन चीन पर लगने वाले बाकी टैक्स (कुल 245%) अभी भी लागू हैं। ट्रंप का चीन से आने वाले सामान पर 20% का अलग शुल्क, जिसका उद्देश्य फेंटानिल को लेकर बीजिंग पर दबाव डालना है, वह भी अभी जारी है।

भारत में बने डिवाइस पर अमेरिका नहीं लगाता टैक्स

ऐपल के लिए भारत एक अपेक्षाकृत सुरक्षित जगह है। भारत में बने डिवाइस पर अभी अमेरिका में कोई टैक्स नहीं लगता है। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी अमेरिकी ग्राहकों के लिए अपनी भारतीय उत्पादन लाइनों पर ज़्यादा निर्भर करेगी।

चीन को लेकर यह पेंच अभी तक बरकरार

हालांकि एप्पल ने भारत में उत्पादन बढ़ाया है, लेकिन वह अभी भी चीन से काफ़ी जुड़ा हुआ है। कंपनी लगभग 200 सप्लायरों और दशकों से बने एक मजबूत सिस्टम पर निर्भर है। यहां तक कि ऐपल के CEO टिम कुक ने भी चीन की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को माना है।

चीन से भारत मार्केट शिफ्ट में लगेगा बहुत वक्त

ट्रंप अरसे से अमेरिका में आईफोन के प्रोडॅक्शन पर जोर दे रहे हैं। हालांकि, ऐपल के लिए निकट भविष्य में ऐसा करना मुश्किल है। क्योंकि अमेरिका में उपयुक्त सुविधाएं और कुशल श्रमिक उपलब्ध नहीं हैं। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के 2022 के एक आकलन में अनुमान लगाया गया था कि ऐपल के मैन्युफैक्चरिंग का सिर्फ 10% हिस्सा चीन से बाहर निकालने में आठ साल लगेंगे। इससे पता चलता है कि चीन का सप्लाई बेस कितना मजबूत है।

क्या भारत बन पाएगा चीनी मार्केट का विकल्प

भारत में लगातार ऐसा माहौल बनाने की कोशिश हो रही है कि वह आईफोन जैसे प्रोडक्ट का शानदार उत्पादन कर सकता है। ऐपल अब भारत में अपने सभी आईफोन मॉडल बनाता है, जिसमें प्रीमियम टाइटेनियम प्रो मॉडल भी शामिल हैं। दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम और इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए दिए जाने वाले $2.7 बिलियन के नए सब्सिडी का भी योगदान है। PLI स्कीम का मतलब है कि सरकार उत्पादन बढ़ाने पर कंपनियों को प्रोत्साहन देती है।

भारत के स्मार्टफोन मार्केट का 8% हिस्सा ऐपल का

पिछले वित्तीय वर्ष में भारत में ऐपल की बिक्री लगभग $8 बिलियन थी, जिसमें ज्यादातर आईफोन शामिल थे। हालांकि कंपनी के पास अभी भी भारत के स्मार्टफोन बाजार का सिर्फ 8% हिस्सा है। मगर, कंपनी अभी भारत को रिटेल डेस्टिनेशन के बजाय अपने ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का बनाना चाहती है। माना जा सकता है कि कंपनी भारत में अपने बेहतर भविष्य की संभावनाओं की उम्मीद लगाए हुए है।

ये उम्मीद है…10 लाख नौकरियां सेमीकंडक्टर से

बीते साल नवंबर में आई एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2026 तक भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र 10 लाख नौकरियां पैदा करेगा। टैलेंट सॉल्यूशंस कंपनी एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब बनने वाला है, लिहाजा यह उद्योग 2026 तक अनेक क्षेत्रों में 10 लाख नौकरियां देने के लिए तैयार है।चिप सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन में अनुमानित 3,00,000 नौकरियां, एटीएमपी में करीब 2,00,000 पद और चिप डिजाइन, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, सिस्टम सर्किट और मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चेन मैनेजमेंट में अतिरिक्त भूमिकाएं शामिल हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button