1 अप्रैल से लागू होने वाले हैं 10 नए नियम, जिनका आपकी जेब पर होगा सीधा असर

नई दिल्ली
1 अप्रैल 2025 से कई अहम बदलाव लागू होने जा रहे हैं, जो सीधे आपकी जेब और बैंकिंग से जुड़े हैं. इनमें ATM ट्रांजैक्शन शुल्क, मिनिमम बैलेंस, TDS कटौती, डेबिट कार्ड सुविधाओं और अन्य कई महत्वपूर्ण नियम शामिल हैं.
इनमें से कुछ नियम ऐसे भी हैं, जिनका ऐलान बजट 2025 के दौरान किया गया था. आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में विस्तार से.
LPG, CNG-PNG और ATF की कीमतें
हर महीने की पहली तारीख को ऑयल कंपनियां LPG, CNG-PNG और ATF की कीमतों की समीक्षा करती हैं.
1 अप्रैल से इनके दाम बढ़ सकते हैं या घट सकते हैं.
सरकार और ऑयल कंपनियों के निर्णय के अनुसार कीमतों में परिवर्तन होगा.
पॉजिटिव पे सिस्टम होगा लागू
बैंकिंग फ्रॉड रोकने के लिए कई बैंक पॉजिटिव पे सिस्टम लागू कर रहे हैं.
5,000 रुपये से अधिक के चेक पेमेंट के लिए ग्राहक को चेक नंबर, डेट, पेयी का नाम और अमाउंट वेरिफाई कराना होगा.
इससे धोखाधड़ी के मामलों में कमी आने की उम्मीद है.
RuPay डेबिट कार्ड में होंगे बड़े बदलाव
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अपने RuPay डेबिट सेलेक्ट कार्ड में नए फीचर्स जोड़ने जा रहा है.
इसमें एयरपोर्ट लाउंज एक्सेस, इंश्योरेंस कवर, ट्रेवल, फिटनेस और वेलनेस जैसी सुविधाएं शामिल होंगी.
ये बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे.
मिनिमम बैलेंस नियमों में बदलाव
SBI, पंजाब नेशनल बैंक समेत कई बैंक अपने सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस नियमों को संशोधित कर रहे हैं.
अकाउंट होल्डर को अब मिनिमम बैलेंस रखने के लिए क्षेत्र (गांव, टियर वाइज शहर) के आधार पर नई सीमा तय होगी.
मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना लग सकता है.
ATM से पैसे निकासी का नियम
कई बैंक 1 अप्रैल से अपनी ATM निकासी नीति में बदलाव करने जा रहे हैं.
दूसरे बैंकों के ATM से पैसे निकालने की सीमा घटा दी गई है.
नए नियम के तहत ग्राहक हर माह केवल 3 बार ही दूसरे बैंक के ATM से निशुल्क निकासी कर पाएंगे.
वहीं 1 मई से फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस के लिए अतिरिक्त 2 रुपये लगेंगे.
कैश विड्रॉल के लिए भी फ्री लिमिट के बाद 17 रुपये की बजाय 19 रुपया लगेगा.
सीनियर सिटीजन को राहत
सीनियर सिटीजन की TDS कटौती सीमा बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है.
TDS कटौती की सीमा पहले ₹50,000 थी
मकान मालिकों को भी राहत
मकान मालिकों के लिए रेंट पर TDS कटौती की सीमा बढ़ाकर ₹6 लाख/वर्ष कर दी गई है.
पहले ये सीमा ₹2.4 लाख/वर्ष थी.
विदेशी ट्रांजैक्शन पर TCS सीमा बढ़ी
पहले ₹7 लाख से अधिक के विदेशी ट्रांजैक्शन पर TCS कटता था.
अब ये सीमा बढ़ाकर ₹10 लाख कर दी गई है.
एजुकेशन लोन पर TCS हटा
स्पेसिफिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से लिए गए एजुकेशन लोन पर अब TCS नहीं कटेगा.
पहले ₹7 लाख से अधिक के एजुकेशन ट्रांजैक्शन पर 5% TCS लागू था.
डिविडेंड और म्यूचुअल फंड से कमाई पर TDS में राहत
डिविडेंड इनकम पर TDS की सीमा ₹5000 से बढ़ाकर ₹10,000 प्रति वित्त वर्ष कर दी गई है.
म्यूचुअल फंड यूनिट से कमाई पर भी यही नियम लागू होगा.
इन नियमों में बदलाव का सीधा असर आप पर पड़ेगा. बैंकिंग नियमों से लेकर टैक्स और वित्तीय योजनाओं तक, ये नए नियम आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग को प्रभावित कर सकते हैं.
ये UPI अकाउंट्स होंगे बंद
1 अप्रैल से अगला बदलाव UPI से जुड़ा हुआ है और जिन मोबाइल नंबरों से जुड़े यूपीआई अकाउंट्स लंबे समय से एक्टिव नहीं हैं, बैंक रिकॉर्ड से हटाया जाएगा. अगर आपका फोन नंबर यूपीआई ऐप से जुड़ा है और आपने लंबे समय से इसका इस्तेमाल नहीं किया है तो इसकी सेवाएं बंद की जा सकती हैं.
Tax से जुड़े बदलाव
बजट 2025 में मिडिल क्लास को राहत देते सरकार ने कई बड़े ऐलान किए गए थे, जिसमें टैक्स स्लैब में बदलाव से लेकर टीडीस, टैक्स रिबेट और अन्य चीजें शामिल थीं. वहीं पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह पर नए इनकम टैक्स बिल का प्रस्ताव रखा था. यह सभी बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभाव में आने वाले हैं. नए टैक्स स्लैब के तहत सालाना 12 लाख रुपये तक कमाने वाले व्यक्तियों को टैक्स का भुगतान करने से छूट दी जाएगी. इसके अलावा, वेतनभोगी कर्मचारी 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए पात्र होंगे. इसका मतलब है कि 12.75 लाख रुपये तक की वेतन आय अब टैक्स से मुक्त हो सकती है. हालांकि, यह छूट केवल उन लोगों पर लागू होती है जो नया टैक्स विकल्प चुनते हैं.
इसके अलावा सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS)सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) विनियमों को भी अपडेट किया गया है, जिसमें अनावश्यक कटौती को कम करने और टैक्सपेयर्स के लिए कैश फ्लो में सुधार करने के लिए विभिन्न वर्गों में सीमा बढ़ाई गई है. उदाहरण के लिए, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा दोगुनी करके 1 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे बुजुर्गों के लिए वित्तीय सुरक्षा बढ़ गई है.इसी तरह, किराये की आय पर छूट की सीमा बढ़ाकर 6 लाख रुपये सालाना कर दी गई है, जिससे मकान मालिकों के लिए बोझ कम हो गया है और शहरी क्षेत्रों में किराये के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है.